नव गीत हो असंगत रूप तो – डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
4 years ago
378
0
हो असंगत रूप तो
उसको गढ़ा जाता नहीं
हर चमकती चीज़ को
छूने बढ़ा जाता नहीं
फल नहीं लगते जहाँ
खिलती नहीं हैं टहनियाँ
उन दरख़्तों के निकट
उड़ती नहीं हैं तितलियाँ
खोखला जो हो चुका
उसपर चढ़ा जाता नहीं
संतवाणी के लिए
घर से निकलना चाहिए
ख़ाकसारों के लिए
तेवर बदलना चाहिए
सिर्फ़ पढ़ने के लिए
कुछ भी पढ़ा जाता नहीं
समय कहता है वही
जो नज़ारा दिख रहा है
मौन रहता है मगर
बहीखाता लिख रहा है
जो खटकता है उसे
दिल में मढ़ा जाता नहीं
संपर्क पता-
क्वाटर नं- ए एस,14,पॉवर सिटी,
अयोध्या पुरी, जमनीपाली,
जिला-कोरबा-495450
मोबाइल नंबर-
94241 41875
79748 50694