मै यमुना हूं
अंशुमन राय
प्रयागराज-उत्तरप्रदेश
मै यमुना हूं ! मैं ही कालिंदी हूं , मैं ही यामी हूं ! मैं यमुना हूं ! धार्मिक मान्यता के अनुसार में सूर्य की पुत्री हूं और यम की बहन हूं । जी हां, वही यम जिससे हर मनुष्य घबराता है , डरता है । बड़ी विडंबना है, मनुष्य खुद सारे पाप करे और दोष दे मेरे भाई को । भौगोलिक रूप से देखा जाए तो मेरी उत्पति आज के उत्तराखंड के यमुनोत्री गलेशियर से हो रही है और तत्पश्चात हरियाणा, दिल्ली से बहते हुए मेरा अंत उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद यानि प्रयागराज में हो जाता है वैसे देखा जाए तो मेरा अंत तो उसी दिन हो गया था जिस दिन हमें नजरअंदाज करके सारी योजनाएं मेरी मुंह बोली बहन गंगा जी के लिए बना दिया गया । और मुझे एक गंदा एवं बदबूदार नाला समझकर अपने हाल पर ही छोड़ दिया गया । मेरा सुध लेने वाला कोई नहीं रहा । मै वही हूं जिसकी धारा के किनारे या तट में ब्रज के लाडले भगवान श्री कृष्ण ने कितने ही लीलाये की हैं । मेरे तट पर ही मुगलों ने कितने ही किले दिल्ली (शाहजहांबाद ), आगरा एवं इलाहाबाद में बनाए और तो और मेरी प्यारी नगरी मथुरा तो कभी सम्राट कनिष्क की राजधानी भी थी । लेकिन कालांतर में मेरा बूरा हश्र हुआ क्योंकि जितने भी औद्योगिक क्षेत्र मेरे तट के आस पास विकसित हुए , उनका सारा कचरा मेरे अंदर डाल दिया गया और मुझे मृतप्राय मान लिया गया । मुझे कष्ट होता है यह देखकर कि कैसे लोग गंगा जल भरकर लें जाते है और मेरे तरफ देखते भी नही है । वह गंगा में डुबकी लगाएंगे लेकिन कचरा मेरी तरफ ही डालेंगे । क्या मै इतनी गई गुजरी हूं ? क्या मेरा उत्तर भारत के इस क्षेत्र में उपजाऊ बनाने का कोई योगदान नहीं है ? यह सत्य है कि गंगा में जो गुण है वह शायद मुझमें नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मुझे कोई सम्मान नहीं दिया जाए, मुझे जीवित रखने का कोई प्रयास नहीं किया जाए ? आप ही बताईए कि अगर गंगा की सहायक नदियां ही साफ नहीं रहेगी तो कहां से गंगा स्वच्छ रह पाएगी ?
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