गीत
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तेरे कारन
-किशोर कुमार तिवारी
छत्तीसगढ़
सुधियों का भंडार भरा है तेरे कारन ।
अधरों से श्रृंगार झरा है तेरे कारन ।।
हृदय की बगिया में कभी तितली बन आती
कभी सुहानी सांझ तो कभी स्वर्णिम प्रभाती
मन मस्त भ्रमर का रूप धरा है तेरे कारन ।
अधरों से श्रृंगार झरा है तेरे कारन ।1।
झिलमिल तारों से सजीं वो चाँदनी रातें
छिपछिप कर मिलने की वो अनुपम सौगातें
विश्वास हुआ हर बार खरा है तेरे कारन ।
अधरों से श्रृंगार झरा है तेरे कारन ।2।
तुझ बिन तो ये जनम गया ज्यूँ पानी में
ना मोड़ रही ना गति रही ये कहानी में
जी बचा है पर कई बार मरा है तेरे कारन ।
अधरों से श्रृंगार झरा है तेरे कारन ।3।
वृंदावन की गलियाँ गोकुलवास की यादें
बरसाने की रानी संग वो रास की यादें
कृष्ण प्रेम का पंथ वरा है तेरे कारन ।
अधरों से श्रृंगार झरा है तेरे कारन । 4।
कवि संपर्क-
95759 41440
chhattisgarhaaspaas
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