लघु कथा

4 years ago
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मज़दूरी
-महेश राजा
महासमुंद-छत्तीसगढ़

वे बहुत छोटे थे।समूह में निकल कर अलग-अलग पार्टी के पोस्टर दीवार पर चिपका रहे थे।वे बहुत जल्दी में थे।इस बार के चुनाव में उन्हें बडा काम मिला था।वे जल्दी-जल्दी अपना काम निपटा रहे थे।

मैंने उनमें से एक को रोक कर पूछा,-“यह काम जो तुम लोग कर रहे हो,इसकी कुछ जानकारी है,तुम सबको, कि शहर में क्या कुछ हो रहा है?”

वह हिचकिचाया।डर भी गया।ना में सिर हिलाया।फिर दूर हट गया।

मैंने फिर से पूछा,-“इन पोस्टरों पर क्या कुछ लिखा है,
इसकी जानकारी है,तुम सब को?”

अब उन सब में से एक बच्चा जो कुछ बड़ा था,सामने आया।बोला-“नहीं, साहब,हम ठहरे अंँगूठाछाप।हमें यह सब नहीं पता..हम तो केवल इतना जानते है कि एक पोस्टर दीवार पर चिपकाने की हमारी मजदूरी पांच रुपए है।”

लेखक संपर्क-
94252 01544

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