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रील्स देखने की लत बना रही है बीमार, बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर,जिला चिकित्सालय व सिम्स में रोजना पहुंच रहे 50 से अधिक केस
1 week ago
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बिलासपुर। मोबाइल में रील्स देखनेे की लत बच्चो में गंभीर बीमारी का रूप ले रहा है। इससे बच्चों और किशोरों की कार्य क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा हैंं। रील्स देखने वाले बच्चे अब उदासी, नींद न आने और चिड़चिड़ापन केे परेशानी से गुजर रहे हैं। इसके साथ ही, स्कूल व कोचिंग जाने वाले बच्चों का किसी भी विषय पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी कमजोर होती जा रही है।
डाक्टरों का कहना है कि रील्स देखते समय स्क्रीन पर 15 से 20 सेकंड के लिए ध्यान केंद्रित करना संभव होता है, जिसके बाद अगली रील आ जाती है। यह आदत बच्चों को एक विषय पर अधिक ध्यान देने से रोकती है। डिजिटल वेलबीन के लिए कई एप्स भी हैं, जो किसी एक एप को लाक करने या टाइमर लगाने का विकल्प देते हैं। पढ़ाई के दौरान भी एप्स को लाक किया जा सकता है।
मनोचिकित्सकों का मानना है कि ऐसे उपायों से बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है, वही हर बच्चे में एक होबी जरूर होती है जो बच्चा करना चाहता है बच्चो को उनकी होबी करने देना चाहिए इससे वह मोबाइल से धीरे धीरे दूर होता जाएगा। क्योंकि एकाएक मोबाइल की लत छुडाने से बच्चे की सोच पर बूरा असर पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। इस सबके साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस मामले में जिम्मेदारी निभानी होगी। जिससे बच्चो को रील देखने से रोका जा सके।
रील्स देखने से होने वाले दुष्प्रभाव
- पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में कमी।
- तेजी से बदलते दृश्य और जानकारी पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या।
- लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से शारीरिक गतिविधियों में कमी।
- नकारात्मक या उत्तेजक सामग्री से चिंता और अवसाद।
- बातचीत में कमी से सामाजिक कौशल प्रभावित।
- शिक्षा का स्तर गिरना।
- बच्चों में आक्रामकता बढ़ना।
- आंखो में जलन व रेटीना पर असर
बच्चो को रील देखने से रोकने करे यह उपाय
- बच्चों को खेल, पढ़ाई या कला जैसी गतिविधियों के लिए प्रेरित करें
- रील्स के दुष्प्रभावों पर बच्चों से बातचीत करें।
- पारिवारिक गतिविधियों को बढ़ावा दें, जैसे फिल्म देखना या खेलना।
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