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इस्तीफा दे रहे डॉक्टरों से स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- ये पेशा समाजसेवा का, थोड़ी तकलीफ उठानी पड़े तो उठा लेना चाहिए
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस व निजी अस्पतालों में सेवा देने पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी करने के साथ ही हड़कंप मच गया है. अब तक 33 से ज्यादा डॉक्टर अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं. जबकि कई अब भी कतार में हैं. इसी मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने एनडीटीवी से चर्चा की. इसमें उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को भी सोचना चाहिए कि उनका पेशा एक समाजसेवा भी है. इस दिशा में काम करने पर कुछ तकलीफें भी उठानी हों तो उठा लेना चाहिए.
दुर्ग से लेकर राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों ने अपने डीन के समक्ष इस्तीफे की पेशकश की है. अन्य डॉक्टर भी इसे लेकर मूड बना चुके हैं. ये जानकारी सामने आने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग भी बैकफुट पर है. इन तमाम मसलों पर बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि एक कमेटी बनाई गई है. यह कमेटी डॉक्टरों के पक्ष को भी ध्यान में रखते हुए योजना बना रही है. बहरहाल डॉक्टरों को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए.
शासकीय अस्पतालों में होती है अव्यवस्था
प्रदेश के बड़े शासकीय अस्पतालों के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस व निजी अस्पतालों में सेवाएं देने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. आरोप लगता रहा है कि इसके चलते डॉक्टर शासकीय अस्पताल में भर्ती मरीजों व ओपीडी में दी जाने वाली सेवाओं को लेकर भी लापरवाही बरतते हैं. इससे न सिर्फ मरीजों का इलाज प्रभावित होता है, बल्कि अस्पताल की व्यवस्था भी प्रभावित होती है.
पहले भी की जा चुकी सख्ती, नहीं रहा कारगर
इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई बार आदेश जारी किया जा चुका है. पूर्व में इसकी जानकारी लिखित में मांगी गई थी और कहा गया था कि सूचना देकर वे प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं. वहीं प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करने वाले डॉक्टरों को प्रोत्साहित करने के लिए अलाउंस देने की भी शुरुआत की गई. हालांकि ये व्यवस्था भी कारगर नहीं रही तो फिर अबकी बार सख्त कदम उठाया गया है. इसमें साफ किया गया है कि निजी अस्पतालों में वे प्रैक्टिस नहीं कर सकते.
निजी अस्पतालों पर भी शिकंजा
यही नहीं, एक आदेश में उन निजी अस्पतालों पर भी शिकंजा कसने की कोशिश की गई है. इसमें कहा गया है कि शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान योजना जिन अस्पतालों में लागू है, वे इसका लाभ उठाना चाहते हैं तो वे शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों से प्रैक्टिस नहीं करा सकते.