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RBI की लिमिट से बाहर हुई महंगाई, तोड़ा रिकॉर्ड, सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में हुई बढ़ोत्तरी, MP का ऐसा है हाल
भारत में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई है. सितंबर में यह 5.49 प्रतिशत थी. यह जानकारी सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को दी गई है. खुदरा महंगाई दर बढ़ने की वजह बीते महीने सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी को माना जा रहा है. अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. बीते कुछ महीनों में यह पहली बार है, जब रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तय किए गए स्तर 6 प्रतिशत के ऊपर रही है. महंगाई का यह 14 महीनों का उच्चतम स्तर देखने को मिला है.
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी महंगाई : SBI रिसर्च रिपोर्ट
SBI रिसर्च की अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बड़े राज्य राष्ट्रीय औसत से अधिक महंगाई दर का सामना कर रहे हैं. अक्टूबर में भारत की खुदरा महंगाई दर 6.21 प्रतिशत थी, जो भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के ऊपरी सहनीय स्तर को पार कर गई है.
SBI रिसर्च के अनुसार देश के 23 राज्यों में से छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल के दौरान महंगाई सबसे ज्यादा बढ़ी. मध्य प्रदेश में यह बढ़ोतरी लगभग 3 प्रतिशत रही है. वहीं राजस्थान इकलौता ऐसा राज्य रहा जहां पर महंगाई दर घटी है. छत्तीसगढ़ में फुटकर महंगाई सलाना आधार पर करीब 4 गुना बढ़ी.
अक्टूबर में इन चीजों के बढ़े दाम
अक्टूबर में उच्च खाद्य महंगाई दर की वजह मुख्य रूप से सब्जियों, फलों, तेल और वसा की कीमतों में वृद्धि होना है. वहीं अक्टूबर महीने के दौरान दालों, अंडे, चीनी कन्फेक्शनरी और मसाले में महंगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है.
अक्टूबर 2024 महीने के लिए ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी इंडेक्स और महंगाई दर क्रमशः 162.5 और 5.45 प्रतिशत रही है. सितंबर 2024 में संबंधित सूचकांक और महंगाई दर क्रमशः 162.4 और 5.39 प्रतिशत थी.
क्या बढ़े दाम?
बताया जा रहा है कि देश के कुछ हिस्सों में बेमौसम बरसात के कारण सब्जियों, खासकर टमाटर और प्याज की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है. खाने-पीने की चीजों की महंगाई को रोकना काफी जरुरी है, क्योंकि यह सीधे घरेलू महंगाई की कीमतों को प्रभावित करता है. खाने-पीने की चीजों पर महंगाई का असर कुछ ज्यादा ही पड़ा है. अक्टूबर में खाद्य से जुड़ी महंगाई 9 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गई है.
RBI गवर्नर का क्या कहना है?
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि आरबीआई विकास को गति देने के लिए नरम तटस्थ मौद्रिक नीति रुख की ओर बढ़ गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दर में तुरंत कटौती होगी.
उन्होंने आगे कहा था कि महंगाई के बढ़ने का अभी भी जोखिम बना हुआ है. ऐसे समय में ब्याज दरों में कटौती करना एक जोखिम भरा फैसला हो सकता है.