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खबर का असर: जाति प्रमाण पत्र के अभाव में छात्रा की पढ़ाई रोकने के मामले में सीएम कार्यालय ने लिया संज्ञान, स्कूल ने दिया एडमिशन
पिथौरा: छत्तीसगढ़ के पिथौरा स्थित शासकीय कन्या हाई स्कूल की एक 8वीं पास छात्रा भारती पटेल को जाति प्रमाण पत्र के अभाव में स्कूल ने प्रवेश देने से इंकार कर दिया था. इससे छात्रा का भविष्य अंधकार में जा रहा था. वह गरीबी के कारण मजदूरी करने पर मजबूर हो गई थी. इस मामले को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने प्राथमिकता से खबर प्रकाशित किया, जिसके बाद स्थानीय सांसद रूपकुमारी चौधरी के प्रतिनिधि मनमीत छाबड़ा ने स्कूल प्रबंधन से बात की, लेकिन स्कूल ने उन्हें भी राज्य स्तर पर छात्रा को प्रवेश दिलाने की चुनौती दे दी. इस पूरी मामले की जानकारी सांसद प्रतिनिधि मनमीत छाबड़ा ने सीएम कार्यालय तक पहुंचाई, जिसके बाद सीएम कार्यालय ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए छात्रा को न्याय दिलाया है. स्कूल ने अब भारती पटेल को स्कूल में एडमिशन दे दिया है.
स्कूल में प्रवेश पाकर छात्रा काफी खुश है. मामले में सीएम कार्यालय के संज्ञान लेने से छात्रा के उज्वल भविष्य के सपनों को पंख मिल गए हैं. वहीं छात्रा के पालकों ने स्कूल प्रबंधन की हिटलरी के चलते कुव्यवस्था से निपटने प्राचार्य सहित पुरुष शिक्षकों को तत्काल कन्या स्कूल से हटाने की मांग कर डाली है.
बता दें, पीड़ित छात्रा ने अपने परिचित के कहने पर लल्लूराम डॉट कॉम छत्तीसगढ़ की टीम को संपर्क किया और पूरी आपबीती बताई थी. छात्रा ने बताया था कि उसने टीसी के साथ स्कूल में प्रवेश के लिए आवेदन किया था और वह स्कूल भी जा रही थी. लेकिन कक्षा शिक्षक ने न तो सरकारी पुस्तक-कॉपी दी और न ही उसका नाम अटेंडेंस रजिस्टर में दर्ज किया गया. वह रोज अटेंडेंस में अपना न पुकारे जाने से अपमानित महसूस करती थी. जब उसने इसका कारण क्लास टीचर से पूछा, तो टीचर ने स्पष्ट किया कि जाति प्रमाण पत्र नहीं बने होने के कारण उसका स्कूल में प्रवेश संभव नहीं है. इसके बाद से छात्रा स्कूल जाने से वंचित हो गई थी और मजदूरी करने पर मजबूर हो गई थी.
प्रवेश न देने पर अड़ा था स्कूल प्रबंधन
वहीं जब यह मामला “लल्लूराम डॉट कॉम” के संज्ञान में आया, तो उन्होंने स्कूल प्राचार्य से बात की. प्राचार्य ने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की और इसे कक्षा शिक्षक का मामला बताया. लल्लूराम टीम के प्रयासों के बाद प्राचार्य ने छात्रा को अस्थायी रूप से कक्षा में बैठने की अनुमति तो दी, लेकिन प्रवेश देने से इनकार कर दिया था. साथ ही, उसे ओपन परीक्षा से डिग्री प्राप्त करने की सलाह दी थी. इस पूरे मामले में जब लल्लूराम डॉट कॉम ने खबर प्रकाशित की तब स्थानीय प्रतिनिधियों ने स्कूल प्रबंधन से बात की लेकिन स्कूल के प्राचार्य और शिक्षकों ने सांसद प्रतिनिधियों के सामने ही छात्रा और पत्रकारों को फटकारा था. इसके अलावा सांसद प्रतिनिधि को भी चुनौती दे दी कि वे छात्रा का एडमिशन राज्य स्तर पर कराएं.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
दरअसल, शिक्षा से वंचित हो रही छात्रा को पड़ोसी ने लल्लूराम के पास सहायता के लिए भेजा था. छात्रा ने अपनी आपबीती में बताया था कि वह स्थानीय पुरानी बस्ती के वार्ड 8 में अपनी मां और 2 बहनों के साथ रहती है. पिता कहीं बाहर रहते हैं. मां और बड़ी बहन मजदूरी कर दोनों छोटी बहनों को पढ़ाना चाहती है. लेकिन गरीबी के चलते वे अपनी बहनों का प्रवेश सरकारी स्कूल में भी नही करवा पाई, क्योंकि अशिक्षा के कारण छोटी बहन का आधार कार्ड नही बना था. एक आधार सेंटर वाले ने आधार कार्ड बनवाने के लिए 1100 रुपये खर्च बताया. वहीं बड़ी बहन का जाति प्रमाण पत्र नहीं था, जिसके कारण दोनों पढ़ाई से वंचित हो रही है.
वहीं मामले की जानकारी मिलने के बाद लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने दोनों बहनों को प्रवेश दिलाने का प्रयास किया, जिससे छोटी बहन का प्रवेश पहली कक्षा में हो गया. लेकिन उससे बड़ी बहन को कन्या हाई स्कूल ने 9वीं में प्रवेश देने से इनकार कर दिया था. अब खबर लगने के बाद सीएम कार्यालय ने छत्तीसगढ़ की मेधावी बेटी को स्कूल में प्रवेश दिला कर न्याय दिलाया है.