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डीएमएफ घोटाला: रानू, सौम्या, सूर्यकांत समेत पांच की आज होगी पेशी, एक दिन बढ़ी थी न्यायिक रिमांड

2 months ago
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रायपुर। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए करोड़ों के बहुचर्चित खनिज जिला न्यास मद घोटाले (डीएमएफ घोटाला) मामले में एसीबी, ईओडब्ल्यू की रिमांड पर चल रहे निलंबित आईएएस रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी रही सौम्या चौरसिया, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, माया वारियर और मनोज द्विवेदी को सोमवार कोर्ट में पेश किया गया।

ईओडब्ल्यू की ओर से दो दिन की रिमांड के लिए आवेदन लगाया था। मगर, एसीबी के जज के अवकाश में होने के कारण सभी आरोपितों को ईडी कोर्ट में पेश किया गया। यहां न्यायाधीश ने पांचों को एक दिन के लिए न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया।

कस्टोडियल रिमांड के दौरान ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने सभी को एक साथ बैठाकर पूछताछ की है। मंगलवार को फिर से इन आरोपियों को एसीबी-ईओडब्ल्यू कोर्ट में पेश किया जाएगा।

ढाई साल बाद जेल से छूटे छह आरोपित

अवैध कोल परिवहन केस में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के बाद खनिज अधिकारी शिवशंकर नाग समेत छह आरोपित रायपुर केंद्रीय जेल से बाहर आ गए हैं। चार मार्च की देर शाम सभी को छोड़ दिया था। नाग पिछले ढाई साल से जेल में बंद थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी।

उनके साथ रोशन सिंह, हेमंत जायसवाल, चंद्रप्रकाश जायसवाल और मोइनुद्दीन कुरैशी भी जेल से छूट गए हैं। इस मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया और कारोबारी सूर्यकांत को अंतरिम राहत मिली, तो ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ केस में गिरफ्तार कर लिया।

सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत फिर भी रिहाई मुश्किल

तीन मार्च को कोल घोटाले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी समेत 12 लोगों को को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। मगर, जमानत मिलने से पहले ही ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ मामले में प्रोडक्शन वारंट में तीनों को गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में अंतरिम राहत मिलने के बाद भी तीनों की रिहाई अब मुश्किल हो गई है।

90 करोड़ से अधिक का है घोटाला

आरोप पत्र में अब तक हुई जांच के हवाले से ईडी ने आकलन दिया है कि डीएमएफ घोटाला 90 करोड़ 48 लाख रुपये का है। आरोप पत्र में जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू, महिला बाल विभाग की अफसर रहीं माया वारियर, ब्रोकर मनोज कुमार द्विवेदी समेत 16 आरोपितों के नाम हैं। बताया जा रहा है कि अधिकारियों को टेंडर की राशि का 40 प्रतिशत तक कमीशन दिया था।

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