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चिटफंड धोखा, डूबा यह गांव, 450 परिवारों में 395 के लाखों रुपए डूबे, पैसा किसी को वापस नहीं मिला
रायपुर के स्थित ग्राम रसनी में चिटफंड का मामला सामने आया है। करीब 450 परिवारों की इस बस्ती में 395 से ज्यादा परिवारों की मेहनत की कमाई चिटफंड कंपनियों में डूब गई। किसी के 1 हजार तो किसी के 10 लाख रुपए तक डूबे।
जिंदगी भर की कमाई से बचत किये गये पैसे को गंवा चुके ग्रामीणों में अब पैसे वापसी की बेसब्री इतनी ज्यादा है कि गांव में कहीं भी चिटफंड शब्द सुनाई देते ही एक-एक बुजुर्ग और महिलाएं घर के बाहर हो जाती हैं।
रसनी गांव की बुजुर्ग कालिंद्री ने बताया – मेहा अपन नतनीन बर पाई पाई कर पइसा जोड़े रहेंव ताकि ओखर बिहाव कर सकंव फेर मेहा सबो पइसा ला कंपनी खाता में जमा कर देंव। बात चल ही रही थी उतने में वहां भीड़ जमा हो गई।
रसनी फोकटपारा सेक्टर-4 के हर मकान से बुजुर्ग, महिलाएं और युवा बाहर आ गए और चिटफंड कंपनियों का रोना रोने लगे। उसी गली में रहने वाले ओंकार ध्रुव और आशीष ने जानकारी दी कि 2005 के बाद से ही यहां गरिमा, पल्सग्रीन और एचबीएन कंपनी में पैसे जमा कराने की होड़ मच गई।
इसी दौरान गांव से गुजरने वाली रोड को फोरलेन करने का काम चालू किया गया। रोड किनारे के मकानों को तोड़ा गया। इसके एवज में लोगों को मोटी रकम मिली। उन पैसों से लोगों ने मकान बनाए। बचे पैसे चिटफंड कंपनी में लगा दिए। मकान भी गया, और पैसे भी नहीं बचे।
चाय दुकान हो या चौपाल कहीं भी खड़े लोगों से पूछो तो कहेंगे-हम भी डूब गए
आखिर रसनी क्यों है खास
तेलीबांधा थाने में रसनी गांव के पीड़ितों की सबसे ज्यादा शिकायतें हैं। थाना प्रभारी विनय दुबे का कहना हैं कि गांव वाले जब पूछताछ के लिए आते हैं, तो उन्हें देखकर नहीं लगता कि वे चार-चार, पांच-पांच लाख चिटफंड कंपनी में लगा चुके हैं।
एचबीएन, गरिमा और और पल्स ग्रीन सहित दूसरी सभी बड़ी चिटफंड कंपनियों ने अपना ऑफिस तेलीबांधा मरीन ड्राइव के आस-पास ही खोला था। इस वजह से जब कंपनियां भागीं तो पीड़ितों ने तेलीबांधा थाने में ही केस दर्ज कराया।
प्रदेश के ज्यादातर गांवों में ऐसी ठगी
पुलिस के रिकार्ड के अनुसार रायपुर, महासमुंद, सरगुजा, अंबिकापुर, बैकुंठपुर और राजनांदगांव, दुर्ग ही नहीं धमतरी, कांकेर व बस्तर के दर्जनों गांव में चिटफंड कंपनियों के पीड़ित हैं।
200 से अधिक एजेंट पर केस वापस होंगे
एसएसपी अजय यादव ने पिछले हफ्ते थानेदारों की बैठक लेकर उन्हें चिटफंड कंपनियों के एजेंटों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के निर्देश दिए। इसके लिए जरूरी कानूनी कार्रवाई करने को कहा। साथ ही कंपनियों की संपत्तियों का पता लगाकर कुर्की की कार्रवाई करने को कहा, ताकि निवेशकों को पैसे लौटाए जा सकें।
[ ●न्यूज़ डेस्क,’छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर, छत्तीसगढ़. ]
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