story

दो लघुकथा – महेश राजा

■आलोचक मित्र मित्र ने मेरी एक सामयिक रचना पर त्वरित टिप्पणी की,-"आजकल खूब अच्छा लिख रहे हो।कथ्य भी अच्छा है,पर संँस्मरण उस पर हावी हो...

लघुकथा, संघर्षशील- महेश राजा

मित्र एक रोज मेरे घर पधारे।मैंनै दरवाजे पर उनका स्वागत किया।रिक्शेवाले को उन्होंने दस रूपये का नोट दिया। रिक्शे वाले ने कहा,-"साहबजी!महंँगाई बहुत बढ गयी...

लघुकथा, दिसम्बर माह की एक सर्द सुबह -महेश राजा, महासमुंद-छत्तीसगढ़

मौसम ने एकाएक अपना मिजाज़ बदल लिया था।यह दिसंबर की अल्ल सुबह थी।वातावरण में कोहरा और नमी थी। शिव मंदिर के सामने बन रहे नये...

लघुकथा, कार्य कुशल -महेश राजा

वे मूंछों मे मुस्कुराये,-"मैं किसी भी कार्य को पैन्डिंग नहीं रखता था।जो भी फाईल मेरी मेज तक आती थी,कोई न कोई आब्जेक्शन लगाकर दूसरे प्रभाग...

लघुकथा, समझौता- महेश राजा

आफिस के सामने दो कुत्ते लड़ रहे थे।दोनों एक दूसरे पर झपटते तो लगता जैसे अपने प्रतिद्वंद्वी को नोच खायेंगे। एक सज्जन यह तमाशा देख...
1 11 12 13 14 15 17

Vehicle

Latest Vechile Updates