■लघुकथा : •दीप्ति श्रीवास्तव. 4 years ago ●उसकी गुमटी -दीप्ति श्रीवास्तव झाड़ के नीचे बढ़े हुए बाल और दाढ़ी लिए गुमसुम उदास बैठा कभी मोबाइल खोलता फिर स्क्रोल कर कोई एप देखता...
■लघुकथा : •विक्रम ‘अपना’. 4 years ago ●नोट छापने की मशीन -विक्रम 'अपना' दसवीं के बाद पोता, दादा जी से विषय चयन के लिए मार्गदर्शन लेने गया। मेडिकल स्टोर संचालक दादा जी...
■लघुकथा : •तारकनाथ चौधुरी. 4 years ago ●बाबूजी -तारकनाथ चौधुरी [ चरोदा-भिलाई, छत्तीसगढ़] नियत तिथि तक कनफर्म्ड नहीं हुई थी टिकट और मैं प्रतीक्षा सूची में ही रह गया था।भीषण गर्मी में...
■लघुकथा : •महेश राजा. 4 years ago ●मैं तुलसी तेरे आँगन की. -महेश राजा [ महासमुंद-छत्तीसगढ़ ] फोन की घंटी बज उठी।रीमा समझ गयी,राज ही होगा। अपने हाथों से ब्रश को एक...
■लघुकथा : ●डॉ. शैल चंद्रा 4 years ago ●इम्युनिटी -डॉ. शैल चंद्रा [ नगरी-छत्तीसगढ़ ] "हम लोग रोज सुबह-शाम काढ़ा पी रहे हैं। काजू बादाम पिस्ता जैसे डॉयफ्रूट खा रहे हैं।सेब, अनार ,मौसम्बी,संतरा...
■रचना आसपास : •डॉ. बलदाऊ राम साहू. 4 years ago ●छोटा सा परिवार -डॉ. बलदाऊ राम साहू [ दुर्ग-छत्तीसगढ़ ] सारे जग से सुन्दर अपना छोटा-सा परिवार। दादा-दादी, मम्मी-पापा सारे जन रहते हैं सुख हो...
■मातृत्व दिवस पर विशेष,लघुकथा- •महेश राजा 4 years ago ●माँ : जिंदगी का इम्तिहान -महेश राजा [ महासमुंद-छत्तीसगढ़ ] बच्चों के इम्तिहान का आज आखिरी दिन था।बच्चे खुश थे,अबसे दिपावली की छुट्टियां आरंभ होने...
लघु कथा : •महेश राजा. 4 years ago ●हक -महेश राजा आज त्यौहार था।पडोसी मित्र को शुभकामनाएं दी और पूछा,इस बार जुलूस,मंदिर में पूजा और समाज भोजन हो पायेगा? मित्र दर्द भरी मुस्कुराहट...
लघुकथा- महेश राजा 4 years ago ●बुकिंग -महेश राजा [ महासमुंद-छत्तीसगढ़ ] एक बहुत बड़ी कालोनी में एक मल्टी स्पेशियलिटी हास्पिटल था।बड़ा सा बोर्ड़ लगा था,हमारे यहाँ सभी तरह की बीमारी...
अपनी बात-अपनों से : •शुचि ‘भवि’ 4 years ago ●मैं भी अब पॉज़िटिव हूँ. -शुचि 'भवि' [ भिलाई-छत्तीसगढ़ ] बड़ी मुश्किल से तो नींद आती थी अब।दिन भर मानो आँखों की नमी सूखती ही...