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- ■रेलवे ने कोरोना आपदा को अवसर में बदलकर अरबों की कमाई की. ■दैनिक यात्रियों और अधिमान्य पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा. ■नार्मल होने के बाद भी अबतक शुरू नहीं हुई-एमएसटी सुविधा.
■रेलवे ने कोरोना आपदा को अवसर में बदलकर अरबों की कमाई की. ■दैनिक यात्रियों और अधिमान्य पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा. ■नार्मल होने के बाद भी अबतक शुरू नहीं हुई-एमएसटी सुविधा.
♀ रिपोर्ट, शमशीर सिवानी.
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एक ओर जहां कोरोना के कारण सभी लोगों की आर्थिक स्थिति बूरी तरह चरमराई हुई है वहीं रेलवे ने इस आपदा को अवसर में बदल कर अरबों रूपये की कमाई कर चुकी है और अभी भी कर ही रही है। कोरोना के नाम पर स्पेशल गाड़ी चलाकर उसके किराये में बेतहाशा वृद्धि कर दी है। छग सहित कई राज्यों की पिछले कई महिने से कोविड के केस ना के बराबर होने और सब नार्मल होन के बाद भी रेलवे सभी ट्रेनों को पूर्वरत नही चला रहा है और ना ही उसका किराया नार्मल कर रहा है। रेलवे ने आपदा को अवसर में बदला तो दैनिक यात्रियों को भी नही नही छोड़ा। छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में स्थिति नार्मल होने के बाद रेलवे ने लोकल और पैसेंजर ट्रेन को शुरू कर दिया लेकिन उसका किराया स्पेशल का ही है। उसको नार्मल नही कर रहा है यहां तक कि दैनिक यात्रियो को एमएसटी सुविधा एवं सरकार द्वारा अधिमान्य प्राप्त पत्रकारों को जो टे्रन के किराया में छूट मिलता था वही भी बहाल नही कर रहा है। एमएसटी सुविधा बहाल नही करने से दैनिक यात्रियों और उनके परिवार वालों में रेलवे के प्रति आक्रोश बढता जा रहा है क्योंकि दुर्ग से रायपुर जाने के लिए एमएसटी पास से केवल 185 रूपये महिने लगता था लेकिन अभी भी यह सुविधा लागू नही होने के कारण दैनिक यात्रियों और अप डाउन करने वाले अधिमान्य पत्रकारों के किराया में छूट नही मिलने से हर महिने 18 सौ रूपये महिना किराया लग रहा है जिसके कारण इनके घर परिवार का बजट गड़बड़ा रहा है। इस मामले में रेलवे बोर्ड के सदस्य एवं जनप्रतिनिधि भी यहां के मौन धारण किये हुए है।
ज्ञातव्य हो कि रेलवे के अन्य जोन में जनप्रतिनिधि के दबाव में एमएसटी की सुविधा लागू कर दी गई है। उत्तर रेलवे ने आज से ही चुनिंदा ट्रेनों में इस सुविधा को फिर से लागू कर दैनिक यात्रियों को राहत देने का काम किया है। लेकिन बिलासपुर जोन के तीनों डिवीजन के अंतर्गत रहने वाले जनप्रतिनिधियों में जनहित से जुड़े इस मसले पर उदासीनता बरकरार है। लिहाजा बिलासपुर से डोंगरगढ़ के बीच सफर करने वाले दैनिक रेल यात्रियों को स्पेशल के नाम से चल रही लोकल ट्रेनों में अतिरिक्त शुल्क के साथ टिकट लेना पड़ रहा है।
बिलासपुर रेलवे जोन के तीनों डिवीजन बिलासपुर, रायपुर व नागपुर के अंतर्गत दैनिक रेल यात्रियों को मासिक सीजन टिकट अथवा एमएसटी की सविधा नहीं मिल पा रही है। कोरोना काल की शुरुवात के बाद स्पेशल के नाम पर चल रही ट्रेनों में एमएसटी की सुविधा बंद रखी गई है। इसके चलते दैनिक यात्रियों को प्रतिदिन काउंटर से टिकट लेकर लोकल ट्रेन में सफर करना आर्थिक दृष्टि से भारी पड़ रहा है। जबकि एक्सप्रेस ट्रेनों में आरक्षण कराने की अनिवार्यता लागू रहने से दैनिक यात्रियों को तत्काल में टिकट लेकर सफर करने की सुविधा सीट खाली रहने की स्थिति में ही मिल रही है। गौरतलब रहे कि दुर्ग भिलाई से रायपुर, बिलासपुर व राजनांदगांव तक नौकरी व व्यापारिक सिलसिले में हजारों लोग प्रतिदिन ट्रेनों में आवाजाही करते हैं। कोरोना से राहत नजर आने के बाद रेलवे के बिलासपुर जोन में चले वाली कुछ लोकल ट्रेनों को शुरू किया जा चुका है। लेकिन इन सभी लोकल ट्रेनों को स्पेशल की श्रेणी में रखे जाने से किराया काफी ज्यादा लग रहा है। भिलाई से दुर्ग अथवा रायपुर जाने के लिए सामान्य दिनों में लोकल ट्रेन पर 10 रुपए का टिकट लगता था। लेकिन स्पेशल के नाम से अभी चल रही सभी लोकल ट्रेनों में न्यूनतम तीस रुपए की टिकट दर रखी गई है। लिहाजा भिलाई से दुर्ग या फिर रायपुर तक प्रतिदिन आवाजाही करने वालों को 60 रुपए खर्च करना पड़ रहा है। इस खर्च के चलते उनका घरेलू बजट गड़बड़ा रहा है। जबकि मासिक सीजन टिकट की सुविधा लागू रहने पर महज 185 से 200 रुपए के अंदर दुर्ग भिलाई से रायपुर ट्रेन में पूरे एक महीने तक सफर करने की पात्रता दैनिक यात्रियों को मिलती रही है।
185 की लग रहा 1800 रुपए
भिलाई से रायपुर के लिए मासिक सीजन टिकट महज 185 रुपए में बन जाता था। इस टिकट के साथ दैनिक यात्री पूरे महीने भर यात्रा करते थे। लेकिन अभी प्रतिदिन टिकट लेकर यात्रा करने में महीने भर के भीतर 1800 रुपए खर्च हो रहा है। एक दिन में ही भिलाई से रायपुर आने जाने में 60 रुपए लग रहे हैं। अब जब कोरोना को लेकर स्थिति लगभग सामान्य हो गई है तो दैनिक यात्रियों को एमएसटी सुविधा मिलने में हो रही देरी से लोगों में प्रतिमाह हो रहे अतिरिक्त खर्च को लेकर नाराजगी पनपने लगी है।
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