- Home
- Chhattisgarh
- ■संकेत साहित्य समिति का 40वाँ स्थापना दिवस. ■साहित्य से नयी चेतना एवं उर्जा का संचार होता है-राजकिशोर प्रसाद. ■साहित्य समितियां समाज़ हित एवं राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
■संकेत साहित्य समिति का 40वाँ स्थापना दिवस. ■साहित्य से नयी चेतना एवं उर्जा का संचार होता है-राजकिशोर प्रसाद. ■साहित्य समितियां समाज़ हित एवं राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
♀ मुख्य अतिथि राजकिशोर प्रसाद
♀ परिचर्चा विषय- ‘साहित्य उन्नयन एवं विकास में साहित्य समिति की भूमिका’.
♀ द्वितीय सत्र में कोरबा के साहित्यकारों द्वारा कविता पाठ.
♀ प्रथम सत्र का संचालन मुकेश चतुर्वेदी आभार दिलीप अग्रवाल ने किया.
♀ काव्य पाठ का संचालन दिलीप अग्रवाल, राकेश खरे ‘राकेश’ एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने किया.
♂ कोरबा
_________________________
पं.मुकुटधर साहित्य भवन में महापौर राजकिशोर प्रसाद के मुख्य आतिथ्य में संकेत साहित्य समिति का चालीसवां स्थापना दिवस दो सत्रों में बड़ी संख्या में उपस्थित साहित्यकारों के बीच संपन्न हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में समिति के सचिव राकेश खरे ‘राकेश’ ने स्वागत उद्बोधन के साथ चालीस वर्षों की गतिविधियों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र में परिचर्चा का विषय था – साहित्य के उन्नयन एवं विकास में साहित्य समिति की भूमिका। इस विषय पर अपनी बात रखते हुए संकेत साहित्य समिति के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ने कहा कि साहित्य समितियां समाज हित एवं राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परस्पर मतभेद भुलाकर इन्हें सिंचित करना चाहिए ताकि इनका अस्तित्व बरकरार रहे और नयी पीढ़ी को सदैव मार्गदर्शन मिलता रहे। मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि साहित्य से नयी चेतना एवं उर्जा का संचार होता है । उन्होंने छायावाद के प्रवर्तकों का उल्लेख करते हुए पं.मुकुटधर पांडे के अभिनव योगदान की सराहना की साथ ही भक्ति काल,वीर गाथा काल,रीति काल एवं आधुनिक काल के सभी साहित्यकारों की रचनाधर्मिता को समाज के लिए महत्वपूर्ण बताया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार मो.यूनुस दनियालपुरी,उमेश अग्रवाल एवं जे.पी.श्रीवास्तव ने भी अपने विचार प्रकट किए। प्रथम सत्र का संचालन मुकेश चतुर्वेदी ने एवं आभार प्रदर्शन दिलीप अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम के दौरान महावीर चन्द्रा ने अपनी कृति गीता के गोठ मुख्य अतिथि को भेंट किया।
द्वितीय सत्र में कोरबा के जिन साहित्यकारों द्वारा विविध विषयों से संबंधित रोचक गीत,ग़ज़ल, दोहा, सवैया एवं कविताएं प्रस्तुत की गईं उनमें डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ मो.यूनुस दनियालपुरी, उमेश अग्रवाल, जे.पी.श्रीवास्तव, इक़बाल अहमद ‘अंजान’, मुकेश चतुर्वेदी, दिलीप अग्रवाल, राकेश खरे ,महावीर प्रसाद चन्द्रा, चन्द्रशेखर शर्मा,ओम यादव,अजय सागर गुप्ता, शिवानंद श्रीवास्तव, जीतेंद्र वर्मा खैरझिटिया , निर्मल राज , बंशीलाल यादव ,बलराम राठौर,संतोष कुमार मिरी, राजकुमार सोनी, शिवकुमार साहू,रमाकान्त श्रीवास, शनि प्रधान दीपक सिंह ठाकुर,गीता विश्वकर्मा , संतोषी महंत ‘श्रद्धा’,लता चन्द्रा,रामकली कारे,वीणा मिस्त्री,अंजना सिंह ठाकुर,किरण सोनी,पूजा तिवारी कौशल्या खुराना एवं वंदना खरे का नाम प्रमुख है।
■■■ ■■■