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- ■संस्कार देती है हिंदी. वैश्विक भाषा के रूप में हिंदी पूरी क्षमता के साथ दूसरे नंबर पर आती है. हिंदी हमारे मूल्यों के साथ साथ संवेदना को भी व्यक्त करती है. पाश्चात्य संस्कृति ने हमें वैचारिक गुलाम बनाया है. हिंदी उस बंधन को तोड़ती है. सांस्कृतिक धरातल पर हिंदी बनी हुई है. वाणिज्यिक स्तर पर हिंदी के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती. संपर्क भाषा के रूप में पूरे विश्व में हिंदी बहुत तेज़ी से अपना साम्राज्य स्थापित कर रही है-डॉ. आर.एन. सिंह,प्राचार्य कला विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग.
■संस्कार देती है हिंदी. वैश्विक भाषा के रूप में हिंदी पूरी क्षमता के साथ दूसरे नंबर पर आती है. हिंदी हमारे मूल्यों के साथ साथ संवेदना को भी व्यक्त करती है. पाश्चात्य संस्कृति ने हमें वैचारिक गुलाम बनाया है. हिंदी उस बंधन को तोड़ती है. सांस्कृतिक धरातल पर हिंदी बनी हुई है. वाणिज्यिक स्तर पर हिंदी के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती. संपर्क भाषा के रूप में पूरे विश्व में हिंदी बहुत तेज़ी से अपना साम्राज्य स्थापित कर रही है-डॉ. आर.एन. सिंह,प्राचार्य कला विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग.
♀ आयोजन मुक्तकंठ साहित्य समिति.
♀ मुख्य अतिथि डॉ. आर.एन. सिंह,कार्यक्रम अध्य्क्ष गोविंद पाल, विशिष्ट अतिथि संतोष झांझी,डॉ. सुचित्रा शर्मा.
♀ प्रथम सत्र संचालन ओमप्रकाश शर्मा,आभार रामबरन कोरी ‘कशिश’.
♀ द्वितीय सत्र कवि सम्मेलन का संचालन भूषण चिपड़े, आभार डॉ. बीणा सिंह.
♂ दुर्ग
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मुक्तकंठ साहित्य समिति,भिलाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम मां सरस्वती के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलन पश्चात माल्यार्पण किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार फूल गुलदस्ते से किया गया।
नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती संतोष झांजी द्वारा शपथ दिलाई गई। 5 स्कूलों के प्राचार्य को सम्मान पत्र भेंट किया गया। संस्था के महासचिव ओम प्रकाश शर्मा को अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर अभिनंदन करते हुए शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया। समिति के अध्यक्ष द्वारा राजभाषा हिंदी पर विस्तृत आलेख प्रस्तुत किया गया।
समिति द्वारा प्रकाशित मुफ्त कंठ बुलेटिन का लोकार्पण एवं वितरण किया गया जोकि हिंदी विशेषांक के रूप में विशेष रूप से प्रकाशित किया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष गोविंद पाल ने की। उन्होंने आयोजन की सफलता एवं पत्रिका बुलेटिन के लिए सब का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुक्त कंठ शीघ्र ही अपनी साहित्यिक सक्रियता के माध्यम से प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में अपने नवोदित रचनाकारों को अवसर प्रदान करेगी। हिंदी के प्रति हमारे महापुरुषों ने जो सपना देखा है उसे हम सब मिलकर पूरा करेंगे। हिंदी ही राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित हो सकती है जो कि हिंदुस्तान के दिलों दिमाग पर राज करती है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती संतोष झांजी द्वारा हिंदी पर गायन करते हुए बेहतरीन कविता पढ़ी गई। विशेष अतिथि कला वाणिज्य महाविद्यालय दुर्ग की सहायक प्राध्यापिका डॉ सुचित्रा शर्मा ने कहा हिंदी अंतरात्मा की आवाज है।
प्रथम सत्र की आयोजन में कार्यक्रम का सफल संचालन महासचिव प्रकाश शर्मा द्वारा किया गया। आभार रामबरन कोरी उपाध्यक्ष द्वारा किया गया।
द्वितीय सत्र का कार्यक्रम कवि सम्मेलन का था जिस का संचालन उपसचिव सीए भूषण चिपड़े द्वारा किया गया। द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवित्री श्रीमती संतोष झांजी थी। अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष गोविंद पाल द्वारा किया गया। विशेष अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार आलोक नारंग एवं रजनीकांत श्रीवास्तव थे।
कविता पाठ करने वालों में यशवंत सूर्यवंशी परमानंद साहू प्रकाश चंद्र मंडल आशा राय रामबरन कोरी डॉक्टर नरेंद्र देवांगन डॉ बिना सिंह डॉ अमरनाथ शर्मा डॉक्टर नौशाद सिद्दीकी हाजी रियाज खान गोहर रुचि भावी नवेद राजा नरेश कुमार गुप्ता रितु कमल मिश्रा ओमवीर करण ओम प्रकाश जायसवाल सहित अन्य रहे। कार्यक्रम का आभार समिति के उपाध्यक्ष डॉ वीणा सिंह द्वारा किया गया।
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