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- ■स्मृति शेष●●● ■लोक साहित्यकार हरिहर वैष्णव.
■स्मृति शेष●●● ■लोक साहित्यकार हरिहर वैष्णव.
●श्यामदास वैष्णव और जयमणि वैष्णव के घर 19 जनवरी 1955 को जन्में बस्तर के दंतेवाड़ा में कथाकार एवं कवि हरिहर वैष्णव.
●बस्तर और छत्तीसगढ़ की लोक कला,संस्कृति और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान कर रहे थे-हरिहर वैष्णव.
●24 पुस्तकों के रचियता, विशेष कृति ‘लक्ष्मी जगार’ औऱ ‘बस्तर का लोक साहित्य’.
●हरिहर वैष्णव का सम्पूर्ण लेखन कर्म बस्तर पर केंद्रित है.
●मृत्यु- 23 सितंबर 2021.
लोक साहित्य में अपनी विशेष बना चुके हरिहर वैष्णव नहीं रहे.
●प्रमुख कृतियां-
-मोहभंग [कहानी संग्रह]
-लक्ष्मी जगार [बस्तर का लोक महाकाव्य]
-बस्तर का लोक साहित्य
-चलो चलें बस्तर [बाल साहित्य]
-बस्तर के तीज़ त्योहार [बाल साहित्य]
-राजा और बेल कन्या [लोक साहित्य]
-बस्तर की गीति कथाएँ [लोक साहित्य]
-धनकुल [बस्तर का लोक महाकाव्य]
-बस्तर के धनकुल गीत [शोध]
हरिहर वैष्णव को लोक साहित्य के कारण वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद का उमेश शर्मा साहित्य सम्मान मिला. इसके अलावा छत्तीसगढ़ राज्य अंलकरण पं.सुंदरलाल शर्मा साहित्य सम्मान, दुष्यंत कुमार स्मारक संग्रहालय का आंचलिक साहित्यकार सम्मान, साहित्य अकादमी का भाषा सम्मान शामिल है.
शत शत नमन●
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