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■संस्मरण : ■मैं बठिंडा का किला हूँ.
मैं एक किला हूँ । जी हाँ, मैं ‘बठिंडा’ का किला हूँ, वही किला जिसे ‘किला मुबारक’ के नाम से जाना जाता है. मैं भारत का सबसे पुराना दुर्ग हूँ । जी हाँ, आपने ठीक ही पढ़ा ,सबसे पुराना दुर्ग. वह किला जो सम्राट कनिष्क के समय में भी था. ऐसा अदभुत है मेरा इतिहास. मैं लगभग दो हज़ार वर्षों से खड़ा हूं, वह अलग बात है कि मूल निर्माण के उपरांत कई निर्माण और किये गए, विभिन्न शासकों द्वारा समय-समय पर । जिसकी वजह से आज़ मैं ईंट से बना सबसे पुराना और ऊंचा स्मारक हूँ । मैं वह किला हूँ, जिसके ऊपर शायद सबसे अधिक आक्रमण हुए हैं, कभी महमूद गजनी ने आक्रमण किया तो मुहम्मद गौरी ने. रजिया सुल्तान,जिसे भारत की पहली महिला शासक कहा जाता है उसे भी 1240 ई.के आस-पास यहीं पर कैद रखा गया था ।
फिर आया मुगलों का द्वार, सामरिक महत्व इस दौरान धीरे-धीरे घटता गया क्योंकि उनका ध्यान दिल्ली, लाहौर, कश्मीर और आगरा के ऊपर ज्यादा गया. मैं धीरे-धीरे अंधेरे में खो जाने लगा. फिर दसवें सिख गुरु श्री गोविंद सिंह जी इस किले में सन 1705 ई. आये और उनकी वजह से मेरा महत्व और बढ़ गया. मैं ‘पटियाला’ राज्य के अधीन चला गया और उसके पश्चात शासन का केंद्र बिंदु ‘पटियाला’ बन जाने से मेरा महत्व फिर घटने लगा. मेरे सबसे ऊपरी भाग में गुरुद्वारा का निर्माण करवाया गया और कालांतर में मैं ‘किला मुबारक’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
आज़ मैं ‘बठिंडा’ शहर के बिल्कुल मध्य में खड़ा हुआ हूँ. इस शहर को बदलते हुए देख रहा हूँ. कहने को तो मैं एक संरक्षित स्मारक हूँ लेकिन मेरी बदहाली देखकर किसी के भी आँखों में आँसू आ जाएंगे. मेरी ईंट की पुरानी दीवारें अब दरक रही हैं, कई जगह से टूट कर गिर गई हैं. मैं किसी तरह खड़ा रहने की,जमें रहने की कोशिश कर रहा हूँ, ताकि आने वाली पीढ़ी को इस अद्भुत विरासत के दर्शन करा सकूं. लेकिन आखिर कब तक ?
मेरे अंदर पुनरुत्थान की पूरी योग्यता है. पिछले हज़ारों वर्षों से मेरा कई बार पुनरुत्थान हुआ भी है, फिर भी पता नहीं क्यों ? मेरे ऊपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है ?●
[ लेखक अंशुमन राय ‘राजा’ का जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद, अब प्रयागराज शहर में 11 सितंबर 1987 को हुआ. अंशुमन राय की पहली पुस्तक ‘दुस्साहस’ इसी वर्ष बीएफसी पब्लिकेशन प्रा.लि.,लखनऊ से छपकर आई है. ‘दुस्साहस’ ऐसी ही जीवन संस्मरण एवं यात्रा संस्मरण से जुड़ी पुस्तक है. लेखक जहां-जहां यात्रा की या दर्शन के लिए गए, वहां की विशेष चीजों को,विरासतों को सरल और सहज रूप से कथानक में लिख दिया. भारतीय खाद्य निगम [ भारत सरकार का उपक्रम ] में प्रबंधक के पद पर इलाहाबाद से अभी पंजाब में पदस्थ हैं, ‘बठिंडा’ को हम उनकी नज़र से पढ़ सक रहे हैं, आगे और भी ‘पंजाब’ को पढ़ सकेंगे,इसी उम्मीद और शुभकामना के साथ• -संपादक । ●लेखक संपर्क-99350 34349 ]
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