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- ■गांधी जयंती पर विशेष : ■दो लघु कथाएँ. ■महेश राजा.
■गांधी जयंती पर विशेष : ■दो लघु कथाएँ. ■महेश राजा.
♀ जश्न
चौक पर बहुत भीड़ थी।काफी शोरगुल हो रहा था।
पूछने पर पता चला वे गाँधीजी की जयंती मना रहे थे।
फूलमाला आदि की औपचारिकता के बाद एक श्वेत वसन सज्जन ने खूब जोशीला भाषण सुनाया।
भीड़ छँट गयी।चुंनीदा लोग बच गये।अब वे आज के कार्यक्रम की सफलता की बात कर रहे थे।सब विश्रामगृह की ओर बढ़ चले।
पहले से ही खरीद ली गयी विशेष ब्राँड़ की सुरा उन सब का इंतज़ार कर रही थी।
आखिर कार बापू के जन्मदिन की पार्टी जो मनानी थी।
♀ पलायन
गाँधी भवन से अचानक तीनों बंदर की मूरत गायब हो गयी।लोग हैरान थे।
तीनों बंदर मायूसी से धीरे धीरे जँगल की ओर बढ़ रहे थे।जानते थे कि जँगल से उनके जात भाई भोजन-पानी के अभाव में शहर की ओर पलायन कर रहे थे।
परंतु अब उन्हें शहर में आतंकवाद और भ्रष्टाचार का प्रदूषण तकलीफ़ दे रहा था।उनकी साँसे घुट रही थी।
जँगल में कम से कम शुद्ध वायु तो नसीब होगी।
●लेखक संपर्क-
●94252 01544
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