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- ●शंकरगुहा नियोगी की हत्या. ●शोषणमुक्त छत्तीसगढ़ के सपने की हत्या.
●शंकरगुहा नियोगी की हत्या. ●शोषणमुक्त छत्तीसगढ़ के सपने की हत्या.
छत्तीसगढ़ में कुछ सपने ऐसे हैं, जिन्हें समय से पहले ही चकनाचूर कर दिया गया. इन सपनों में अनेक नाम हैं, लेकिन इन नामों ने मजदूर नेता शंकरगुहा नियोगी का सपना क्रांतिकारी औऱ परिवर्तनकारी था. इसकी झलक दल्लीराजहरा में जाकर देखने को मिली. वहां भिलाई स्टील प्लांट के खदान हैं, जहां से लौह अयस्क निकाला जाता है. वैसे तो हर खदान वाले क्षेत्र में मजदूरों के शोषण और उनकी टूटी-फूटी झोपड़ी ही पहचान होती है, लेकिन दल्लीराजहरा में मुझे उन मजदूरों के घर, उनके रहन-सहन ही अलग दिखाई पड़े. सबसे बड़ी बात उन श्रमिकों और उनके परिवार वालों के भीतर एक जागरूकता का भाव दिखा. आगे बढ़ने का भाव, शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाने का भाव,कुछ कर गुजरने का भाव. उन मजदूरों के घरों में पूजा स्थल में भगवान के साथ शंकरगुहा नियोगी की तस्वीरें भी दिखाई दी.
हमारी उत्सकुता बढ़ी तो उनके विषय में और जानकारी जुटाई,जिसे सुनकर अनुभव लगा कि आज़ शंकरगुहा नियोगी जिंदा होते तो छत्तीसगढ़ की स्थिति कुछ और ही होती. छत्तीसगढ़ स्थानीय मूल निवासियों को उचित स्थान प्राप्त होता, उनके साथ हो रहे शोषण की स्थिति ऐसी नहीं रहती. खदानों से लेकर कारखानों और सरकारी विभागों में ठेका पद्धति होती तो जरूर लेकिन उन्हें पर्याप्त वेतन और सुविधायें मिलती रहती.
शंकरगुहा नियोगी ने दल्लीराजहरा से अपनी यात्रा शुरू की थी,वहां उन्होंने इस कार्य को कर दिखाया था. उन्होंने दल्ली राजहरा में जो काम किया,उससे बड़े-बड़े कारपोरेट घराने और शोषकों की जमीन हिलने लगी थी. उन्होंने बहुत ही सामान्य काम किया, वह सामान्य काम जमीन से जुड़ा था. अपने श्रमिकों को शराब से मुक्त करवा दिया था. आज़ शराबबंदी का मुद्दा जोरशोर से उठाया जाता है लेकिन किसी सरकार या राजनीतिक दल में वह दम नहीं जो शराब बंद करा सके, क्योंकि शराब दुकानें बंद करा देंगे तो अवैध शराब बिक्री बढ़ जाएगी . लेकिन शंकरगुहा नियोगी ने सबसे निचले तबके में ऐसी जागरूकता ला दी थी कि लोगों ने शराब त्याग दिया. खासकर ऐसे वर्ग ने जिसे सबसे अधिक शराब पीने वाला कहा जाता है. उन्होंने ऐसा स्कूल खोला, जहां सबको समान रूप से शिक्षा आज़ भी मिल रही है. उन्होंने ऐसा अस्पताल खोला जो बिना किसी सरकारी मदद के आज़ भी हज़ारों लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहा है. लेकिन शंकरगुहा नियोगी का यह सपना समय से पहले ही टूट गया.
[ परिवार : ऊपर से क्रम : ●शंकरगुहा नियोगी की पत्नी आशा गुहा नियोगी ●पुत्री क्रांति गुहा नियोगी ●पुत्र जीत गुहा नियोगी ●पुत्री मुक्ति गुहा नियोगी ]
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा की स्थापना करके उन्होंने इसकी शुरूआत की थी,किंतु उनकी हत्या के बाद उनके विचार को बढ़ाने वाले ऐसे लोग नहीं मिले जो नेतृत्व कर सकें,शायद छत्तीसगढ़ उसी गलती की सज़ा भुगत रहा है.
शंकरगुहा नियोगी की हत्या 28 सितंबर 1991 को कर दी गई, जब वे मात्र 48 वर्ष के थे, उन्होंने न केवल मजदूरों की जिंदगी की बेहतरी के लिए काम किए, वेतन-भत्ते बढ़ाने के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि पूरी जिंदगी के लिए काम किया. व्यापक तौर पर सामाजिक बदलाव के नए प्रतिमान बनाए, उन्हें जमीन पर करके दिखाया. वे जन आंदोलन व सामाजिक बदलाव की एक उम्मीद बन गए.
शंकरगुहा नियोगी का जन्म जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल में हुआ. उनकी शिक्षा-दीक्षा भिलाई में हुई. उन्होंने भिलाई इस्पात संयंत्र में काम भी किया,लेकिन बाद में दल्लीराजहरा को अपनी कर्मभूमि बनाया. उन्होंने 6 साल तक जेल की यातना भी सही. नियोगी ने संघर्ष और निर्माण नाम की किताब भी लिखा है. उनकी सोच व्यापक थी. उन्होंने मजदूरों के लिए 17 विभाग बनाए, जिन पर लगातार काम होता रहा. उन्होंने ‘छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा’ का गठन भी किया,जिसके अध्य्क्ष जनकलाल ठाकुर हैं. वे एक बार विधायक भी चुने गए. दल्लीराजहरा नगरपालिका में आज़ भी मुक्ति मोर्चा का दबदबा है,लेकिन वे नियोगी के विचारों को आगे नहीं बढ़ा सके.
●’लाल जोहर’ डॉक्युमेंट्री फ़िल्म.
शंकरगुहा नियोगी की शहादत को 30 साल पूरे हो रहे हैं. इसे नमन करते हुए नियोगी के जीवन संघर्ष को लेकर निर्मित डॉक्युमेंट्री फ़िल्म ‘लाल जोहर’ वैसे तो यू ट्यूब में खूब चल रही है. फ़िल्म का निर्माण व निर्दशन ‘अपना मोर्चा डॉट कॉम’ के प्रमुख एवं पत्रकार राजकुमार सोनी ने किया है.
लगभग 45 मिनट की यह डॉक्युमेंट्री पूरे समय दर्शकों को बांधकर रखती है. फ़िल्म में नियोगी के आंदोलन से जुड़ी पृष्ठभूमि को बेहद सरल और कलात्मक ढंग से समझाया गया है. जबकि नियोगी की हत्या के बाद उपजे सवाल मन को बैचन और उद्वेलित करते हैं. जो लोग भी शंकरगुहा नियोगी के कामकाज को जानते-समझते हैं. उनके लिए यह फ़िल्म एक दस्तावेज की तरह है. फ़िल्म में भिलाई के रंगकर्मी जयप्रकाश नायर,सुलेमान खान,अप्पला स्वामी,संतोष बंजारा, शंकर राव,राजेन्द्र पेठे के अलावा दल्लीराजहरा के कलाकार कुलदीप नोन्हारे,ईश्वर, गांधीराम और किशन ने काम किया है. बैंकग्राउंड म्यूज़िक पुष्पेन्द्र साहू ने दिया है. फ़िल्म में कैमेरा व सहायक निर्देशन तत्पुरुष सोनी का है. फ़िल्म की शूटिंग दल्लीराजहरा व भिलाई में की गई है■
[ साभार : छत्तीसगढ़ आजतक ]
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