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- ■साहित्य का नोबेल पुरस्कार. ■साहित्य का नोबेल पुरस्कार : 2021 के लिए सुविख्यात उपन्यासकार अब्दुलराजाक गुर नाह को ‘पैराडाइज़’ के लिए दिया गया.
■साहित्य का नोबेल पुरस्कार. ■साहित्य का नोबेल पुरस्कार : 2021 के लिए सुविख्यात उपन्यासकार अब्दुलराजाक गुर नाह को ‘पैराडाइज़’ के लिए दिया गया.
♀ साहित्य का नोबेल पुरस्कार 2021 सुविख्यात उपन्यासकार अब्दुलराजाक गुरनाह को उनकी पुस्तक ‘पैराडाइज़’ के लिए दिया गया है. उनकी यह पुस्तक 1994 में छपकर आई थी, जो करप्शन औऱ बंधुआ मजदूरी पर केंद्रित है.
उपनिवेशवाद के प्रभावों और संस्कृतियों और महाद्वीपों के बीच की खाई में शरणार्थी के करुणामय जीवन को कहानी के मूल में रखकर बालक यूसुफ के किरदार के माध्यम से बन्धुआ मजदूरों के जीवक की कठिन और त्रासद स्थिति को रखा गया है, विश्वयुद्धों के दौरान अफ्रीकी देशों में अरब और यूरोपीय व्यापारियों द्वारा धन बल का दुरुपयोग करके जिस तरह मूल स्थानीय लोगो पर जो अत्याचार शोषण, एवम अमानवीयता का प्रदर्शन किया उस पर तल्ख टिप्पणी ही नही बल्कि उसके पीछे छुपे तथ्य को काफी गहराई व अफ्रीकी मूल के लोगो के अव्यक्त दर्द, कष्ट, को बखूबी आवाज दी है,
गुरनाह का लेखन जिस पोलिस लेखक कोनराड की शैली के करीब माना जाता है, जिन्हें 1902 का नोबेल पुरस्कार उनकी पुस्तक ‘हार्ट ऑफ डार्कनेस के लिए मिला था, संयोग से दोनों ही पुस्तकों में एक और समानता है कि दोनों ही पुस्तकों में कांगो नदी के आसपास के जीवन व परिवेश को ही कथा के आधार में रखा गया है।
गुरनाह का जन्म 1948 में हुआ था.और जांजीबार द्वीप पर उनका बचपन बीता, 1960 में वे शरणार्थी के रूप में इंग्लैंड पहुँचे, और फिर वही के होकर रह गए, हाल के वर्षों तक वे केंट विश्वविद्यालय कैंटरबरी में अंग्रेजी और औपनिवेशिक साहित्य के प्रोफेसर थे, वे उपन्यासकार हैं, जो अंग्रेजी में लिखते हैं उन्होंने 21 वर्ष की उम्र से ही अपने निर्वासन के दर्द को लिपिबद्ध करना शुरू कर दिया था, उन्होंने अपना लेखन स्वाहिली भाषा मे प्रारंभ किया किन्तु बाद में वे अंग्रेजी में लिखना शुरू किया, उन्होने अपने पुस्तकों का विषय स्वदेशी लोगों के ही दुःखमय जीवन को बनाया, इस क्रम में उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक डेजिसन(2005) लिखी जो प्रेम संबंध को विषयवस्तु बनाकर लिखी गई थी, परम्परा से हटकर लिखी इस पुस्तक में प्रेम को कुंद विरोधाभास के रूप में रखा है, जिसे वे शाही रोमांस कहते है।
गुरनाह ने 10 उपन्यास और कई लघुकथा लिखी है । उनकी पहली पुस्तक 1987 में मेमोरी ऑफ डिपार्चर आई थी, 2001 में ‘बाई द सी छपी और आखिरी पुस्तक 2020 में ऑफ्टर लाइव्स आई, उनकी पुस्तको के कथा संसार के अधिकत्तर पात्र पूर्वी अफ्रीका के तटीय इलाकों से आते है, उन्होंने अपनी कहानी का परिवेश भी वहीं से चयनित करते है।
पैराडाइज का मुख्य पात्र युसुफ जिसके पिता होटल कारोबारी है उनका कर्ज उतारने के जद्दोजहद में वह एक अरब व्यापारी के चंगुल में फंस जाता है, और बंधुआ मजदूर बन जाता है।
पूर्वी अफ्रीका के तट से दूर ज़ांज़ीबार हिन्द महासागर के एक दीप के मूल निवासी थे, 1980 से 1982 तक, अब्दुलराजाक नाइजीरिया के बेएरो विश्वविद्यालय कानो में प्राध्यापक के पद कार्यरत थे , बाद में वे केंट विश्वविद्यालय चले गए, जहां उन्होंने 1982 में पीएचडी की,। वर्तमान में वे अंग्रेजी विभाग के भीतर स्नातक अध्ययन के प्रोफेसर और निदेशक हैं. उनकी मुख्य शैक्षणिक रुचि उपनिवेशवाद के बाद के बंधुआ मजदूरी पर केंद्रित लेखन और उपनिवेशवाद से जुड़े वैश्विक परिवर्तनों में है, विशेष रूप उनका लेखन अफ्रीका, कैरिबियन और भारत से संबंधित हैं.
गुरनाह ने अफ्रीकी लेखन पर आधारित लेखों का दो खंडों में संपादन किया है, वीएस नायपॉल, सलमान रुश्दी और ज़ो विकॉम्ब सहित कई समकालीन उत्तर-औपनिवेशिक लेखकों पर विस्तृत रूप से लिखा है, वे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, के 2007 में संपादक रहे. तथा 1987 से वासाफिरी पत्रिका में सम्पादन का कार्य किया. गुरनाह ने रुश्दी, नायपॉल, जीवी देसानी, एंथनी बर्गेस , जोसेफ कॉनराड , जॉर्ज लैमिंग और जमैका किनकैड के लेखन पर अनुसंधान परियोजनाओं का विधिवत संचालन भी किया।
[ ●मिथिलेश रॉय, शहडोल, मध्यप्रदेश. ]
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