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■करवा चौथ पर विशेष : ■डॉ. नीलकंठ देवांगन.
♀ परेम अउ भरोसा परब-करवा चौथ.
♀ डॉ. नीलकंठ देवांगन.
[ शिवधाम कोडिया, जिला-दुर्ग,छ. ग. ]
कातिक महीना के अंधियारी पाख के चउथ के करवा चौथ के वरत सुहागिन स्त्री मन अपन पति के लंबी उमर खातिर रखथें |ये वरत मं खास तौर से गौरी के पूजा करथें अउ चंदा उये के बाद ओला अर्घ्य देके वरत ल तोड़थें | चंदा ल सीधा नइ देखयं, चलनी के ओट मं देखथें | फेर पति ल देखथें | पति ओला प्यार से पानी पिलाथे, तब खाना खाथे |
रिश्ता मं मिठास- समाज मं सास बहू के नकारात्मक बात, खटास सुने ल मिलथे | ये बात ह ये परब मं धुल जथे | रिश्ता मं मिठास नजर आथे | सास बहू ल अपन हाथ से सरगी खिलाथे, कपड़ा मेवा देथे त बहू सास ल उपहार देथे | सास के परेम अउ बहू के सम्मान दिखथे
| पति बर तो पूरा समरपन होथेच |
परब के प्रेरक प्रसंग- ये परब ल एक कथा ले जोड़ के देखथें | एक गांव मं करवा नांव के पतिव्रता स्त्री के पति ल नहावत बेरा मगरमछ ह पकड़ के खिंचन लगिस | ओहा करवा ल पुकारिस | करवा अईस, देखिस, पति के परान संकट मं हे | कच्चा धागा मं बांध के जमराज जगा जाके मगर ल ओखर किये के सजा दे बर ओला नरक मं भेजे के गोहार करिस | मगर के उमर तो नइ सिराय रहीसे | जमराज के नहीं कहे मं करवा ह ओला शराप देके नाश करे के बात कहिस | जमराज डर्रा गे, ओला नरक भेज दिस | ये वरत ल पूरा करत सुहागिन मन करवा से प्रार्थना करथें- हे माता, जइसे तैं अपन पति के रक्षा करेस, हमरो पति के रक्षा करबे |
विधि- ये वरत ह सौभाग्य अउ संतान देवइया आय | सुहागिन मन बिहिनिया ले नहा धो के पूजा पाठ करके वरत के संकलप लेथें, खुशी खुशी सरगी खाथें, दिन भर भक्ति भाव मं लीन रथें | दीवार मं अल्पना बनाथें | सज धज के सोला सिंगार करके पूजा करथें |सब देवता, करवा, गौरी के चित्र बनाथें |चंदा उये के परतिक्षा करथें | करवा मं पूरी कलेवा रखथें | एक मं पानी भरके अर्घ्य देथें | चलनी के ओट मं चंदा ल देखथें |चंदा, गौरी के पूजा करथें | पति ल देख के वरत खोलथें |
कथा- सात भाई के एक मयारु बहिनी वीरावती सौभाग्य अउ संतान खातिर करवा चौथ के वरत रखिस | चंदा उये
के इंतजार मं भूख प्यास मं चेहरा कुंभलागे, मुरछा होय लगिस | सोगसोगावन बहिनी के ये दशा भाई मन ल नइ देखे गिस | एक भाई दीया चलनी धर के पेड़ मं चढ़ गे | पाना के बीच ले दीया ल चलनी के ओट कर दिस | दूसर भाई मन ओला चंदा ये कहिके भरमा दिन | बहिनी ह सिरतोन मान के मुंहुं जुठार के पानी पी लिस | अइसे करिसे, ओखर पति ह मर गे | रोवा राही परगे |समझाइन बुझाइन | लाश ल रख दिन | दूसर साल जब नियम से करवा चौथ के वरत करिस, करवा माई के किरपा ले पति ह जिंदा होगे |
सोला सिंगार- ये वरत मं सुहागिन मन दुल्हिन जइसे सज के सोला सिंगार करके पूजा करथें | जानन सुहागिन मन के सोला सिंगार-
1 बिंदी, 2 कंगन चूड़ी , 3 सिंदूर, 4 काजल, 5 मेहंदी, 6 लाल कपड़ा, 7 गजरा, 8 मांग टीका, 9 नथ 10 कान के गहना, 11 मंगल सूत्र, 13 अंगूठी, 14 कमरबंद, 15 बिछिया (बिछुआ), 16 पायल |
एखर अलावा आलता घलो लगा थें |
●लेखक संपर्क-
●84355 52828
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