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■पुस्तक विमोचन : ‘सांच कहे तो मारन धावै’.
♀ राजिम : शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सभागृह में आयोजित पुस्तक विमोचन एवं चर्चा संगोष्ठी.
♀ मुख्य अतिथि रवि श्रीवास्तव, अध्य्क्ष छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन.
♀ ‘सांच कहे तो मारन धावै’,लेखक दिनेश चौहान.
♀ ‘सांच कहे तो मारन धावै’ इतिहास रचेगा-रवि श्रीवास्तव.
♀ भाषा के प्रति काम और समर्पण समृद्धि की निशानी है-विनोद साव.
■राजिम
सन् 1912 में छत्तीसगढ़ी में पंडित सुंदरलाल शर्मा द्वारा रचित ‘दानलीला’ प्रकाशित हुई जिसने राजिम को साहित्य की दुनिया में स्थापित कर दिया, उसके बाद ‘सांच कहे तो मारन धावै’ निबंध संग्रह इतिहास रचेगा। इसमें नए किस्म का शिल्प है। वैसे भी किताब से भविष्य को आशा मिलती है। साहित्यकार रास्ता दिखाने का काम करते हैं। राजिम में पंडित सुंदरलाल शर्मा से लेकर पुरुषोत्तम अनासक्त, पवन दीवान, कृष्णा रंजन, छबिलाल आशांत, मनहरण दुबे जैसे अनेक साहित्यकार हुए जिनकी लेखनी मार्गदर्शन का काम कर रही हैं। वर्तमान में भी यहां अनेक साहित्यकार है तथा साहित्य समिति बनी हुई हैं जिनके माध्यम से निरंतर भाषा प्रगाढ़ ही रही हैं। उक्त बातें शहर के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सभागृह में आयोजित पुस्तक विमोचन एवं चर्चा संगोष्ठी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के आसंदी से छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव, भिलाई ने व्यक्त किए। उन्होंने राजिम के साहित्यिक विकास पर फोकस किया तथा एक-एक साहित्यकारों का नाम लेकर उन्हें याद किया। उल्लेखनीय है कि प्रयाग साहित्य समिति के तत्वावधान में आयोजित लेखक दिनेश चौहान कृत निबंध संग्रह ‘सांच कहे तो मारन धावै’ का सर्वप्रथम मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ विमोचन हुआ पश्चात चर्चा संगोष्ठी में अतिथियों के अलावा विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार रखें। अपने स्वागत भाषण में दिनेश चौहान ने कहा कि मातृभाषा के प्रति प्रेम झलकना चाहिए। छत्तीसगढ़ी हमारी महतारी भाखा है इसलिए मंच पर आयोजित हर कार्यक्रम छत्तीसगढ़ीमय होना चाहिए। इसीलिए उन्होंने अपनी बात छत्तीसगढ़ी में कही। किताब में चार खंडों में बात रखी गई है। जिसमें एक पूरा खंड कोरोना के दूसरे पक्ष पर केंद्रित है, जिस पर पाठकों से विशेष ध्यान चाहा गया है। इससे पाठक निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दुर्ग से आए प्रसिद्ध व्यंग्यकार विनोद साव ने कहा कि भाषा के प्रति काम और समर्पण समृद्धि की निशानी है। आप हम सभी लोगों को छत्तीसगढ़ी में खूब काम करने की जरूरत है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री की जयंती बाल दिवस को याद करते हुए उन्होंने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कथन को उद्धृत किया, “पंडित जवाहरलाल नेहरू अगर राजनीतिज्ञ नहीं होते तो वह विश्व के महानतम कवि होते।” उन्होंने दिनेश चौहान के आग्रह से सहमत होते हुए कहा कि दिनेश चौहान को सुनो मत, दिनेश चौहान को पढ़ो। विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ ग्रामोद्योग मंडल के सदस्य हेमंत देवांगन पाटन ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजिम के कार्यक्रम में पहली बार सम्मिलित हुआ हूं। यह धर्म धरा है जहां खुद भगवान विष्णु राजीवलोचन के रूप में विराजमान है। जब मैं छोटा था तो अपने माता-पिता एवं दादा दादी के साथ बैलगाड़ी में राजिम आते थे और एक सप्ताह तक रुककर राजिम मेला का आनंद लेते थे। यहां संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता है। जिस तरह से तीन नदियों का संगम है उसी तरह से यहां साहित्य, संस्कृति एवं धर्म का संगम देखने को मिलता है। अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित जिला रत्नांचल साहित्य परिषद के अध्यक्ष वीरेंद्र साहू ने कहा कि इस पुस्तक के लेख हालांकि हिंदी में है। परंतु छत्तीसगढ़ी को भी इसमें स्थान दिया गया है। इनके शीर्षक समाज में फैली विसंगति पर सीधा प्रहार करती हैं। प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि यह निबंध संग्रह सच्चाई को उजागर करती है इसमें लिखित प्रत्येक सामग्री पठनीय है इसे लिखने में बहुत मेहनत लगी होगी लेकिन पढ़ने में बहुत सरलता है, यही इसकी खासियत है। धमतरी से पहुंचे वरिष्ठ अतिथि व्याख्याता सुबोध देवांगन ने सहज दिनचर्या की चिंता पर अपनी बात रखी। आगे उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा सच बोलने के लिए कलेजा एवं साहस होना चाहिए जो दिनेश चौहान के इस निबंध संग्रह में देखने को मिला है। उनमें क्षेत्रीय अस्मिता के प्रति लगाव कूट-कूट कर भरी हुई है। अपने आधार वक्तव्य में मगरलोड से पहुंचे वीरेंद्र सरल ने कहा कि इस पुस्तक में सकारात्मक विचार हैं और इनके माध्यम से समाज में बदलाव आते हैं। वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण देखने को मिलता है। निबंधों में पूरी प्रमाणिकता के साथ चौहान ने अपनी बात रखी है तथा महतारी भाषा को उचित सम्मान दिया गया है और अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। कन्या उच्च. माध्य. विद्यालय के व्याख्याता और गीतकार, गायक डॉ. संतोष शर्मा ने गीत ‘राजीवलोचन नाम है राजीव जी का धाम है…’ प्रस्तुत कर समां बांधा। शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर, संतोष सेन, सरोज कंसारी, विकास शर्मा, नूतन साहू ने कविता प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से छ.ग.प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पथिक तारक, सालिक राम शर्मा, व्यास नारायण चतुर्वेदी, आर एन तिवारी, राजेंद्र मनु, कैलाश श्रीवास्तव, कल्याणी कंसारी, तुकाराम कंसारी, नागेंद्र निषाद, फनेंद्र मोदी, विजय कश्यप दीप,भोज साहू, अवध राम साहू, धर्मेंद्र ठाकुर, संजय सोनी, सुरेश कंडरा, कोमलराम पटेल, सुदर्शन, लक्ष्मीकांत, शिवकुमार, सुमीत, प्रमोद, पुलकित, चुन्नीलाल, शांता, अक्षत, नैऋत ताम्रकार आदि अनेक लोग उपस्थित थे। आभार प्रकट निशांत चौहान ने किया।
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