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■बैठक : सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स यूनियन [ऐक्टू] की बैठक में इस्पात कर्मियों के वेतन पुननिर्धारण से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा.
■भिलाई
सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स युनियन (ऐक्टू) की बैठक युनियन कार्यालय, सेक्टर–6 में संपन्न हुई। बैठक में इस्पात् कर्मियों के वेतन पुनर्निर्धारण से जुड़े तमाम मुद्दों पर गंभीर चर्चा की गई। चर्चा करते हुए ऐक्टू के पदाधिकारियों ने इस समझौते को पूरी तरह निराशाजनक और एनजेसीएस की परिपाटी, लोकतांत्रिक प्रक्रिया व इस्पात् कर्मियों के साथ भद्दा मजाक बताया है और केंद्र सरकार व सेल प्रबंधन के इस कर्मचारी विरोधी रवैय्ये पर गहरी नाराजगी जताई है।
ऐक्टू ने कहा कि वैसे तो शुरू से ही केंद्र सरकार और सेल प्रबंधन का रवैय्या कर्मचारियों के प्रति उपेक्षात्मक और शत्रुतापूर्ण रहा है, लेकिन वे यहाँ तक गिर जाएंगे, इसकी कल्पना नहीं की थी। वस्तुतः यह वेतन समझौता कर्मियों को चिढ़ाने वाला और काफी नुकसानदेह साबित हुआ है और कार्पोरेटपरस्त केंद्र सरकार के निर्देश पर प्रबंधन ने पूरी मनमानी करते हुए एनजेसीएस को नकारखाने में डालकर इस्पात् कर्मियों के साथ अपने बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार किया है।
ऐक्टू नेताओं ने कहा कि वेतन समझौता श्रमिकों के भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है, इसलिए सर्वसम्मति के बजाय बहुमत के आधार पर किया गया समझौता श्रमिकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। यही नहीं, यह समझौता एनजेसीएस की लोकतांत्रिक परिपाटी को खत्म करने और श्रमिकों को बंधुआ बनाने की सुनियोजित साज़िश है और MOU पर हस्ताक्षर करने वाली युनियनों के साथ भी दग़ाबाज़ी है। प्रबंधन ने उन युनियनों से भी वेज-स्ट्रक्चर, स्केल और भत्तों के भुगतान जैसे विषयों पर चर्चा करना ज़रूरी नहीं समझा और MOS (Memorandum of settlement/agreement) जारी कर दिया। यह वास्तव में श्रम-सँहिताएँ लागू होने से पहले ही प्रबंधन की तानाशाही का नमूना है।
एरियर्स के भुगतान को लेकर भी प्रबंधन का रवैय्या घोर निराशाजनक और भेदभावपूर्ण है। जहाँ कर्मियों को वेतन समझौते का पूरा फायदा कायदे से 1 जनवरी, 2017 से मिलना था, वहाँ 39 माह के तमाम फायदों से वंचित कर प्रबधन द्वारा कर्मियों के श्रम को लूटा गया है। यही नहीं, अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन निर्धारण आदेश 18 नवंबर को एक साथ जारी किया गया, किंतु अधिकारियों को पर्क्स के एरियर्स का भुगतान किया गया जबकि कर्मियों को पर्क्स के एरियर्स से वंचित कर दिया गया। अगर इस आदेश को सच माना जाये तो 1 जनवरी 2017 से 31 मार्च, 2020 के बीच सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी वेतन समझौते के लाभ से ही वंचित रह जाएंगे और सेवारत कर्मियों को भी लाखों रूपयों का नुकसान उठाना होगा।
ऐक्टू ने कहा है कि कर्मचारियों और अधिकारियों के वेज-स्ट्रक्चर और पे स्केल में ज़मीन-आसमान का अंतर समझ से परे है और कर्मियों के साथ पूर्णतः सौतेला व शत्रुतापूर्ण व्यवहार है।
ऐक्टू ने प्रबंधन पर यह आरोप भी लगाया है कि कंपनी की सेवा में जीवन के महत्वपूर्ण समय लुटा देने वाले सेवानिवृत्त कर्मियों के साथ भी प्रबंधन का व्यवहार काफी असम्वेदनशील रहा है। उन्हें सम्मानजनक तरीके से उनके तमाम बकायों का भुगतान करने के बजाय घुमाया जाता है और शीघ्र ही आवास छोड़ने पर मजबूर किया जाता है। ऐक्टू ने बैठक के माध्यम से यह बताया है कि इस तथाकथित वेतन समझौते से पूर्व सेवानिवृत्त कर्मियों को अब तक सालाना बोनस (एक्सग्रेसिया) का भुगतान भी नहीं किया गया है और न ही उनके खाते में एरियर्स की राशि भेजी गई है।
ऐक्टू ने मांग की है कि–
▪️वेतन समझौते की प्रक्रिया पूर्णतः लोकतांत्रिक और NJCS की परिपाटी को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से किया जाये।
▪️वेतन समझौता 1 जनवरी, 2017 से लंबित है। अतः एरियर्स का भुगतान बिना किसी भेदभाव के 1 जनवरी, 2017 से किया जाये और अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच वेज-स्ट्रक्चर और स्केल की गहरी खाई को समाप्त किया जाये।
▪️कर्मियों के सेल पेंशन स्कीम को अधिकारियों के तर्ज पर लाभप्रद बनाया जाये और जल्द ही अंतिम रूप दिया जाये।
▪️ग्रेज्युटी वस्तुतः कर्मियों को बुढ़ापे में मिलने वाला एक ऐसा उपहार है जो उनके वृद्धावस्था में महत्वपूर्ण सहारा है। अतः उनकी ग्रेज्युटी में प्रबंधन का अंशदान शत् प्रतिशत रखा जाये।
▪️कर्मियों को हर तीन साल में पदोन्नति और हर साल 4% वेतन-वृद्धि दिया जाये।
▪️कैंटीन भत्ता 75/- रूपये प्रतिदिन दिया जाये।
▪️मकान भत्ता पुनः चालू किया जाये और कंपनी आवास छोड़ने पर एचआरआर की योजना पुनः लागू किया जाये।
▪️फेस्टिवल इन्कैशमेंट पुनः चालू किया जाये और एस-6 ग्रेड से कार अलाउंस दिया जाये।
▪️सेवानिवृत्त कर्मियों को सालाना बोनस, एरियर्स और तमाम बकायों का अविलंब भुगतान किया जाये।
▪️ठेकाश्रमिकों का वेतन पुनर्निर्धारण भी अविलंब किया जाये।
बैठक में अशोक मिरी, श्याम लाल साहू, ए शेखर राव, घनश्याम त्रिपाठी, देवानंद चौहान, मुक्तानंद साहू, शिवकुमार सिन्हा, शिवकुमार प्रसाद और दीना प्रसाद शामिल थे।
[ प्रेस नोट : श्यामलाल साहू, महासचिव ‘सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स यूनियन ऐक्टू,भिलाई, छत्तीसगढ़. ]
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