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- ■विचार गोष्ठी : ‘चंदैनी गोंदा-छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा रामचंद्र देशमुख कृतित्व एवं व्यक्तित्व’ ग्रंथ पर आयोजन.
■विचार गोष्ठी : ‘चंदैनी गोंदा-छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा रामचंद्र देशमुख कृतित्व एवं व्यक्तित्व’ ग्रंथ पर आयोजन.
■’चंदैनी गोंदा’ जिसमें उद्घोषणा ही स्क्रिप्ट का काम करती थी-डॉ. सुरेश देशमुख.
चंदैनी गोंदा के प्रथम उद्घोषक एवं सूत्रधार डॉ. सुरेश देशमुख द्वारा लिखित एवं संपादित ग्रंथ – “चंदैनी गोंदा : छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा, दाऊ रामचंद्र देशमुख (व्यक्तित्व एवं कृतित्व) पर एक विचार-गोष्ठी का आयोजन “चिन्हारी”-लोक सांस्कृतिक मंच, गुंडरदेही के संचालक देवेन्द्र कुमार देशमुख के निवास-स्थान में किया गया।
स्वागत उद्बोधन के उपरांत घरोदिहा वक्ता के रूप में ग्राम पैरी के सुप्रसिद्ध कवि, गायक और गीतकार सीताराम साहू “श्याम” और मानस मंजूषा, बालोद के संपादक डॉ. जगदीश देशमुख ने अपने विचार प्रस्तुत किये। पहुना वक्ता के रूप में जिला पंचायत धमतरी के प्रसार-प्रचार अधिकारी डुमनलाल ध्रुव ने नारायणलाल परमार और त्रिभुवन पांडेय के सानिध्य में रहकर प्राप्त किये संस्मरणों का उल्लेख किया।
दुर्ग से पधारे “छन्द के छ” के संस्थापक बताया कि उन्हें चंदैनी गोंदा के मंचीय प्रदर्शनों के अलावा ग्राम बघेरा में होने वाली रिहर्सल को भी प्रत्यक्ष देखने का सौभाग्य प्राप्त है। उन्होंने कहा कि दाऊ जी कला के पारखी थे उन्होंने लक्ष्मण मस्तुरिया, खुमानलाल साव, गिरिजाकुमार सिन्हा, संतोष टांक, भैयालाल हेडाऊ, केदार यादव, साधना यादव, अनुराग ठाकुर, कविता वासनिक जैसे, ऐसे कलाकारों की खोज की जिनका विकल्प विगत पचास वर्षों में छत्तीसगढ़ में पैदा नहीं हो पाया है। उन्होंने चंदैनी गोंदा के अनेक आयामों पर विस्तार से जानकारियाँ दीं।
मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ. सुरेश देशमुख ने बताया कि दाऊ रामचन्द्र देशमुख ने चंदैनी गोंदा की स्थापना केवल एक प्रदर्शन के लिए की थी ताकि छत्तीसगढ़ के कलाकार बघेरा के मंचन से प्रेरणा लेकर उद्देश्यपूर्ण प्रदर्शन करते हुए छत्तीसगढ़ में स्वाभिमान को जगाएँ और लोक मंचों को गरिमा प्रदान करते रहें किन्तु कुछ विद्वानों के अनुरोध पर उन्होंने चंदैनी गोंदा को नियमित रखते हुए छत्तीसगढ़ और अन्य प्रांतों में कुल 99 सफल प्रदर्शन किए। उनके सारे प्रदर्शन अव्यावसायिक हुआ करते थे। फिल्मों में पहले स्क्रिप्ट लिखी जाती है फिर गीतकारों को कहा जाता है कि सिचुएशन पर गीत लिखें लेकिन चंदैनी गोंदा में इसका उल्टा होता था। गीतकारों के गीत पहले तैयार होते थे उसके बाद उन गीतों को प्रस्तुत करने के लिए सिचुएशन तैयार की जाती थी, तदनुरूप उद्घोषणा ही स्क्रिप्ट का काम करती थी।
“चंदैनी गोंदा-छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा रामचंद्र देशमुख (कृतित्व एवं व्यक्तित्व) ग्रंथ के संदर्भ में डॉ. सुरेश देशमुख ने बताया कि 1976 में चंदैनी गोंदा के पचासवें प्रदर्शन के अवसर पर “चंदैनी गोंदा – छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा” नाम से एक स्मारिका प्रकाशित की गयी थी जिसका संपादन नारायणलाल परमार और त्रिभुवन पाण्डे ने किया था। इस स्मारिका में तत्कालीन अनेक विद्वानों ने चंदैनी गोंदा के मंचन पर लेख लिखे थे, दाऊ रामचंद्र देशमुख के समग्र व्यक्तित्व और कृतित्व पर सामग्री का समावेश उसमें नहीं था।
उस स्मारिका के प्रकाशन के लगभग पैंतालीस वर्षों बाद डॉ. देशमुख को लगा कि इस लंबी अवधि में अनेक कलाकार बिछड़ते गए हैं, नयी पीढ़ियाँ आती जा रही हैं, अब नयी पीढ़ी दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा स्थापित चंदैनी गोंदा के बारे में जानकारियाँ अधिकृत रूप से कैसे जान पाएगी ? तब पहले उन्होंने सोचा कि 1976 की स्मारिका का पुनर्प्रकाशन किया जाए, फिर विचार आया कि दाऊ जी के व्यक्तित्व और कृतित्व का भी तो दस्तावेजीकरण होना चाहिए, बस इसी विचार की परिणति है यह ग्रंथ।
चार सौ अठ्यासी पृष्ठ के इस ग्रंथ के प्रथम खण्ड में 1976 में प्रकाशित स्मारिका की सम्पूर्ण सामग्री के अतिरिक्त एक रात का स्त्रीराज, देवार डेरा, कारी और छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल को भी जोड़कर दाऊ रामचंद्र देशमुख के सम्पूर्ण कृतित्व को सहेजने का प्रयास किया गया है। द्वितीय खण्ड में दाऊ जी के व्यक्तित्व, पत्र संकलन, साक्षात्कार आदि को रखा गया है। यह एक संशोधित और परिवर्द्धित संस्करण है जिसे डॉ. सुरेश देशमुख ने उन कलाकारों को जिन्होंने चंदैनी गोंदा के यज्ञ में अपनी कला की आहुतियाँ दी, उन गीतकारों को जिनकी रचनाओं ने चंदैनी गोंदा को मधुरता प्रदान की, उन साहित्यकारों को जिन्होंने अपनी लेखनी से चंदैनी गोंदा को ऊंचाइयां प्रदान की, उन दर्शकों को जिन्होंने चंदैनी गोंदा के संदेश को आत्मसात किया और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, को समर्पित किया है।
इस विचार गोष्ठी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें दाऊ रामचन्द्र देशमुख द्वारा स्थापित चंदैनी गोंदा में प्रथम उद्घोषक व सूत्रधार डॉ. सुरेश देशमुख के साथ ही इसके संगीतकार खुमानलाल साव द्वारा बाद में संचालित चंदैनी गोंदा के वरिष्ठ कलाकार महादेव हिरवानी, राकेश साहू, गोविन्द साव आदि भी उपस्थित थे। इनमें से कुछ कलाकारों के मन में दाऊ रामचंद्र देशमुख कृत चंदैनी गोंदा और खुमानलाल साव द्वारा संचालित इसी नाम के कार्यक्रम के बारे में कुछ भ्रांतियाँ भी थीं जिन्हें डॉ. सुरेश देशमुख ने दोनों कार्यक्रमों के मूल अंतर को स्पष्ट करते हुए भ्रांतियों का निराकरण कर दिया।
विचार गोष्ठी के दौरान चंदैनी गोंदा में गीत दीया के बाती ह कहिथे, छन्नर छन्नर पैरी बाजे, मैं छत्तीसगढ़िया अंव गा, तोर धरती तोर माटी, मोर संग चलव रे आदि भी प्रस्तुत किये गए। इस आयोजन में एस एस ध्रुव (धमतरी), संतराम देशमुख “विमल”, बलदाऊ राम साहू, दरवेश आनंद,, शिवकुमार अंगारे, कृष्ण कुमार दीप, गजपति साहू, केशव साहू, पुसन साहू और चंदैनी गोंदा के अनेक प्रेमीजन व कलाकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन जयकांत पटेल ने किया। अंत में सीताराम साहू ने आभार प्रदर्शन किया।
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