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- ■भिलाई : आस्था वृद्धाश्रम परिसर में किया गया वस्त्रों का वितरण. ■नर सेवा ही नारायण सेवा.
■भिलाई : आस्था वृद्धाश्रम परिसर में किया गया वस्त्रों का वितरण. ■नर सेवा ही नारायण सेवा.
♀ विशेष उपस्थिति आचार्य डॉ. महेशचंद्र शर्मा ने कहा- ‘नर सेवा को ही नारायण सेवा’.
♀ साहित्य समाज़ का दर्पण है इसलिए संवेदना मानव में भी दिखनी चाहिये-साहित्याचार्य डॉ. शर्मा.
●’आस्था’ वृद्धा आश्रम परिसर में कपड़े वितरण करते हुए डॉ. महेशचंद्र शर्मा और ‘आस्था’ के संस्थापक प्रकाश गेडाम.
भिलाई डॉ. महेशचंद्र शर्मा यूं तो मुख्यरूप से पठन, पाठन, शोध और लेखन से जुड़े हैं किन्तु सामाजिक सरोकारों के प्रति भी उनका झुकाव रहा है। प्राचार्य रहते हुये “नेकी की दीवार” और ” रोज़गार परक प्रशिक्षण” आदि अनेक लोकप्रिय जनसरोकार के कार्यों में सक्रियता से संलग्न रहे। 42 वर्ष की शासकीय सेवा से रिटायर होने के बाद, जीवन के 66वें वर्ष में भी साहित्यसेवा के साथ समाजसेवा से जुड़े हैं। विगत दिनों वे आस्था वृद्धाश्रम परिसर भिलाई (सेक्टर-2) पहुँचे। वृद्धजनों की सेवा-शुश्रूषा में संलग्न संस्था प्रमुख प्रकाश गेडाम की भी उन्होंने सराहना की। डा. शर्मा पूरे समय श्री गेडाम के साथ रहे। आचार्य शर्मा ने मौसम के अनुकूल कपड़ों का वृद्धजनों में वितरण किया। उनके विश्राम कक्षों में जाकर डा.शर्मा ने कोट,जैकेटों और कुर्ता-पायजामों के साथ कई पेण्ट-शर्ट्स भी सौंपे। बुज़ुर्गों ने पहनकर देखे और खुशी ज़ाहिर की। उनके चेहरों पर प्रसन्नता देखते ही बनती थी●
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