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- ■डॉ. सुशील शर्मा, निदेशक अस्थिरोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, श्री मेडीशाइन हॉस्पिटल, रायपुर का नव वर्ष संदेश●●जरूर पढ़ें●●
■डॉ. सुशील शर्मा, निदेशक अस्थिरोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, श्री मेडीशाइन हॉस्पिटल, रायपुर का नव वर्ष संदेश●●जरूर पढ़ें●●
आशा है आप सब नव वर्ष के आगमन के लिए कुछ प्लानिंग कर रहे होंगे। आशान्वित होना अच्छा है और उससे भी बेहतर है, अपने उत्तम स्वास्थ्य के प्रति संकल्पित होना।
हर साल दिसम्बर का जाना और नव वर्ष का आना , जीवन में सेहत से जुड़े , संकल्पों को प्रबल बनता है ।
सुबह सैर के वक्त, मेरी मुलाकात, अमूमन हर आयु वर्ग के लोगों से होती है और सच कहूँ तो लोगो से मिलते जुलते , बहुत कुछ सीखने को मिलता है। किताबों , साहित्य , राजनीति और मूवीज़ के बाद इसी सैर – सपाटे में मुझ तक बहुत से प्रश्न आ जाते है ,जिसमें से अधिकतम् प्रश्न अर्थराइटिस याने गठियाबाद से सम्बन्धित होते है । लगभग हर आयु या वर्ग के लोग इस बीमारी और इसके लक्षणो के विषय में बातचीत करते है।
गठिया के प्रारंभिक लक्षणो मे पीठ, जोड़ो और मांसपेशियों में दर्द रहता है, सुबह के समय जकड़न महसूस होती है,प्रभावित मांसपेशियों में कठोरता और सूजन आती है। कभी कभी , त्वचा पर ,सुई चुभने जैसी
सनसनी भी होती है । अगर आप इस अवस्था से गुजर रहे है तो चिकित्कीय परामर्श ले , आरथराइटिस का इलाज पूरी तरह संभव है । इसके लिए आपको, सही समय पे सचेत होने की ज़रूरत है ।
दूसरा प्रश्न मेरे पास आता है जो मेरी विशेषज्ञता से जुड़ा हुआ है, घुटना एवं कूल्हे का जोड़ प्रत्यारोपण। जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी अब किसी मरीज के लिए मुश्किल नहीं होती क्यूंकि मरीज इसमें ऑपरेशन के दिन दूसरे दिन से ही चलने फिरने लगता है । २१ दिनों के अंदर वो अपनी दैनिक दिनचर्या में वापस लौट जाता है।
मैं नेविगेशन या कंप्यूटर एसिस्टेड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करता हूं जो कि मध्य भारत की पहली मशीन है जो हमारे अस्पताल (मेडिशाइन हॉस्पिटल )में उपलब्ध है ।इसमें मरीज का छोटे चीरे से ऑपरेशन होता है एवं ऑपरेशन के तीसरे दिन ही उसकी छुट्टी कर दी जाती है।
महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद , घुटने के जोड़ो के घिसने जैसी समस्या सामने आती है और कभी-कभी ये इतनी ज़्यादा बढ़ जाती है कि उनका चलना फिरना भी मुश्किल होने लगता है । ये समस्या उन लोगो को भी घेरती है,जिनका वजन औसत या कम है। टोटल -नी- रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद , कोई भी व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है।
मैने कुछ वर्ष पूर्व एक ९२ वर्ष की आयु के व्यक्ति की घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी की थी जो , आपरेशन के दूसरे दिन से चलने फिरने लगे । इसी प्रकार मैंने एक ९७ वर्ष के व्यक्ति का कूल्हे के जोड़ का प्रत्यारोपण भी किया जो की अभी भी स्वस्थ है एवम अपने दैनिक कार्य खुद कर रहे है।
करोना महामारी के बाद , स्टेरोइड्स के प्रयोग के बाद कुछ मरीज़ो में AVS (एवस्कुलर नेक्रॉसिस)की समस्या पैदा होने लगी। सिकलिंग के मरीज इससे प्रभावित हुए , जिसके परिणाम स्वरुप मैने अपने हॉस्पिटल में, एक AVN यूनिट की स्थापना की जहाँ, आधुनिकतम तकनीक द्वारा इसका इलाज होता है । जिसमे री-ग्रो पद्धति द्वारा मरीज के प्रभावित कूल्हे के जोड़ को बचाया जा सकता है ताकि उसे जोड़ प्रत्यारोपण की आवश्यकता ना पड़े।
रायपुर छत्तीसगढ़ , स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में, आज एक अग्रणी राज्य की भूमिका निभा रहा है । मेरे पास हमारे राज्य से जुड़े, ओडिशा, मध्य-प्रदेश और महाराष्ट्र से भी मरीज आते है।
आशा करता हूँ कि आपके कुछ प्रश्नों का उत्तर आप तक पहुंचा होगा । इस विषय पे और परामर्श के लिए आप मुझ से सम्पर्क कर सकते है ।
जीवन मूल्यवान है, इसे अच्छे स्वास्थ्य का उपहार दे।
आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना हेतु तत्पर
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