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■अपनी बात. ■सरस्वती धानेश्वर.
भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में चुनावी प्रक्रिया किसी उत्सव से कमतर नहीं है, पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के कुछ महत्वपूर्ण जिलों में शहर सरकार एवं वार्ड पार्षद के चुनाव संपन्न हुए हम सभी अपने अपने क्षेत्रों से इस चुनावी उत्सव के साक्षी रहे, और हमने इस चुनावी उत्सव के विभिन्न रुपों को प्रारंभ से लेकर अंत तक बहुत ही करीब से देखा समझा और सुना,
वाकई अपने अपने जन प्रतिनिधियों के प्रति रुझान और उनकी चुनावी गतिविधियों का हिस्सा बनना बहुत ही उत्साह पूर्ण था, चुनौती जिम्मेदारी और एक दूसरे प्रतिनिधियों से आगे निकलने की होड़ किसी प्रतिस्पर्धा से कम नहीं थी, बड़े-बड़े लुभावने उपहार एवं विकास की दिशा में भर भर के कथन गत मुहावरे, चुनावी प्रक्रिया के हिस्से रहे लोगों में अपने-अपने जनप्रतिनिधियों को लेकर चुनावी मुद्दे चर्चा के विषय रहे हर चौंक चौराहों पर चुनावी बिगुल बजते हुए देखना उत्साह जनक लगता था।
खैर चुनावी राजनीति में यह सब तो होना ही था, अब लोगों ने अपना अपना बहुमूल्य बहुमत देकर अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का चुनाव कर लिया है इस दौरान कुछ के चेहरे खिले कुछ मायूस नजर आए,हार और जीत
प्रजातंत्र में यह भी एक पहलू है।
संवैधानिक व्यवस्था के तहत जनहित और जनकल्याण के लिए कार्य करना सरकार की मूलभूत जिम्मेदारी है इन दायित्वों में जन स्वास्थ्य भी शामिल जो वर्तमान में भी बेहद सर्वोपरि
है।
सरकार का जनकल्याण जनहित और जन स्वास्थ्य के लिए कार्य करना उसका मौलिक दायित्व है।
अब चूंकि
शहर सरकार के गठन के बाद अब यह नवगठित सरकार या प्रतिनिधियों के लिए अपने घोषणापत्रों में उल्लेखित वादों को साकार करने की चुनौती बहुत ही जवाबदेह रहेगी क्योंकि अब शहर सरकार का गठन राजनीतिक पार्टिगत हो गया है तो शासित प्रदेश में पुनः दो वर्षों बाद प्रदेश सरकार का भी चुनाव अपेक्षित है और वर्तमान में यह सरकार एवं आगामी चुनाव के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका में रहेगी ऐसे तो प्रजातंत्र में सभी राजनीतिक पार्टियों के महापौर और पार्षद जनप्रतिनिधियों के रूप में चुनकर आए हैं वे सभी अपने अपने क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर रहेंगे फिर भी यह समझने योग्य रहेगा कि जिस पद और अधिकार की जिम्मेदारी मिली है उसको यह गणमान्य गण कैसे संपादित करते हैं एवं जनता की कसौटी पर कितने खरे उतरते हैं और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने में किस तरह से सहायक होते हैं।
[ सरस्वती धानेश्वर ‘विश्व शांति समिति’ एवं ‘अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन’ छत्तीसगढ़-भिलाई की निदेशक हैं ]
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