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■महाशिवरात्रि पर विशेष : विजय पंडा.
♀ पंच ग्रहों की युति और कालसर्प योग
♀ विजय पंडा
[ घरघोड़ा रायगढ़, छत्तीसगढ़ ]
देवों के देव महादेव, भूत भावन भगवान शंकर आशुतोष हैं औढर दानी हैं। भक्तों की सभी पीड़ा को दूर करके उनके सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं और याचक को सब कुछ प्रदान करते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का विशेष पर्व है। हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, तो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जानते हैं। यह शिव पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है। इस महत्वपूर्ण पर्व पर शिवजी का व्रत या उपवास करना तथा रुद्राभिषेक एवं रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है।
इस वर्ष श्री महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 दिन मंगलवार को पड़ रही है। इस वर्ष महा शिवरात्रि का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि ; इस बार मकर राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और शनि 5 ग्रहों की युति हो रही है। इसके अतिरिक्त वृष राशि में राहु और वृश्चिक में केतु विराजमान हैं। शेष सात ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हैं इसलिए पूर्ण कालसर्प योग भी बन रहा है।
इस महत्वपूर्ण दुर्लभ संयोग में क्या करें?
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इस महत्वपूर्ण दुर्लभ संयोग महाशिवरात्रि में जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उसकी शांति के लिए विशेष मुहूर्त होगा क्योंकि शिवरात्रि के समय यदि काल सर्प दोष की शांति कराई जाती है और यदि कालसर्प दोष गोचर में बन रहा हो तो यह सर्वोत्तम मुहूर्त होता है जो इस बार श्री महाशिवरात्रि को प्राप्त हो रहा है। साथ ही साथ चंद्र के साथ शनि की स्थिति विष योग का निर्माण कर रही है। जिनकी कुंडली में विष योग बना हो उनकी शांति के लिए भी विशेष मुहूर्त होगा, क्योंकि नीलकंठ महादेव ही ऐसे देव हैं जो विष योग को पूर्णत: शांत करने में सक्षम हैं।
मोक्ष प्राप्ति का साधन भी है महाशिवरात्रि
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माना जाता है कि महाशिवरात्रि के बाद अगर प्रत्येक माह शिवरात्रि पर भी मोक्ष प्राप्ति के चार संकल्पों भगवान शिव की पूजा, रुद्रमंत्र का जप, शिवमंदिर में उपवास तथा काशी में देहत्याग का नियम से पालन किया जाए तो मोक्ष अवश्य ही प्राप्त होता है। इस पावन अवसर पर शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा और अभिषेक करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
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चंद्रमा मन का कारक होता है और अमावस्या के दिन चंद्रमा का क्षय हो जाता है जिससे मनुष्य के मानसिक स्थिति पर विशेष दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। सारे विषम परिस्थितियों को दूर करने की क्षमता भगवान शिव में है इसलिए जिस प्रकार बाढ़ से पहले बांध बनाए जाते हैं उसी प्रकार अमावस्या के 1 दिन पहले कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव की पूजा की जाती है ताकि अमावस्या के दिन आने वाले विशेष संकट से बचाव हो सके।
■लेखक संपर्क-
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