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- ■कहानी : वीणा कुमारी [ झुमरी तिलैया झारखंड ]
■कहानी : वीणा कुमारी [ झुमरी तिलैया झारखंड ]
♀ दोस्ती की अहमियत
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ये फुलमतिया… चल न सनिमा देखने चलते हैं, सुने हैं एगो बहुत बढ़िया सनिमा लगा है हिंदू मुस्लिम के लड़ाई का… वैसे भी शादी के बाद से हम गए ना कहीं। बालचन्द ने घर में घुसते हुए फुलमतिया से कहा।
ना जी– बहुत पैसा खर्चा होता है सनिमा देखने में और हम सब के का करना है हिंदू मुस्लिम का सनिमा देख के। फुलमतिया ने कोई रुचि न दिखाई।
अरे पगली , तू जानती नहीं, जो भी सनिमा देखके निकल रहा है न बहुते रो रहा है, बहुते नाम ले रहा है फिलिम का –बालचन्द ने उसके दिल में सिनेमा के प्रति दिलचस्पी जगाना चाहा।
नहीं जी, हम न जायेंगे सनिमा देखने। भूल गए कल बाबूजी आ रहे हैं आँख दिखाने और रजिया बिन मांगे दू हजार रुपइया दे के गई है और बोली कि – ये फुलमतिया पैसवा न रहे से हम अम्मी के ईलाज ठीक से नहीं करा सके और अम्मी हमरा छोड़ कर चल गई, तू कौनो चिंता नहीं करना और अपन बाबूजी के ईलाज ठीक से कराना।अब आप ई बताइए कि ई सब सनिमा देख के हम अपन दोस्ती बिगाड़ लें , आग लगे अयिसन सनिमा के, जे दोस्ती तोड़वाने में लगा है। बालचन्द फुलमतिया का चेहरा ही देखता रह गया और वह गर्व से भर उठा कि उसकी अनपढ़ पत्नी पढ़े लिखे लोगों से कहीं बेहतर और समझदार है।
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