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- ■भक्तमाता कर्मा जयंती मा विशेष : दलित शोषण पीड़ित मन मा जागृति फैलाइस माता कर्मा हा-ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर’.
■भक्तमाता कर्मा जयंती मा विशेष : दलित शोषण पीड़ित मन मा जागृति फैलाइस माता कर्मा हा-ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर’.
हमर देस म पहिली राजा- महाराजा मन के सासन चलय. एखर सेती राजा जउन करय वो सही माने जाय. कतको राजा मन न्याय प्रिय रहय त कतको राजा मन दुष्ट प्रवृत्ति के घलो रहय जेन ह आने के बरगलाय मा आके गलत- सलत निर्णय सुना के जनता ला परेशान करय. अइसने विकट बेरा मा साहू समाज के अधिष्ठात्री देवी माता कर्मा के अवतरण होइस. कर्मा माता ह दलित, शोषित, पीड़ित अउ नारी मन के अधिकार बर लड़के जन जागृति फैलाय के बड़का काम करिन.
बालापन अउ बिहाव
माता कर्मा के जनम उत्तर प्रदेश के झांसी मा सम्वत 1073 मा चैत्र कृष्ण पक्ष पापमोचिनी एकादशी के दिन होय रीहिस हे . उंकर ददा के राम शाह अउ दाई के नाँव कमला बाई रीहिस हे. राम शाह हा तेल के व्यापारी के रूप मा अब्बड़ पहचान बनाय रीहिस हे. घर मा धार्मिक वातावरण राहय. घर में रोज भगवान कृष्ण के भक्ति भाव से पूजा पाठ करे जाय.
कर्मा के माता -पिता भगवान कृष्ण के भजन के सँगे सँग कर्म मा भरोसा करय. वोमन अपन पुरखौती काम तेल पेरई अउ बेचई ल मन लगाके करय.येखर
सेति परिवार हा धन धान्य से भरपूर रहय. क्षेत्र म गजब सोर उड़य . माता पिता के भक्ति अउ
कर्म के प्रभाव नोनी कर्मा पर पड़िस. कर्मा ह घर के काम -काज मा सहयोग करे के सँगे सँग भगवान कृष्ण के भक्ति मा लीन रहे ल लगिस.
नोनी कर्मा हा जब बड़े होइस ता उंकर शादी नरवरगढ़ जिला शिवपुरी (मध्य प्रदेश) के नामी तैलिक व्यापारी के बेटा के सँग करे गिस. ननपन ले भगवान कृष्ण के भक्ति भजन मा डूबे रहय ता ससुराल मा घलो घर गृहस्थी के बूता के सँगे सँग भजन ला जारी रखिस.
जन जागृति फैलाय के बूता करिस
मइके अउ ससुराल संपन्न परिवार होय अउ पढ़े लिखे होय के कारण कर्मा हा वो समय के समाज के बेवस्था के घलो अध्ययन करिस. वो देखिस कि मंदिर मन मा सिरिफ विशेष वर्ग के लोग मन ला पूजा पाठ करे के अधिकार हे . नारी मन ला अउ आने जाति के लोग मन ला ये सब ले दूर रखे गे हवय. ये सब बात हा कर्मा के मन ला नंगत के पीरा दिस अउ वोहा येखर विरुद्ध जनता के बीच जाके जन जागृति फैलाइस कि सबो मनखे एक समान होथे. भगवान हा सबो ला बराबर बनाय हे पर मनखे मन अपन स्वार्थ ला साधे बर नाना किसम के नियम बना के अन्य जाति अउ महिला मन ला पूजा पाठ से वंचित करे गे हवय.
कर्मा के ये काम ला देखके ऊँची जाति के लोग मन भड़कगे कि ये कर्मा हा तो हमर सब काम ल बिगाड़ दिही. जब सबो जाति ल समान अधिकार मिल जही ता हमर मन के का होही अइसे सोच के कर्मा के परिवार अउ राज्य के सबो तैलिक परिवार ला बरबाद करे के योजना बनाय लगिस. राजा ला कर्मा अउ तैलिक परिवार के विरुद्ध भड़काईस. संयोग ले राजा के प्रिय हाथी ला खुजली के रोग होगे. राज वैद्य हा राजा के कान भरिस कि हाथी ला तेल के कुण्ड मा नहलाय ले खुजली के रोग हा छू मंतर हो जही. परबुधिया राजा हा अपन राज के जम्मो तेली मन बर ढिंढोरा पिटवाइस कि सबो परिवार हा जउन तेल के कुण्ड बनाय गे हवय वोमा फोकट मा तेल डालत जावयँ. ये आज्ञा के पालन नइ करही ते तेली मन ला राज ले खदेड़ दे जाही .
फोकट मा तेल देय ले समाज के कंगाली होय के डर सताय लगिस फेर राजा के आज्ञा ला नइ माने ले राजा के दण्ड ले बचे खातिर तेली समाज हा तेल डालत गिस पर कुण्ड हा भरे तब. वो कुण्ड हा तो छोटे तरिया जइसे राहय!
कर्मा के भक्ति के चमत्कार
तब भक्तमाता कर्मा हा अपन भक्ति योग के सहारा लिस. भगवाव कृष्ण ला अंतस ले पुकारिस अउ किहिस कि – हे प्रभु! जइसे विपदा मा फंसे द्रोपदी के लाज बचाय रेहेव वइसनो मोरो मान -मर्यादा
ला बचा लेव प्रभु…!
तब सपना मा भगवान कृष्ण हा कर्मा ला आदेस दिस कि -मोर बात ला तँय हा धियान ले सुन. कर्मा तँय हा अपन घर ले एक घड़ा तेल लेके कुण्ड मा डाल. बाकी काम मोर हरय.
भगवान के आदेश ला मान के कर्मा हा रात मा कुण्ड मा एक घड़ा तेल डालिस . भगवान श्रीकृष्ण के कृपा ले कुण्ड हा लबालब भरगे.
बिहनिया पूरा नगर मा कर्मा के भक्ति के चर्चा होय लगिस. सब नर नारी भक्तमाता कर्मा के जय जयकार करे लगिस. हाथी के बीमारी घलो दूर होगे पर ऊंची जाति अउ राज तंत्र तैलिक परिवार अउ खास कर कर्मा के परिवार ले भइंसा बइर बांध लिस.
कुछ समय बाद कर्मा हा एक सुग्घर लइका ला जनम दिस. प्रभु के कृपा ले उंकर घर परिवार धन्य धान्य ले भरपूर होगे. पर इही बीच
कर्मा के पति के हत्या राजा हा करवा दिस पर ये बात ला छुपाके बीमारी ले मरे के खबर फैलाय गिस. ये बेरा हा कर्मा के परीक्षा के घड़ी रिहिस हे. पति के मृत्यु ले दुखी कर्मा हा वो समय के रिवाज के अनुसार सती होना चाहत रीहिस. फेर भगवान हा आकाशवाणी करिस कि – कर्मा तँय हा सती झन हो. तोर कोख मा लइका पलत हे. वोकर जनम के बाद तोला जन कल्याण के बड़का बूता करना हे. समाज के शोषित, पीड़ित मन हा तोर रस्दा देखत हे.
असहयोग आंदोलन चलाइस
कर्मा हा भगवान के आदेश ला मानके अतियाचार के विरोध मा आवाज उठाइस. वोहा संपूर्ण तैलिक समाज ला असहयोग आंदोलन करे बर जन जागृति फैलाइस. वोहा किहिस हमर देस के राजा हा परबुधिया हे. वोमा नीति नियाव के कोई गुण नइ हे. अइसन दुष्ट राजा के राज मा हमला तेल नइ बेचना हे.
कर्मा हा नरवरगढ़ रियासत ला छोड़ के सबो तैलिक परिवार के सँग अपन मइके झांसी चले गिस अउ ये प्रकार ले राज तंत्र के विरोध मा विद्रोह करिस.
समय आइस ता कर्मा हा अपन दूसर बेटा ला जनम दिस. कुछ बड़े होइस ता दूनों लइका ला अपन दाई -ददा ला सौंप के रात कुन घर ले बाहिर निकलगे. कर्मा ला तो अपन आंदोलन ला बढ़ाना रिहिस हे जेकर माध्यम ले वोहा ऊंच -नीच के भेदभाव ल मिटाके शोषिक, पीड़ित, दलित मन ला उंकर अधिकार दिलाना रीहिस हे.
ऊँच -नीच के भेदभाव मिटाय खातिर मंदिर प्रवेश
कर्मा हा पूरा उत्तर भारत
बंगाल, बिहार मा जन जागृति फैलात उड़ीसा के जगन्नाथपुरी पहुंचिस. वो बेरा मा जगन्नाथ पुरी मा पंडा पुजारी मन के नंगत बोलबाला रिहिस हे. आने जाति अउ नारी मन ला मंदिर मा प्रवेश नइ होन देय.
कर्मा ला पंडा पुजारी मन मंदिर मा प्रवेश नइ करन दिन. वोला धक्का मार के गिरा दिस कि तँय हा तेली जाति के सँगे सँग नारी हरस. तोला मंदिर मा प्रवेश करे के कोनाे अधिकार नइ हे. वोला उठा के सागर किनारे फेंकवा दिस.
तब माता कर्मा हा भगवान कृष्ण ला पुकारिस कि – हे प्रभु का तोर दरसन करे के अधिकार ऊँच जाति के लोगन मन ला हे. ये पंडा पुजारी मन हा नंगत अतियाचार करत हे प्रभु!
कर्मा हा खिलाइस भगवान ला खिचड़ी
तब भगवान कृष्ण हा साक्षात कर्मा के पास प्रगट होइस अउ वोकर बनाय खिचड़ी ल ग्रहण करिस. तब ले जगन्नाथ पुरी मा खिचड़ी हा महाप्रसाद के रूप मा सबले पहिली भोग लगाय जाथे. अउ बाद मा छप्पन प्रकार के भोग. उही समय ले भगवान जगन्नाथ पुरी के द्वार सभी जातियों और नारी मन बर खोल दे गिस.
ये प्रकार ले माता कर्मा हा अतियाचार, शोषण के विरोध करके ऊँच -नीच के भेदभाव ला मिटाय के बड़का बूता करिस. तेली समाज के सँगे सँग दलित, शोषित, पीड़ित अउ नारी मन ला अधिकार दिला के संघर्ष के प्रतीक बनिस. माता कर्मा के जीवनी ल प्रेरणा लेके हमन अपन समाज ला ऊंचा उठा सकथन.
हमर छत्तीसगढ़ अउ साहू समाज के रतन बेटी यामिनी साहू जी हा
व्यासपीठ मा बइठ के भागवक कथा सुनात हे. येहा बदलत छत्तीसगढ़ अउ बदलत साहू समाज के प्रतीक हरे.
भक्तमाता कर्मा की जय
■लेखक संपर्क-
■79746 66840
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