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■स्थापना दिवस : ‘छंद के छ’.
♀ संस्कारधानी राजनांदगांव में 8 किताबों का हुआ विमोचन.
♀ कवि सम्मेलन में छतीसगढ़ी कविताओं से कवियों ने बांधा समा.
■राजनांदगांव-
छत्तीसगढ़ी गीतों में छंदों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध प्रदेश की प्रतिनिधि संस्था छंद के छ के स्थापना दिवस के अवसर पर बीते रविवार को जिला आदिवासी गोंड भवन राजनांदगांव में राज्य स्तरीय पुस्तक विमोचन , सम्मान समारोह और राज्य स्तरीय छंदमय कवि सम्मेलन का यादगार आयोजन किया गया ।
समारोह के मुख्य अतिथि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के प्रोफेसर डॉ राजन यादव थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय महासचिव नीलकंठ गढ़े ने की । विशेष अतिथि बिलासपुर के व्याकरणविद सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ विनोद कुमार वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक वीरेन्द्र बहादुर सिंह और साहित्यकार कुबेर सिंह साहू थे । कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा छत्तीसगढ़ भाषा महतारी और मां सरस्वती के तैल चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और पूजा अर्चना के साथ हुआ । तत्पश्चात आयोजन समिति द्वारा आमंत्रित मंचस्थ अतिथियों का पुष्पहार और पुष्प गुच्छ से स्वागत किया गया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ राजन यादव ने समारोह में शामिल सभी छंद साधकों को छंदबद्ध कविताओं की विशेषताओं से अवगत कराया । उन्होंने अनेक प्रासंगिक पंक्तियों के माध्यम से हिंदी और छत्तीसगढ़ी कविता में छंदों व लोक छन्दों के प्रयोग की सविस्तार जानकारी दी । कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री नीलकंठ गढ़े ने छंद के छ परिवार द्वारा संस्कारधानी राजनांदगांव में आयोजित इस महत्वपूर्ण और वृहद प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम की सराहना की । कार्यक्रम के विशेष अतिथि डॉ विनोद कुमार वर्मा ने कहा कि हिंदी में जहां लिंग का विधान है वही छत्तीसगढ़ी में कोई लिंग का निर्धारण नहीं है । उन्होंने छंद साधकों से आग्रह किया कि वे अपनी रचनाओं में व्याकरण की तरफ भी विशेष ध्यान दें । कार्यक्रम के विशेष अतिथि वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि छंद के साधक परिवार ने केवल 6 वर्ष की अल्प अवधि में छत्तीसगढ़ी भाषा की अनेक किताबों की रचना कर छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है । एक साथ आठ पुस्तकों का विमोचन बहुत बड़ी उपलब्धि है । उन्होंने कहा कि छंद साधकों ने अपनी रचनाओं में जहां मात्राओं के अनुशासन का पालन किया है वहीं कार्यक्रम में भी स्वस्फूर्त अनुशासित रहकर कार्यक्रम को को गरिमामयऊंचाई प्रदान की है । कार्यक्रम के विशेष अतिथि साहित्यकार कुबेर सिंह साहू ने भी अपने उद्बोधन से छंद साधकों का मार्गदर्शन किया । छंद के छ के प्रमुख अरुण कुमार निगम ने कार्यक्रम में आए सभी छंद साधकों का आभार माना । उन्होंने कहा कहा कि पिछले छह साल से यह आयोजन सदस्यों के आपसी सहयोग से बिना किसी शासकीय अनुदान के सम्पन्न है । उन्होंने कहा की छंद साधकों का परिवार अपने उद्देश्य में सफल रहा है । इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे छंद साधकों ने अपनी अपनी एक छंदबद्ध कविता का पाठ कर कार्यक्रम को नई ऊंचाई प्रदान की । कार्यक्रम का संचालन अजय साहू अमृतांशु, जितेन्द्र वर्मा खैरझिया, ईश्वर साहू आरुग, ज्ञानु मानिकपुरी और अश्वनी कोसरे ने बारी बारी से किया । आभार प्रदर्शन कार्यक्रम के संयोजक महेन्द्र बघेल ने किया । इस अवसर पर इस कार्यक्रम संयोजक ओमप्रकाश साहू अंकुर , ज्ञानु मानिकपुरी, दिलीप वर्मा, बसंती वर्मा, बलराम चंद्राकर, उमाकांत टैगोर, मिलन मलरिहा, युनुस अजनबी, वीरेन्द्र कुमार तिवारी, अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा, लखन लाल साहू लहर, संतू राम गंजीर, विजेन्द्र वर्मा, गजराज दास महंत, मनीराम साहू मितान, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, नीलम जायसवाल , केंवरा यदु मीरा, इन्द्राणी साहू, पोखन लाल जायसवाल ,मीनेश कुमार साहू, सुमित्रा कामड़िया, ओमप्रकाश पात्रे, श्लेष चन्द्राकार, प्रिया देवांगन, शुची भवि, नीलम जायसवाल, सुनील शर्मा ,राजेश जगणे, धनराज साहू, गोवर्धन परतेती, डोहर साहू, बलराम सिन्हा, गजराजदास महंत सहित बड़ी संख्या में छंद साधक एवं साहित्यकारों की उपस्थिति थे । कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यक्रम संयोजक महेन्द्र कुमार बघेल मधु, कार्यक्रम संयोजक ओमप्रकाश साहू अंकुर, शेर सिंह गोड़िया आदिवासी, मीडिया प्रभारी युनुस अजनबी,
नंद किशोर साव, राज कुमार चौधरी, अमृत दास साहू, नंद कुमार साहू नादान, शिव प्रसाद लहरे, शैल शर्मा, पदमा साहू, दूज राम साहू, रोशन लाल साहू, हेम लाल सहारे, बेद राम पटेल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
आठ किताबों का हुआ विमोचन
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में छंद साधकों की 8 किताबों का बारी-बारी से विमोचन किया गया । जिन पुस्तकों का विमोचन हुआ उनमें कवियत्री आशा देशमुख की छंद चदैनी, कन्हैया साहू अमित की फुरफुंदी और जयकारी जनउला, राम कुमार चंद्रवंशी की छंद बगीचा, धनेश्वरी सोनी गुल की बरवय छंद कोठी और गुल की कुंडलियां, चोवाराम बादल की बहुरिया और कवियत्री शोभामोहन श्रीवास्तव की तैं तो पूरा कस पानी उतर जाबे रे शामिल है । विमोचित किताबों पर विद्वान संघ छंद साधक ने आधार वक्तय का वाचन किया तथा किताब के रचनाकारों ने भी अपनी बात रखी ।
रचनाकार और अतिथि हुए सम्मानित
आयोजन समिति द्वारा विमोचित किताब की लेखिका आशा देशमुख, कन्हैया साहू अमित, मनीराम साहू, बोधन राम निषाद विधायक, जगदीश हीरा साहू, रामकुमार चंद्रवंशी और धनेश्वरी सोनी गुल का शाल, श्रीफल, स्मृति प्रतीक चिन्ह तथा अभिनंदन पत्र भेंट कर भा भीना सम्मान किया गया । सम्मान के क्रम में आमंत्रित अतिथि प्रोफेसर डॉ. राजन यादव, डॉक्टर विनोद कुमार वर्मा, नीलकंठ गडे, वीरेन्द्र बहादुर सिंह और कुबेर सिंह साहू का शाल, श्रीफल भेंट कर बहुमान किया गया । इस अवसर पर छंद के छ के साधकों ने संस्थापक अरुण कुमार निगम का शाल श्रीफल भेंटकर भाव भीना सम्मान किया ।
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