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■कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी.
3 years ago
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♀ 1.दुपहरी में..
तुम्हारा रूठ जाना
जैसे सूना गाँव
दुपहरी में।
तुम्हारा मुस्कुराना
ज्यों पथिक को छाँव
दुपहरी में।
तुमसे दूर रहना
चलना नंगे पाँव
दुपहरी में।
♀ 2.जिंदगी..
जिंदगी
तुझे बीन रहा हूँ
किसी बच्चे की तरह
सागर की लहरों से
छिटके—
रंग-बिरंगी सीपियों के बीच।
♀ 3.उस हादसे के बाद..
पुरजो़र कोशिश की
तुमने मौत-
जिंदगी को बलात्
अपने साथ ले जाने की
मगर
शिकस्त ही मिली तुम्हें
शायद भूल गये थे तुम
आदमी के जिंदा रहने की कुव्वत
तुमसे ज्यादा
हिम्मतवर है।
■कवि संपर्क-
■83494 08210
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