- Home
- Chhattisgarh
- ■लघुकथा : दीप्ति श्रीवास्तव
■लघुकथा : दीप्ति श्रीवास्तव
2 years ago
278
0
♀ आलोचक
इनसे तो गाने के अलावा कोई काम ढंग से होता नहीं।
वह बेचारी चुप रही । इस संगीत के कारण ही दोनों का मिलन हुआ । आज इसी बात से यह खफा रहते हैं ।
अरे फिर क्यों किया मेरे गायन से प्रेम ?
आज प्रोग्राम था पर मन उचट गया । उदास मन से वह क्या रोमांटिक गीत गा पायेगी……
अनायास मन-मस्तिष्क ने एक साथ राग मालकौंस गा दिल में यह बात बिठाने कामयाब हो गए
। तुम्हारी काबिलियत अपने दम पर है । जिस मुकाम पर तुम हो लोग तरसते हैं । नदी क्या पत्थरों से लड़ कलकल का संगीत निकाल बहना छोड़ देती है । राह में रोड़े ही तो अति उत्तम प्रयत्न की ओर ले जाते हैं ।
तुम्हारा पूर्व प्रेमी जो अब पति के संग- संग एक आलोचक भी है । घर का आलोचक हमारी तरक्की में सहायक होता है ।
■संपर्क-
■94062 41497
●●●●● ●●●●●