• Chhattisgarh
  • ■लघुकथा : दीप्ति श्रीवास्तव

■लघुकथा : दीप्ति श्रीवास्तव

3 years ago
316

♀ आलोचक

इनसे तो गाने के अलावा कोई काम ढंग से होता नहीं।
वह बेचारी चुप रही । इस  संगीत के कारण ही दोनों का मिलन हुआ । आज  इसी बात से यह खफा रहते हैं ।
अरे फिर क्यों किया मेरे गायन से प्रेम ?
आज प्रोग्राम था पर मन उचट गया । उदास मन से  वह क्या रोमांटिक गीत गा पायेगी……
अनायास मन-मस्तिष्क ने  एक साथ राग मालकौंस गा दिल में यह बात बिठाने कामयाब हो गए
। तुम्हारी काबिलियत अपने दम पर है । जिस  मुकाम पर तुम हो लोग तरसते हैं । नदी क्या पत्थरों से लड़ कलकल  का संगीत निकाल बहना छोड़ देती है । राह में रोड़े ही तो अति उत्तम प्रयत्न की ओर ले जाते हैं ।
तुम्हारा पूर्व प्रेमी जो अब पति के संग- संग एक आलोचक भी है । घर का आलोचक हमारी तरक्की में सहायक होता  है ।

■संपर्क-
■94062 41497

●●●●● ●●●●●

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

कविता

कहानी

लेख

राजनीति न्यूज़