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- ♀ रचना आसपास : विनीता सिंह चौहान 【इन्दौर-मध्यप्रदेश 】
♀ रचना आसपास : विनीता सिंह चौहान 【इन्दौर-मध्यप्रदेश 】
2 years ago
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♀ आया सावन झूम के…
गर्मी से व्याकुल धरा तरसे ।
रिमझिम रिमझिम बरसे ।।
जब सुहानी वर्षा ऋतु आए ।
जन-जन को खुश कर जाए ।।
गर्मी का वर्षा से मिलन,
जब हुआ झूम के,
तो आया सावन झूम के….
धरा को हरित कर सावन ।
आनंदित कर गया सावन ।।
काले मेघ डराए मन मोरा ।
बन मयूर नाचे मन मोरा ।।
जब मयूर मयूरी,
युगल नृत्य करें झूम के,
तो आया सावन झूम के….
रिमझिम रिमझिम पड़े फुहार।
मध्यम मध्यम चले रे बयार।।
काले कजरारे से मेघ छाये।
राधा गोरी कान्हा संग हर्षाये।
खो जाए एक दूजे के प्रेम में,
दोनों आंखें मूंद के,
तो आया सावन झूम के….
बरसात की ठंडी ठंडी बूंदे।
प्रियतम संग नैनों को मूंदे ।
हृदय में बस खुशी झलके।।
प्रेम की बूंदे मन में भरके ।
हरियाली ओढ़कर मुस्काये,
धरती गगन को चूम के,
तो आया सावन झूम के….
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