- Home
- Chhattisgarh
- हसदेव को बचाने का संकल्प हुआ पारित, मोदी सरकार से आवंटित कोल ब्लॉक रद्द करने की मांग, सीएम ने दिया अपना समर्थन
हसदेव को बचाने का संकल्प हुआ पारित, मोदी सरकार से आवंटित कोल ब्लॉक रद्द करने की मांग, सीएम ने दिया अपना समर्थन
छत्तीसगढ़ विधानसभा ने मंगलवार को हसदेव के जंगलों का बचाने का संकल्प सर्व सम्मति से पारित किया। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह की ओर से अशासकीय संकल्प में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि वह हसदेव अरण्य क्षेत्र में आवंटित सभी कोल ब्लॉक को रद्द करे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जनभावनाओं को देखते हुए सरकार इस संकल्प का समर्थन करती है।
संकल्प पेश करते हुए विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा, छत्तीसगढ़ में 5700 मिलियन टन कोयले का भंडार है। इसमें से केवल 158 मिलियन टन का उत्पादन ही प्रतिवर्ष हो रहा है। इसे बढ़ाकर 500 मिलियन टन प्रतिवर्ष भी कर देंगे तब भी अगले 50 सालों तक केवल 25 हजार मिलियन टन कोयला ही खोद पाएंगे। इसमें 13 हजार मिलियन टन कोयला भंडार हसदेव और मांड नदी के कैचमेंट क्षेत्र के आसपास स्थित है।
वहां घना जंगल है। इसमें से भी 5 मिलियन टन कोयला भंडार, मिनी माता बांगो डैम के कैचमेंट एरिया में आता है। यह छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण बांध के जीवन से जुड़ा है। इससे 6 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में सिंचाई होती है। वर्तमान में हसदेव क्षेत्र में पांच ऐसे कोल ब्लॉक हैं जहां खनन नहीं हो रहा है। इनमें परसा और केते एक्सटेंसन दोनों राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित हैं।
गिदमुड़ी और पतुरिया को छत्तीसगढ़ पावर जेनरेशन कंपनी को दिया गया है। मदनपुर साउथ आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को आवंटित है। हम दिल्ली सरकार से अनुरोध करते हैं कि हसदेव क्षेत्र के सभी कोल ब्लॉक जहां खनन शुरू नहीं हो पाया है उन्हें निरस्त कर दिया जाए।
धर्मजीत सिंह ने कहा, सभी दलों के लोग हरिहरपुर चलकर वह जंगल देख लें। अगर वहां जाने के बाद भी आपकी इच्छा हो कि इतना खूबसूरत जंगल कट जाना चाहिए तो मैं यह कहूंगा कि ठीक है कट जाना चाहिए। आज वहां खूबसूरत वादी दिख रही है। कल खदान खुल गए तो वहां धूल-धक्कड़ और अपमान के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने केंद्र सरकार के वन (संरक्षण) नियम में बदलाव के लिए लाई गई अधिसूचना के विरोध में संकल्प पेश किया। इसमें कहा गया है कि वन क्षेत्रों में गतिविधियों की अनुमति के प्रावधानों को बदले जाने से वन क्षेत्रों में निवासरत अनुसूचित जनजाति और अन्य वनवासियों का जीवन और उनके हितों को प्रभावित करेगा ।
अत: यह सदन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन (संरक्षण) नियम-2022 से असहमति व्यक्त करते हुए वापस लेने की अनुशंसा करती है। भाजपा विधायकों ने इस संकल्प का विरोध किया। उनका कहना था कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। बाद में इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
हसदेव अरण्य के कोल ब्लॉक आवंटन की अनुमति निरस्त करने और वन नियम में संशोधन के विरोध संबंधी दोनों संकल्प केंद्र सरकार को भेजे जाने हैं। कानूनी रूप से इनका कोई बाध्यकारी प्रभाव नहीं होगा। लेकिन विधानसभा में पारित संकल्पों से कम से कम राज्य सरकार पर वनों का विनाश रोकने का नैतिक दबाव बनेगा। माना जा रहा है कि अब हसदेव के कोल ब्लॉक में नया खनन इतना आसान नहीं रह जाएगा।
हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच में स्थित एक समृद्ध जंगल है। करीब एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में 10 हजार आदिवासी हैं। हाथी, तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा जैसे जीव, 82 तरह के पक्षी, दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां पाई गई है। इसके अलावा यह हसदेव बांगो बांध का कैचमेंट क्षेत्र है। यहां से कई छोटी नदियां गुजरती हैं।