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- ▶️ छत्तीसगढ़ : 16वां अंतरराष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस 12-13 सितम्बर 2022 को रायपुर में…
▶️ छत्तीसगढ़ : 16वां अंतरराष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस 12-13 सितम्बर 2022 को रायपुर में…
रायपुर :
आदिवासी समन्वय मंच भारत और भारत के आदिवासी समुदाय द्वारा “13 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार” दिवस के अवसर पर 16 वां राष्ट्रीय आदिवासी सम्मेलन पंडित दीनदयाल सभागार, रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी में 12 और 13 सितंबर तारीख को आयोजित किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके इस राष्ट्रीय सम्मेलन की में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगी। साथ ही अशोकभाई चौधरी, गुजरात, डॉ. शांतिकर वसावा गुजरात, निकोलस बारला, दिल्ली, पोरलाल खरते, विक्रम परते मध्यप्रदेश, नक्ताराम भील, राजस्थान स्टाँलिन इंगती, असम, अरविंद नेताम, प्रा. अशोक बागुल, डॉ. सुनील पऱ्हाड महाराष्ट्र एवं आमंत्रित जन-प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे तथा मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। इससे पहले यह अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस 2016 देश की राजधानी (दिल्ली), 2017 में नागपुर (महाराष्ट्र), 2018 में रांची (झारखंड), 2019 में म्हैसूर (कर्नाटक), 2020 में भिलोडा (गुजरात), 2021 में दिफु (असम) में आयोजित किया गया था। इस वर्ष का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन रायपुर में होने जा रहा है।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में इन विषयों पर चर्चा की जाएगी
■ विकास की आधुनिक अवधारणा में आदिवासी और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
■ पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसार में आदिवासी महिलाओं की अहम भूमिका।
■ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अधिकार और आदिवासियों की वास्तविक स्थिति।
■ आदिवासी पारंपरिक ज्ञान और रीति-रिवाजों का वैज्ञानिक ज्ञान
■ आदिवासी बोलियाँ साहित्य और इतिहास।
■ पेसा अधिनियम और उन राज्यों में कार्यान्वयन की स्थिति जहां इसे अधिनियमित किया गया है।
■ वन अधिकार अधिनियम और कार्यान्वयन।
■ राष्ट्रीय जनजातीय नीति की वर्तमान स्थिति।
■ भूमि अधिग्रहण अधिनियम आदिवासियों का विस्थापन वर्तमान स्थिति।
■ आदिवासीयों की डिलिस्टिंग पर चर्चा।
■ कुछ क्षेत्रों में, आदिवासियों की मूल सूची में शामिल नहीं है, असूचिबद्ध करने पर चर्चा।
■ भारत सरकार और भारत के सर्वोच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति में 100% आरक्षण और अनुसूचित क्षेत्रों में वर्ग 3 और 4 कर्मचारी भर्ती दृष्टिकोण।
■ आदिवासी महिलाओं को संपत्ति का अधिकार।
■ फर्जी आदिवासी सर्टिफिकेट और नोकरी हासील करने पर चर्चा
■ ऍट्रॉसिटी कायदा – आदिवासी अत्याचार अधिनियम और वर्तमान स्थिति।
■ आदिवासियों के लिए पहलेसे की जनगणना में अलग कॉलम पर चर्चा देश में आदिवासियों पर अत्याचार।
■ छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी क्षेत्रों एवं अन्य क्षेत्रों में नक्सल समस्या पर चर्चा।
इन विषयों के साथ-साथ आदिवासियों की अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समस्याओं पर भी चर्चा की जाएगी।
साथ ही 12 सितंबर को शाम 5:30 बजे विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक समूहों द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। 13 सितंबर को पारंपरिक आदिवासी पोशाक में एक रैली होगी और उसके बाद इसे एक जनसभा में तब्दील किया जाएगा और विभिन्न राज्यों की समस्याओं पर सामूहिक चर्चा की जाएगी। महाराष्ट्र राज्य के प्रतिनिधि प्रा.अशोक बागुल उत्तर महाराष्ट्र, डॉ. सुनील पऱ्हाड पश्चिम महाराष्ट्र, हीरालाल भोई पूर्वी महाराष्ट्र, प्रा.मधुकर उइके मध्य महाराष्ट्र द्वारा इस राष्ट्रीय सम्मेलन पर उपस्थिती के लिए आवाहन किया गया।
13 सितंबर 2007 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आदिवासियों की सुरक्षा के लिए 46 कलमोद्वारा अधिकारों की घोषणा की। इस घोषणापत्र में आदिवासियों के अस्तित्व, अधिकारों, अधिकारों, मानवीय मूल्यों, जीवन मूल्यों और विकास की निरंतरता को ध्यान में रखते हुए, आदिवासियों के क्या अधिकार हैं, भारतीय संविधान में कौन से विशेष अधिकार दिए गए हैं और उन्हें प्रस्तुत किया जाएगा। विचार मंथन और सामुदायिक प्रस्ताव पारित करने के बाद सरकार।
राष्ट्रीय स्तर से अनुरोध किया गया है कि सभी आदिवासी भाई इस अधिकार दिवस में शामिल हों। 9 से 10 सितंबर के बीच ट्रेन से नंदुरबार, धुले, जलगांव, ठाणे, पालघर, नासिक, पुणे, नागपुर, गोंदिया, गढ़चिरौली से हजारों कार्यकर्ता रायपुर के लिए रवाना हो रहे हैं। इस में मुख्य कार्यकर्ता किसन ठाकरे, रावण चौरे, के.के. गांगुर्डे , राजेंद्र वाघले, जयवंत गारे, विजय पवार, रतन चौधरी, सुभाष गवली, चेतन खंबाईत, आनंदराव भोये, विजय घुटे, इंजीनियर गणेश भोये, प्रा. प्रदीप इम्फाल, गुलाब आहेर, सुशिल कुवर, विजय घुटे, काशीनाथ बागुल, पद्माकर बागुल, देवेंद्र धूमसे, रतन चौधरी, विलास राठौड़, रुख्मिणी गवली, सरोजताई भोये, भावना पवार/इलपाची, मंगला चौरे, बेबीताई गांगुर्डे , सरला ठाकरे, सुरेखा ठाकरे, रोहिदास डगले, शरद जाधव और जिसमें हजारों अन्य प्रमुख कार्यकर्ता शामिल हैं।
[ •प्रेषित समाचार किसन ठाकरे, सदस्य, आदिवासी समन्वय मंच भारत ]
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