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- ▶️ पितृ पक्ष पर विशेष : डॉ. नीलकंठ देवांगन
▶️ पितृ पक्ष पर विशेष : डॉ. नीलकंठ देवांगन
▶️ पूर्वज मन के प्रति श्रद्धा प्रकट करना श्राद्ध
पितर मन के निमित्त उंखर आत्मा के तृप्ति खातिर श्रद्धा पूर्वक जवुन अर्पित किये जाथे, उही श्राद्ध कहलाथे | कुवांर ( अश्विन ) महीना के अंधियारी पाख पितृ पक्ष के रूप मं जाने जाथे | माने जाथे के ये पाख मं पितृ लोक के द्वार खुल जथे अउ पितर मन अपन संतान ल देखे खातिर पृथ्वी लोक मं विचरन करथें | श्राद्ध सांसारिक जीवन ल सुखमय बनाथे, परलोक ल घलो सुधारथे | श्राद्ध करइया ल दीर्घायु, धन, विद्या, सुख प्रदान करथे |
श्राद्ध बर दोपहर के समय उत्तम माने गेहे |
सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या – श्राद्ध पितर के अवसान याने संसार से गमन करे के तिथि मं किये जाथे | लेकिन अगर दिवंगत परिजन के अवसान के तिथि याद नइ हे या कोनो कारन ले श्राद्ध पक्ष के पंद्रह दिन मं श्राद्ध नइ कर पाय, त विधि अनुसार सर्व पितृ अमावस्या मं कर सकथें, ऐसे विधान हे | सबो पितर ल ये तिथि मं श्राद्ध किये जाय के विधान के कारन ही येला सर्व पितृ अमावस्या केहे जाथे |वइसे बाल पितर बर पंचमी, महिला मन बर मातृ नवमी या सौभाग्यवती श्राद्ध, युद्ध आदि मं हत बर चौदस तिथि , काले अकाले मृत्यु पर अमावस तिथि निश्चित किये गेहे | सनातन धरम मं भादों शुक्ल पुन्नी ले कुंवार कृष्ण अमावस तक सोला दिन पितर मन बर माने जाथे |
श्राद्ध मं तिल, कुश अउ ईश्वर के ध्यान आवश्यक माने गेहे | श्राद्ध के दिन सबेरे नहाय के बाद सूर्य ल जल अर्पित करें | संकल्प बिना श्राद्ध पूरा नइ माने जाय | हाथ मं अक्षत, चंदन, फूल अउ तिल लेके पितर के तर्पन करें | ब्राह्मन, गरीब ल भोजन करावंय अउ दान दंय | अइसन करे ले पितृ दोष से मुक्ति मिलथे | बुजुर्ग के लिये श्राद्ध किये जाथे त ओखर नाती यदि भोजन करय, त बेहतर माने जाथे |
विधि – एक चौक मं पांच जगह पत्ता रखे जाथे | पत्ता तरोई, कद्दू , लौकी, गलका या केला के हो सकथे | ये पत्ता मं सोंहारी , बरा खीर अउ श्राद्ध बर बनाय भोज्य पदार्थ रखे जाथे | चौक के पश्चिम कोना मं गाय बर, दक्षिन मं कुत्ता बर, उत्तर मं कौवा बर, बीच मं देव बर अउ पूर्व मं चींटी बर रखे जाथे | येला पंच बलि कहिथें | येमा ले केवल देव वाला भोजन ही घर वाले मन खा सकथें | बाकी ल गाय, कुकुर, कौवा, चींटी आदि ल खिलाय जाथे |
साधन हीन बर विधान – श्राद्ध बर कोनो सामग्री नइ जुटा पावंय त ओखर बर विधान हे – श्राद्ध करइया ल एकांत मं जाके दुनों भुजा उठा के पितर से प्रार्थना करंय ‘ हे मोर पितर देव! मोर पास श्राद्ध बर न तो उपयुक्त धन हे, न धान्य हे | मोर जगा श्रद्धा अउ भक्ति हे | मैं एखरे ले आप ल तृप्त करना चाहत हौं, तृप्त हो जाव | ‘
संतति के पहिचान – जइसे बछड़ा बहुत अकन गाय के बीच अपन मां ल पहिचान के दूध पी लेथे, उइसने पितर मन घलो अपन वंशज द्वारा किये गये श्राद्ध ल पहिचान के भोज्य पदार्थ ग्रहन कर लेथें |
देवता अउ पितर काम मं प्रमाद नइ करना चाही
•पता –
•शिवधाम कोडिया, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़
84355 52828
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