• Chhattisgarh
  • ▪️ गांधी से कौन डरता है ❓ – आलेख, राजेंद्र शर्मा

▪️ गांधी से कौन डरता है ❓ – आलेख, राजेंद्र शर्मा

2 years ago
322

गांधी की 153वीं जयंती पर कोलकाता में एक पूजा पंडाल में जो कुछ हुआ, उसने बहुतों को चौंकाया जरूर होगा, लेकिन उसमें वास्तव में अचरज वाली कोई बात नहीं थी। दक्षिण-पश्चिम कोलकाता में रूबी क्रासिंग के पास बनाए गए पूजा पंडाल में, दुर्गा के महिषासुर-मर्दिनी रूप के चित्रण में, महिषासुर की जगह पर गांधी की मूर्ति लगा दी गयी, जिसके दुर्गा के हाथों ‘‘वध’’ का चित्रण किया गया था। यह पूजा पंडाल, आधिकारिक रूप से अखिल भारतीय हिंदू महासभा द्वारा लगाया गया था। अचरज की बात नहीं है कि जब एक पत्रकार ने इस चित्रण की तस्वीर सोशल मीडिया में डाल दी, तो काफी हो-हल्ला हुआ। इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए लोगों ने सोशल मीडिया पर पुलिस को तथा अन्य शीर्ष अधिकारियों को यह तस्वीर टैग करनी शुरू कर दी। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने भी गांधी जयंती पर ऐसी शर्मनाक हरकत की निंदा की। उसके बाद, इस पंडाल की आयोजक अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने सावरकारी ‘‘वीरता’’ की अपनी परंपरा का पालन करते हुए, गांधी के इस बेहूदा चित्रण की जिम्मेदारी लेने से इस झूठे बहाने से इंकार ही कर दिया कि ऐसा चित्रण ‘‘महज संयोग’’ था यानी जो चित्रण दिखाई दे रहा था, मूर्ति का वह आशय तो था ही नहीं!

यह भी गौरतलब है कि अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष, चंद्रचूड़ गोस्वामी ने यह सरासर झूठा तथा अस्वीकार्य बहाना बनाते हुए भी, यह बताने की कोई जरूरत तक नहीं समझी कि इस पूजा पंडाल के चित्रण का आशय क्या था? वे किस असुर का वध दिखाने चले थे, जबकि गांधी की जैसी प्रस्तुति हो गयी? जाहिर है कि ऐसा साफ-साफ झूठा बहाना बनाना इस तथाकथित हिंदुत्ववादी राजनीतिक पार्टी को इसीलिए पर्याप्त लगा, क्योंकि उसे पता था कि ‘‘राष्ट्रपिता’’ के सोचे-समझे निरादर के उसके अपराध को, विभिन्न स्तरों पर शासन में बैठे लोग ‘‘अपराध’’ तो नहीं ही मानते हैं और उसके प्रति मुखर नहीं, तो मौन-अनुमोदन से लेकर ‘‘हमें क्या’’ तक का ही भाव रखते हैं!

यह संयोग ही नहीं है कि इस शर्मनाक हरकत पर राजनीतिक पार्टियों समेत सभी ओर से काफी नाराजगी जताए जाने के बावजूद, कोलकाता पुलिस ने ‘‘कार्रवाई’’ के नाम पर, संबंधित पूजा पंडाल के आयोजकों पर दबाव डालकर, उन्हें मूर्ति शिल्प के बापू वाले हिस्से के चेहरे पर मूंछ तथा सिर पर विग लगाने के जरिए, उसे ‘बापू जैसे से गैर-बापू जैसा’ बनाने के लिए तैयार कर लेना ही ‘‘पर्याप्त’’ समझा! और हां! इसके अलावा पुलिस ने, इस पूजा पंडाल के पहले वाले चित्रण की तस्वीर सोशल मीडिया में साझा करने वाले पत्रकार को, इस महत्वपूर्ण त्यौहार में अशांति की ‘‘आशंका’’ के नाम पर, उस तस्वीर को हटाने के लिए ‘‘राजी’’ करने की मुस्तैदी जरूर दिखाई। यानी अपने हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता के विरोधी होने का दम भरने वाली और वास्तव में सबसे बढक़र इसी दावे के आधार पर तीसरी बार सत्ता में आयी तृणमूल कांग्रेस के राज में भी, इस पूरे मामले को महज ‘चित्रण की चूक तथा उसके सुधार लिए जाने’ का ही मामला बनाकर दफ्न कर देने की कोशिश की गयी है।
और यह कोशिश व निर्लज्जता तब और भी बेपर्दा हो जाती है, जब हम उसी कोलकाता में रासबिहारी में दुर्गापूजा पंडाल के बाहर मार्क्सवादी तथा प्रगतिशील साहित्य के सीपीएम के बुक स्टॉल पर, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के गुंडों के हमले और इस हमले का विरोध करने पर, तृणमूल के गुुंडों तथा ममता राज की पुलिस के संयुक्त हमले और बाद में इसी सिलसिले में सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य समेत अनेक बुद्घिजीवियों व कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों की खबर पर गौर करते हैं! और रही बात हिंदुत्ववादी कुनबे की हिंदू महासभा द्वारा बापू के उक्त अपमान के खिलाफ केंद्र की उस सरकार की, जो अपने हिंदुत्ववादी होने को तमगे की तरह धारण करती है, उसने तो इस सब को देखते हुए भी, नहीं देखने की मुद्रा अपनाना ही काफी समझा। इस तरह, आजादी के पचहत्तर साल बाद, तथाकथित ‘‘अमृत काल’’ के नाम पर देश उस जगह पर तो पहुंच ही चुका है जहां महात्मा गांधी कहने को भले ही ‘‘राष्ट्रपिता’’ बने हुए हों, बिना किसी तरह के दंड या जवाबदेही की चिंता के, उनकी हत्या की अभिलाषा के प्रदर्शन समेत, उनका सार्वजनिक रूप से अपमान किया जा सकता है!

जाहिर है कि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब खुद को हिंदुओं के हितों का रखवाला बताने वालों ने महात्मा गांधी के प्रति सार्वजनिक रूप से अपनी हत्याभिलाषी घृणा का प्रदर्शन किया है। इस घृणा का सबसे जघन्य प्रदर्शन तो देश के स्वतंत्र होने के फौरन बाद, 30 जनवरी 1948 को ही कर दिया गया था, जब बिड़ला भवन में प्रार्थना सभा में जा रहे निहत्थे गांधी की षड्ïयंत्रपूर्वक हत्या कर दी गयी थी। गिनती के हिसाब से यह गांधी की हत्या की पांचवीं या छठी कोशिश थी, जिसमें हत्यारे अपने मंसूबों में कामयाब रहे थे। इससे पहले, इसी हमले के चंद दिन पहले की गयी विफल कोशिश के अलावा, एक बम विस्फोट के जरिए भी हत्या की एक कोशिश की गयी थी और एक कोशिश 1943 में नाथूराम गोडसे द्वारा ही गांधी पर चाकू से हमले की भी की गयी थी। गोडसे द्वारा ही गांधी की हत्या की उक्त पहले की कोशिश से यह साफ है कि हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता की ताकतों द्वारा बाद में लगातार किए जाते रहे प्रचार के विपरीत, जिसको मौजूदा सत्ताधारी हलकों का बहुत भारी अनुमोदन हासिल है, गांधी की हत्या का देश के विभाजन से पैदा हुई उत्तेजना से कुछ लेना-देना नहीं था। उल्टे ऐतिहासिक तथ्य तो यह है कि गांधी ने ही सबसे मजबूती से और अंत-अंत तक विभाजन का विरोध किया था।
इसके उलट, न सिर्फ वी डी सावरकर ने हिंंदू महासभा के अध्यक्ष के नाते, पहले-पहल द्विराष्ट्र यानी हिंदुओं और मुसलमानों के अलग-अलग राष्ट्र होने का सिद्धांत तथा हिंदुओं के लिए हिंदू राष्ट्र का दावा पेश किया था, जिसको बाद में मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान की मांग में तार्किक परिणाम तक पहुंचाया था; तीस के दशक के आखिर में भारत की इच्छा के बिना ही उसे जबर्दस्ती विश्व युद्घ में धकेलने के ब्रिटिश हुकूमत के फैसले के खिलाफ जब कांग्रेस ने प्रांतीय सरकारों से इस्तीफा दे दिया था, सावरकर के ही नेतृत्व में हिंदू महासभा ने, इसे अपने लिए अच्छा मौका मानकर मुस्लिम लीग के साथ बंगाल, पंजाब तथा सीमांत प्रांत समेत, अनेक प्रांतीय सरकारें बनायी थीं। इसी दौरान हिंदू महासभा तथा उसकी साझे की सरकारों द्वारा ब्रिटिश हुकूमत को, भारत छोड़ो आंदोलन समेत, ब्रिटिश राज के विरोध के आंदोलनों को निर्ममता से कुचलने के लिए मशविरे दिए जाने समेत, हर प्रकार की सहायता मुहैया करायी जा रही थी।

दिलचस्प है कि गांधी की हत्या की इन पांच-छह कोशिशों में, सिर्फ पहली कोशिश का ही परोक्ष संबंध विदेशी ब्रिटिश हुकूमत से था, जिसमें चम्पारण में गांधी के नील की खेती करने वाले किसानों को जगाने से बौखलाए, नील की खेती कराने वाले एक ब्रिटिश मैनेजर ने, गांधी को भोजन पर आमंत्रित करने के बाद, अपने मुस्लिम खानसामा से गांधी को खाने में जहर दिलाने की कोशिश की थी। लेकिन, बत्तख मियां नाम के खानसामे ने, ब्रिटिश अफसर का मनचाहा करने से इंकार कर दिया और गांधी को, अंतत: हिंदुओं के हितों के रक्षक होने का दावा करने वालों द्वारा षडयंत्रपूर्वक मारे जाने से बचा लिया।

जैसाकि सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री तथा उपप्रधानमंत्री की हैसियत से, गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाते हुए और सावरकर को गांधी की हत्या के षडयंत्र के लिए आरोपी बनाने समेत, हिंदू महासभा पर कड़ी कार्रवाई करते हुए कहा था, इन संगठनों की नफरत की विचारधारा ने वह हिंसक नफरत का वातावरण बनाया था, जिसमें अनेक निर्दोषों की जानें गयी थीं और इनमें एक सबसे अमूल्य प्राण बापू के थे। यह हिंसक नफरत सिर्फ बापू के लिए नहीं थी। यह हिंसक नफरत तो राष्ट्र के उस समावेशी विचार के खिलाफ थी, जो भारत में रहने वाले सभी लोगों को बराबरी के दर्जे का भरोसा दिलाते हुए, ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में एकजुट करता था। सभी भारतीयों की समानता और एकता से ही, एक ओर विदेशी हुकूमत को सबसे ज्यादा डर लगता था और दूसरी ओर, आरएसएस तथा हिंदू महासभा जैसी ब्राह्मणवादी सांप्रदायिक ताकतों को तथा उनके मुस्लिम समकक्षों को भी। अचरज नहीं कि आजादी की लड़ाई के लंबे दौर में अनेक महत्वपूर्ण मुकामों पर, जिनमें से भारत छोड़ो आंदोलन तो सिर्फ एक है, हिंदू और मुस्लिम दोनों की एक-दूसरे के खिलाफ हिमायती होने की दावेदार सांप्रदायिक ताकतें, भारतीय जनता के ब्रिटिश उत्पीडक़ों के पीछे खड़ी रही थीं।

इससे भी महत्वपूर्ण यह कि ये सांप्रदायिक ताकतें खासतौर पर बीसवीं सदी के बीस, तीस तथा चालीस के दशकों में लगातार, ब्रिटिश-विरोधी राष्ट्रीय आंदोलन को उसी प्रकार भीतर से तोडऩे में लगी रही थीं, जैसे अधिकांश देसी राजे-रजवाड़े लगे रहे थे।
समावेशी राष्ट्रवाद बनाम परवर्जी या बहिष्कारी राष्ट्रवाद की इस लंबी लड़ाई में, महात्मा गांधी चूंकि समावेशी राष्ट्रवाद के सबसे बड़े और सबसे असरदार झंडाबरदार थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन में आम भारतीयों को खींचने में अकल्पनीय कामयाबी हासिल की थी, विदेशी हुकूमत तो उन्हें अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानती ही थी, ये सांप्रदायिक ताकतें भी उन्हें ही अपनी राह का सबसे बड़ा रोड़ा मानती थीं। जहां मुस्लिम सांप्रदायिकता की ताकतें इस समावेशी राष्ट्रवाद का प्रतिनिधित्व करने वाले मौलाना आजाद, खान अब्दुल गफ्फार खां जैसे मुस्लिम नेताओं को खासतौर पर निशाने पर रखती थीं, वहीं हिंदू सांप्रदायिकता की ताकतों की नफरत गांधी पर और भी ज्यादा केंद्रित थी, जिन्होंने ‘‘महात्मा’’ की अपनी साख का सहारा लेकर, हिंदुओं के सांप्रदायीकरण की उनकी कोशिशों को न सिर्फ बहुत मुश्किल बना दिया था, बल्कि उसी साख के सहारे, खुद को हिंदू मानने वालों के बीच सदियों से जमी हुई छूआछुत पर केंद्रित जातिवादी व्यवस्था की वैधता को भी, काफी कमजोर कर दिया था। यही नफरत, गांधी को हिंदुओं के तथाकथित सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बरक्स, जो कि वास्तव में धर्म-आधारित सवर्ण राष्ट्रवाद ही था, ‘‘भौगोलिक राष्ट्रवाद’’ का पैरोकार घोषित करने से लेकर, उन्हें हिंदुओं का असली दुश्मन घोषित करने तक जाती थी।

ठीक यही सांप्रदायिक नफरत आजादी के फौरन बाद उनकी हत्या तक ले गयी। यह नफरत विभाजन की त्रासदी के शिकार हिंदुओं की तकलीफों तथा गुस्से को भुनाने की कोशिश तो थी, लेकिन न उसका नतीजा थी और न उसका बदला। वह तो उन अस्थिर हालात में, नये शासन के स्थिरता हासिल करने से पहले ही, हिंसा के जरिए सत्ता पर काबिज होने की आखिरी हताश कोशिश के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा को हटाने की सुनियोजित कार्रवाई थी। लेकिन, हिंदू सांप्रदायिकता की ताकतों के दुर्भाग्य से उनकी यह चाल बिल्कुल उल्टी पड़ गयी। सरदार पटेल के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने उन पर फौरी तौर पर पाबंदियां तो लगायी हीं, गांधी की हत्या ने इन ताकतों को किसी भी प्रकार की सत्ता से, बहुत-बहुत दूर धकेल दिया।

लेकिन, हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता की ताकतों ने भी अपना खेल बिगाडऩे के लिए, गांधी को कभी माफ नहीं किया। उनकी कतारों में पर्दे के पीछे, हमेशा गोडसे का महिमा मंडन चलता रहा और गोडसे की ‘‘गांधी वध क्यों?’’ को अनिवार्य शिक्षण के तौर पर कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों को पढ़ाया जाता रहा। गुमचुप तरीके से गांधी की प्रतिमाओं को विकृत भी किया जाता रहा और प्रकटत: उन्हें राष्ट्रपिता मानने से इस आधार पर इंकार भी किया जाता रहा कि हमारे इतने पुराने राष्ट्र का, ऐसा कोई ऐतिहासिक पुरुष कैसे ‘‘राष्ट्रपिता’’ हो सकता है? और अब जबकि हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता की इन ताकतों के हाथ में असली सत्ता आ चुकी है, न सिर्फ इतिहास को बदलकर गांधी, भगतसिंह और नेताजी के साथ सावरकर को बैठाया जा रहा है, बल्कि गांधी की हत्या को ही अगर उचित नहीं भी ठहराया जा रहा है, तब भी आधिकारिक रूप से छुपाया तो जरूर ही जा रहा है। यह गांधी को स्वच्छता मिशन के ब्रांड एंबेसडर तक सीमित करने के जरिए ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि पाठ्यपुस्तकों में यह पढ़ाने की कोशिशों के जरिए भी किया जा रहा है कि गांधी को किसी गोडसे नहीं मारा था; उन्होंने या तो आत्महत्या की थी या प्राकृतिक कारणों से उनकी मौत हुई थी।

उधर सार्वजनिक स्तर पर, गोडसे को देशभक्त साबित करने से लेकर, उसके मंदिर बनाने तक की कोशिशें मौजूदा हिंदुत्ववादी राज में ज्यादा से ज्यादा जोर पकड़ती गयी हैं। इसी सिलसिले की एक कड़ी के तौर पर दो साल पहले गांधी जयंती पर ही अलीगढ़ में हिंदू महासभा की नेता पूजा शकुन पांडे ने, जो उसके बाद से प्रमोशन पाकर बहुत ऊंची व उग्र साध्वी बन गयी हैं, एक वीडियो रिकार्डेड प्रदर्शन में, गोडसे का कृत्य दोहराते हुए, गांधी के पुतले पर, जिसमें खून का आभास देने वाला बाकायदा लाल रंग का गाढ़ा तरल भरा गया था, तीन गोलियां मारी थीं। भारतीयों की एकता के सबसे बड़े पुजारी, गांधी के प्रति इसी हत्याभिलाषी नफरत को, बंगाल की पौने दो इंजन की सरकार के सहारे, दुर्गा के हाथों असुर-गांधी के वध तक पहुंचाया गया है। यह भी संयोग ही नहीं है कि इससे पहले ही, इसका सुझाव भी आ चुका था कि अब आरएसएस सुप्रीमो, भागवत को ‘‘राष्ट्रपिता’’ घोषित कर दिया जाना चाहिए!

अगली 30 जनवरी को, गांधी की हत्या के 75 साल पूरे हो जाएंगे। बेशक, उस डेढ़ पसली के शख्श का कुछ तो डर है कि हिंदुत्ववादी, उसे मार कर 75 साल बाद भी निश्चिंत नहीं हो पाए हैं और बार-बार मारते ही जा रहे हैं।

[ •लेखक राजेंद्र शर्मा ‘ लोकलहर ‘ के संपादक हैं ]

🟥🟥🟥🟥🟥🟥

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

breaking Chhattisgarh

पटवारी के पद पर चार आवेदकों को मिली अनुकम्पा नियुक्ति

breaking Chhattisgarh

रायपुर दक्षिण पर भाजपा की ऐतिहासिक जीत पर मुख्यमंत्री साय ने दी बधाई, कहा – हमारी सरकार और पीएम मोदी पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद

breaking Chhattisgarh

बृजमोहन के गढ़ में सालों से बना रिकॉर्ड बरकरार, सुनील सोनी ने भाजपा को दिलाई ऐतिहासिक जीत, सुनिए सांसद अग्रवाल ने क्या कहा ?

breaking Chhattisgarh

महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बीच सीएम एकनाथ शिंदे की आई प्रतिक्रिया, CM चेहरे पर BJP को दे डाली नसीहत

breaking Chhattisgarh

रायपुर दक्षिण सीट पर सुनील सोनी जीते, कांग्रेस के आकाश शर्मा को मिली करारी मात

breaking Chhattisgarh

घोटाले को लेकर CBI के हाथ लगे अहम सबूत, अधिकारी समेत उद्योगपति को किया गया गिरफ्तार

breaking Chhattisgarh

इस देश में पाकिस्तानी भिखारियों की बाढ़; फटकार के बाद पाकिस्तान ने भिखारियों को रोकने लिए उठाया कदम

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर मंडराया खतरा! क्यों राइस मिलरों ने कस्टम मिलिंग न करने की दी चेतावनी?

breaking Chhattisgarh

छत्‍तीसगढ़ में बजट सत्र के पहले नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव कराने की तैयारी, दिसंबर में हो सकती है घोषणा

breaking Chhattisgarh

वधुओं के खाते में सरकार भेजेगी 35000 रुपये, जानें किस योजना में हुआ है बदलाव

breaking Chhattisgarh

अमेरिका में गौतम अडानी का अरेस्‍ट वारंट जारी,धोखाधड़ी और 21 अरब रिश्वत देने का आरोप

breaking Chhattisgarh

भाईयों से 5वीं के छात्र की मोबाइल को लेकर नोक-झोक, कर लिया सुसाइड

breaking Chhattisgarh

छत्‍तीसगढ़ में तेजी से लुढ़का पारा, बढ़ने लगी ठंड, सरगुजा में शीतलहर का अलर्ट, 9 डिग्री पहुंचा तापमान

breaking Chhattisgarh

सुप्रीम कोर्ट के वारंट का झांसा दे कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट से ठगी, 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 49 लाख लूटे

breaking Chhattisgarh

चींटी की चटनी के दीवाने विष्णुदेव किसे कहा खिलाने! बस्तर के हाट बाजारों में है इसकी भारी डिमांड

breaking Chhattisgarh

IIT Bhilai में अश्लीलता परोसने वाले Comedian Yash Rathi के खिलाफ दर्ज हुई FIR

breaking Chhattisgarh

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री नायडू से सीएम साय ने की मुलाकात, क्षेत्रीय हवाई अड्‌डों के विकास पर हुई चर्चा

breaking international

कनाडा ने भारत की यात्रा कर रहे लोगों की “विशेष जांच” करने का ऐलान ,क्या है उद्देश्य ?

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में भी टैक्स फ्री हुई फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’, सीएम ने की घोषणा

breaking Chhattisgarh

6 दिन में कमाए 502 करोड़ रुपये, अभी और होगी कमाई, जानिए छत्तीसगढ़ में किसानों की कैसे हुई बल्ले-बल्ले

कविता

poetry

इस माह के ग़ज़लकार : रियाज खान गौहर

poetry

कविता आसपास : रंजना द्विवेदी

poetry

रचना आसपास : पूनम पाठक ‘बदायूं’

poetry

ग़ज़ल आसपास : सुशील यादव

poetry

गाँधी जयंती पर विशेष : जन कवि कोदूराम ‘दलित’ के काव्य मा गाँधी बबा : आलेख, अरुण कुमार निगम

poetry

रचना आसपास : ओमवीर करन

poetry

कवि और कविता : डॉ. सतीश ‘बब्बा’

poetry

ग़ज़ल आसपास : नूरुस्सबाह खान ‘सबा’

poetry

स्मृति शेष : स्व. ओमप्रकाश शर्मा : काव्यात्मक दो विशेष कविता – गोविंद पाल और पल्लव चटर्जी

poetry

हरेली विशेष कविता : डॉ. दीक्षा चौबे

poetry

कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी

poetry

कविता आसपास : अनीता करडेकर

poetry

‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक व कवि प्रदीप भट्टाचार्य के हिंदी प्रगतिशील कविता ‘दम्भ’ का बांग्ला रूपांतर देश की लोकप्रिय बांग्ला पत्रिका ‘मध्यबलय’ के अंक-56 में प्रकाशित : हिंदी से बांग्ला अनुवाद कवि गोविंद पाल ने किया : ‘मध्यबलय’ के संपादक हैं बांग्ला-हिंदी के साहित्यकार दुलाल समाद्दार

poetry

कविता आसपास : पल्लव चटर्जी

poetry

कविता आसपास : विद्या गुप्ता

poetry

कविता आसपास : रंजना द्विवेदी

poetry

कविता आसपास : श्रीमती रंजना द्विवेदी

poetry

कविता आसपास : तेज नारायण राय

poetry

कविता आसपास : आशीष गुप्ता ‘आशू’

poetry

कविता आसपास : पल्लव चटर्जी

कहानी

story

लघुकथा : डॉ. सोनाली चक्रवर्ती

story

कहिनी : मया के बंधना – डॉ. दीक्षा चौबे

story

🤣 होली विशेष :प्रो.अश्विनी केशरवानी

story

चर्चित उपन्यासत्रयी उर्मिला शुक्ल ने रचा इतिहास…

story

रचना आसपास : उर्मिला शुक्ल

story

रचना आसपास : दीप्ति श्रीवास्तव

story

कहानी : संतोष झांझी

story

कहानी : ‘ पानी के लिए ‘ – उर्मिला शुक्ल

story

व्यंग्य : ‘ घूमता ब्रम्हांड ‘ – श्रीमती दीप्ति श्रीवास्तव [भिलाई छत्तीसगढ़]

story

दुर्गाप्रसाद पारकर की कविता संग्रह ‘ सिधवा झन समझव ‘ : समीक्षा – डॉ. सत्यभामा आडिल

story

लघुकथा : रौनक जमाल [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

लघुकथा : डॉ. दीक्षा चौबे [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

🌸 14 नवम्बर बाल दिवस पर विशेष : प्रभा के बालदिवस : प्रिया देवांगन ‘ प्रियू ‘

story

💞 कहानी : अंशुमन रॉय

story

■लघुकथा : ए सी श्रीवास्तव.

story

■लघुकथा : तारक नाथ चौधुरी.

story

■बाल कहानी : टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’.

story

■होली आगमन पर दो लघु कथाएं : महेश राजा.

story

■छत्तीसगढ़ी कहानी : चंद्रहास साहू.

story

■कहानी : प्रेमलता यदु.

लेख

Article

तीन लघुकथा : रश्मि अमितेष पुरोहित

Article

व्यंग्य : देश की बदनामी चालू आहे ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

लघुकथा : डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय [केंद्रीय विद्यालय वेंकटगिरि, आंध्रप्रदेश]

Article

जोशीमठ की त्रासदी : राजेंद्र शर्मा

Article

18 दिसंबर को जयंती के अवसर पर गुरू घासीदास और सतनाम परम्परा

Article

जयंती : सतनाम पंथ के संस्थापक संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी

Article

व्यंग्य : नो हार, ओन्ली जीत ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

🟥 अब तेरा क्या होगा रे बुलडोजर ❗ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा.

Article

🟥 प्ररंपरा या कुटेव ❓ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

Article

▪️ न्यायपालिका के अपशकुनी के साथी : वैसे ही चलना दूभर था अंधियारे में…इनने और घुमाव ला दिया गलियारे में – आलेख बादल सरोज.

Article

▪️ मशहूर शायर गीतकार साहिर लुधियानवी : ‘ जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है, जंग क्या मसअलों का हल देगी ‘ : वो सुबह कभी तो आएगी – गणेश कछवाहा.

Article

▪️ व्यंग्य : दीवाली के कूंचे से यूँ लक्ष्मी जी निकलीं ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

25 सितंबर पितृ मोक्ष अमावस्या के उपलक्ष्य में… पितृ श्राद्ध – श्राद्ध का प्रतीक

Article

🟢 आजादी के अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. अशोक आकाश.

Article

🟣 अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. बलदाऊ राम साहू [दुर्ग]

Article

🟣 समसामयिक चिंतन : डॉ. अरविंद प्रेमचंद जैन [भोपाल].

Article

⏩ 12 अगस्त- भोजली पर्व पर विशेष

Article

■पर्यावरण दिवस पर चिंतन : संजय मिश्रा [ शिवनाथ बचाओ आंदोलन के संयोजक एवं जनसुनवाई फाउंडेशन के छत्तीसगढ़ प्रमुख ]

Article

■पर्यावरण दिवस पर विशेष लघुकथा : महेश राजा.

Article

■व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा.

राजनीति न्यूज़

breaking Politics

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उदयपुर हत्याकांड को लेकर दिया बड़ा बयान

Politics

■छत्तीसगढ़ :

Politics

भारतीय जनता पार्टी,भिलाई-दुर्ग के वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय जे.दानी,लल्लन मिश्रा, सुरेखा खटी,अमरजीत सिंह ‘चहल’,विजय शुक्ला, कुमुद द्विवेदी महेंद्र यादव,सूरज शर्मा,प्रभा साहू,संजय खर्चे,किशोर बहाड़े, प्रदीप बोबडे,पुरषोत्तम चौकसे,राहुल भोसले,रितेश सिंह,रश्मि अगतकर, सोनाली,भारती उइके,प्रीति अग्रवाल,सीमा कन्नौजे,तृप्ति कन्नौजे,महेश सिंह, राकेश शुक्ला, अशोक स्वाईन ओर नागेश्वर राव ‘बाबू’ ने सयुंक्त बयान में भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव से जवाब-तलब किया.

breaking Politics

भिलाई कांड, न्यायाधीश अवकाश पर, जाने कब होगी सुनवाई

Politics

धमतरी आसपास

Politics

स्मृति शेष- बाबू जी, मोतीलाल वोरा

Politics

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हलचल

breaking Politics

राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कहा- मर्यादित भाषा में रखें अपनी बात

Politics

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने डाॅ. नरेन्द्र देव वर्मा पर केन्द्रित ‘ग्रामोदय’ पत्रिका और ‘बहुमत’ पत्रिका के 101वें अंक का किया विमोचन

Politics

मरवाही उपचुनाव

Politics

प्रमोद सिंह राजपूत कुम्हारी ब्लॉक के अध्यक्ष बने

Politics

ओवैसी की पार्टी ने बदला सीमांचल का समीकरण! 11 सीटों पर NDA आगे

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ग्वालियर में प्रेस वार्ता

breaking Politics

अमित और ऋचा जोगी का नामांकन खारिज होने पर बोले मंतूराम पवार- ‘जैसी करनी वैसी भरनी’

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल बिहार चुनाव के स्टार प्रचारक बिहार में कांग्रेस 70 सीटों में चुनाव लड़ रही है

breaking National Politics

सियासत- हाथरस सामूहिक दुष्कर्म

breaking Politics

हाथरस गैंगरेप के घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा, पढ़िए पूरी खबर

breaking Politics

पत्रकारों के साथ मारपीट की घटना के बाद, पीसीसी चीफ ने जांच समिति का किया गठन