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रचना आसपास : पल्लव चटर्जी
2 years ago
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▪️ बातें – 1
कितनी सारी बातें
कहने की चाह लिए
अधरों की दहलीज़ तक आकर
ठिठक जाती हैं…
अव्यक्त रह गईं वो बातें
अब भी बंद पडी़ हैं
हृदय-मंजूषा में–
सुख का एक कोमल स्पर्श पाने को।
▪️ बातें – 2
जिन्हें सुनकर
भड़क उठे हिंसा या
टूट जाये रिश्ता
या फिर अपनी
दुर्बलता प्रकाशित हो,
उन्हें न कहना ही उचित है-
शाँति जो अपेक्षित है।
▪️ बातें – 3
जो अपरिचित को आत्मीय कर ले
बहते अश्रु को रोक ले
सुख का संचरण करे
प्रेम का नवगीत लिखने पर विवश करे
चलो ऐसी बातें करने का अभ्यास करें।
कवि संपर्क –
81093 03936
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