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एक शाम शहीदों के नाम :नफ़रत और नहीं…
▪️ छत्तीसगढ़ राज्य के जनवादी, संघर्षशील संगठनों और बुद्धिजीवियों का संयुक्त आयोजन
▪️ संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों के खिलाफ संघर्षशील मोर्चा बनाना वक्त की पुकार
▪️ अध्यक्षता –
•जनकलाल ठाकुर
[अध्यक्ष : छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा]
▪️ आधार वक्तव्य –
•तुहिन देब
[महासचिव : क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच ‘ कसम ‘]
▪️ संचालन –
•प्रसाद राव
[जनवादी आंदोलन से जुड़े संघर्षरत साथी]
दुर्ग [12 दिसम्बर] : ‘ एक शाम शहीदों के नाम : नफ़रत और नहीं ‘ पर केंद्रित संगोष्ठी का आयोजन राज्य के जनवादी, संघर्षशील संगठनों और बुद्धिजीवियों के संयुक्त में सम्पन्न हुआ.
संगोष्ठी को संबोधित किया –
लखन सुबोध ने कहा कि मोदी सरकार के पहले जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार आयी थी तब उन्होने संविधान की समीक्षा करने की शुरुआत की थी इसके लिए एक आयोग का गठन किया था। व्यापक विरोध के बाद वाजपेयी सरकार को पीछे हटना पड़ा था। वर्ष 2017 में हैदराबाद में आयोजित एक सभा में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, “भारतीय संविधान में बदलाव कर उसे भारतीय समाज के नैतिक मूल्यों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। संविधान के बहुत सारे हिस्से विदेशी सोच पर आधारित है, आज जरुरत है कि आज़ादी के 70 साल के बाद इस पर गौर किया जाय।” इस बयान से साफ है संघ प्रमुख जिन नैतिक मूल्यों के आधार पर संविधान में परिवर्तन चाहते है वे मनुस्मृति पर आधारित है।उन्होंने गुरुद्वारा प्रबंधन कानून की तर्ज पर सतनाम धर्मस्थल कानून बनाने की मांग रखी।सौरा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ और ‘आर्गेनाइज़र’ को दिए इंटरव्यू में कहा है कि “आरक्षण पर फिर से विचार करने का समय आ गया है। आरक्षण की ज़रूरत और उसकी समय सीमा पर एक समिति बनाई जानी चाहिए।“ बाबा साहब के दिये आरक्षण के अधिकार को भी संघ और भाजपा खत्म करने पर आमादा है। हिंदू राष्ट्र के नाम पर इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को बरगलाकर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है। मुस्लिमों के खिलाफ़ नफ़रत का माहौल तैयार कर मनुस्मृति आधारित हिंदू राष्ट्र बनाने की साज़िश रची जा रही है।उन्होंने छत्तीसगढ़ में संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों के खिलाफ एक संघर्षशील मोर्चा निर्माण के लिए एक कार्ययोजना पेश की जिसे सभा ने स्वीकार किया।
राजकुमार गुप्ता ने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ में भी सांप्रदायिक हिंसा के मामले बढ़ रहे है। कारण है,देश में आरएसएस के नेतृत्व वाले सांप्रदायिक हिंदुत्ववादी बहुसंख्यकवादी आक्रमण से प्रतिस्पर्धा करते हुए छत्तीसगढ़ में शासकों द्वारा नर्म हिंदुत्व की बयार बहाई जा रही है। देश में हर रोज अखबारों व न्यूज़ चैनलों में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही सामूहिक हिंसा और दुर्व्यवहार के मामले प्रकाशित हो रहे हैं। इसी प्रकार महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कई मामले आये हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे देश में संविधान और कानून का राज खत्म हो चुका है।तेजराम विद्रोही ने कहा कि आरएसएस – भाजपा की सरकार ने तमाम ब्रम्हाणवादी – मनुवादी सांप्रदायिक ताकतों को हिंसा और अत्याचार करने की खुली छूट दे दी है। कॉरपोरेट घरानों की दलाल मोदी सरकार के इशारों पर पुलिस – प्रशासन इन प्रतिक्रियावादी ताकतों का साथ दे रहा है। एक तरफ शोषित-वंचित समाज के खिलाफ हिंसा और अत्याचार के मामले बढ़ रहे है वहीं इसका प्रतिरोध करने वाली ताकतों के खिलाफ़ राजकीय दमन का सहारा लिया जा रहा है।उन्होंने छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ जो की SKM से जुड़ा है की ओर से संघी फासीवाद विरोधी मोर्चा निर्माण में पूर्ण सहयोग करने की बात कही।
अजय टी जी ने कहा की धर्म के आधार पर नफ़रत की राजनीति को हवा दी जा रही है ताकि आम मेहनतकश जनता का ध्यान मूल मुद्दों से हटाया जा सके। जनता को हिन्दू राष्ट्र का नशा पिलाकर जनता के गाढ़ी कमायी से खड़े किए गए तमाम सरकारी उद्योग-धंधों और प्रतिष्ठानों को औने पौने दाम पर अडानी-अंबानी जैसे कार्पोरेट घरानों को बेचा जा रहा है। चोआ राम साहू ने कहा कि निजीकरण और ठेका प्रथा ने मजदूरों का शोषण बढ़ा दिया है। संख्यानुपात के आधार पर आरक्षण देने के बजाय निजीकरण से लगभग आरक्षण की व्यवस्था को ही समाप्त कर दिया गया है।छत्तीसगढ़ में ईसाइयों पर होने वाले हमले बढ़ रहे हैं। प्रज्ञा बौद्ध ने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने व काला धन वापसी के नाम पर की गई नोटबंदी और जीएसटी ने सिर्फ़ कार्पोरेट घरानों को ही लाभ पहुंचाया है, बल्कि इससे जनता पर मंहगाई और बेरोज़गारी की भीषण मार पड़ी है। मंहगाई ने जनता का जीना दूभर कर दिया है। शिक्षा और स्वास्थ्य आम जनता की पहुँच से कोसों दूर चला गया है।सविता बौद्ध ने कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP) के चलते देशभर में लाखों सरकारी स्कूल बंद हो रहे है। इन तमाम कठिनाईयों से त्रस्त आकार यदि जनता सरकार बदलना भी चाहे तो भाजपा धन –बल और ईवीएम के सहारे सत्ता पर काबिज हो जाती है। ईवीएम के दुरुपयोग से एक व्यक्ति एक वोट का अधिकार ही छीन लिया गया है। लोकतन्त्र के स्थान पर तानाशाही और संविधान के स्थान पर मनुस्मृति को लागू किया जा रहा है ।मनुस्मृति के आधार पर संघ परिवार,हिंदुराष्ट्र बनाने पर आमादा है जहां महिलाओं को मानव का दर्जा नहीं दिया जाता।आरएसएस/भाजपा घोर महिला विरोधी है।
विजेंद्र तिवारी ने कहा कि आज संविधान और लोकतन्त्र की हत्या के लिए तमाम मनुवादी/ ब्रम्हाणवादी फ़ासिस्ट ताक़तें एकजुट है, उनका कार्पोरेट पूंजी के साथ गठजोड़ है। वाजी अहमद ने कहा कि कार्पोरेट मनुवादी ताकतों की नापाक साज़िशों को नाकाम करने और संविधान की रक्षा के लिए हम सभी शोषित- वंचित समाजों और अल्पसंख्यक वर्गों के लोगों को एकताबद्ध होना समय की मांग है।सभा की शुरुआत में साथी प्रसाद राव द्वारा, देश के और छत्तीसगढ़ के साम्राज्यवाद,सामंतवाद और पूंजीवाद के खिलाफ लड़ाई के अमर शहीद भगत सिंह, अशफाकुल्ला खान,राम प्रसाद बिस्मिल, प्रिटिलता वड्डेदार,रोहित वेमुला,स्टेन स्वामी,वीर नारायण सिंह,जरहू गोंड,रामाधीन गोंड, शंकर गुहा नियोगी,अनुसुइया बाई ,बाबा बालकदास,सुखराम नागे,रमेश परिडा और गुण्डाधुर को याद करने के आहवान पर सभी ने इन शहीदों का स्मरण किया। अंत में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए जनक लाल ठाकुर ने कहा कि शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिए हमें अपने संविधान के समावेशी मूल्यों की रक्षा करते हुये एक सच्चे लोकतान्त्रिक समाज की ओर आगे बढ़ना होगा। इसी उद्देश्य से हम ,समता, समानता, बंधुत्व ,अभिव्यक्ति की आजादी और संविधान पर यकीन रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों से राज्य में इस संघी फासीवाद विरोधी मोर्चा में शामिल होने की अपील करते है। इस सभा/कन्वेंशन में प्रदेश के जनवादी संगठनों के प्रतिनिधि और प्रगतिशील बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
[ प्रेषित समाचार : ‘ एक शाम शहीदों के नाम, नफ़रत और नहीं ‘ की ओर से प्रसाद राव ]
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