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- विशेष : हम पूंजीवाद के खिलाफ नही जा सकते लेकिन प्रतिस्पर्धा के लिए हमें संघर्ष करना है. देश में मोनोपली नहीं चलानी चाहिए, बल्कि निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के आर्थिक उत्थान के लिए सोचना चाहिए – रघुराम राजन, पूर्व गवर्नर…
विशेष : हम पूंजीवाद के खिलाफ नही जा सकते लेकिन प्रतिस्पर्धा के लिए हमें संघर्ष करना है. देश में मोनोपली नहीं चलानी चाहिए, बल्कि निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के आर्थिक उत्थान के लिए सोचना चाहिए – रघुराम राजन, पूर्व गवर्नर…
भारत में राजनीतिक बिसात पर जब दांव रचा जाता है तो सामाजिक राजनीतिक उथल पुथल चर्चित होने लगती है.यह नजारा अब,तब और नजर आने लगा जब “भारत जोड़ों यात्रा” में देश के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने राहुल से मुलाकात व बातचीत किया.यह मुलाकात राजस्थान के सवाई माधोपुर में हुई जब रघुराम राजन ने भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए.कई मुद्दों पर बाते हुईं.यह मुलाकात आर्थिक नीति,असमानता और अर्थव्यवस्था पर आधारित रही.हालांकि यह मुलाकात राहुल और रघुराम की सामान्य नही थी बल्कि बदलती राजनीति की दशा को इंगित करती है.इस मुलाकात से विपक्षी पार्टी भाजपा में खलबली मच गई और ट्विटर पर वाकयुद्ध छिड़ गया. राहुल गांधी व राजन की मुलाकात देश की आर्थिक संकटों पर विश्लेषण पर आधारित है,उन्होंने चिंता जताते हुए यहां तक कह की भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अगला साल मुश्किलों से भरा हो सकता है.इसी पर सत्तारूढ़ पार्टी में छटपटाहट पैदा हो जाती है,क्योंकि भविष्य का डर यदि सताने लगता है तो वर्तमान में भी खतरा पैदा हो जाता है,शायद इसी को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने रघुराम राजन को कांग्रेसी मानसिकता वाला गवर्नर तक कह डाला. राहुल गांधी व रघुराम राजन के बीच चर्चाओं को लेकर यदि देखा जाय तो लघु सामान्यजन व मध्यमवर्गीय परिवारों पर हुई आर्थिक मार की चिंता जरूर दिखती है.
रघुराम राजन मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त कर कहते हैं कि,”बढ़ती हुई असमानता एक बड़ी समस्या है.ये सिर्फ चुनिंदा उद्योगपतियों को बस नही है,उच्च मध्यम वर्गीय की आय बढ़ गई क्योंकि वे घर से काम कर सकते थे,गरीब लोगों को कारखानों में जाकर काम करना पड़ता था और फैक्ट्रियां बन्द होने से उन्हें मासिक आय नही हुई.ऐसे में महामारी के दौरान में खाई काफी बढ़ गई,जो गरीब हैं उन्हें तो राशन आदि मिलता है,अमीरों का कोई नुकसान नही हुआ लेकिन निम्न मध्यमवर्गीय को काफी नुकसान हुआ.इस वर्ग की नौकरियां चली गईं.बेरोजगारी बढ़ रही है,इस वर्ग के लोग कर्ज ज्यादा ले रहे हैं,ब्याजदर बढ़ रही है.इस वर्ग को काफी नुकसान हुआ है ऐसे में हम जो भी नीति बनाएं उनके लिए बनानी चाहिए.” देश के पूर्व गवर्नर ने कहा कि,हम पूंजीवाद के खिलाफ नही जा सकते लेकिन हमें प्रतिस्पर्धा के लिए संघर्ष करना है.आगे उन्होंने कहा कि छोटे व्यवसायी व बड़े उद्योगपति दोनो देश के लिए अच्छे हैं लेकिन मोनोपली अच्छी नही है.जो आज विशेष रुप से देखने को मिलती है.”
बढ़ती ब्याज दरें विकास दर को करती हैं कम- जो देश के लिए सोचनीय है-रघुराम राजन
भारत की मौजूदा आर्थिक स्थितियों पर उन्होंने कहा कि ‘अगला साल इस साल से भी ज़्यादा मुश्किल होने वाला है क्योंकि इस साल युद्ध की वजह से कई समस्याएं थीं. और दुनिया में आर्थिक विकास की रफ़्तार धीमी होने जा रही है क्योंकि ब्याज दरें बढ़ाई जा रही हैं जो कि विकास दर कम करता है.
भारत पर भी इसका असर होगा. भारत में भी ब्याज दरें बढ़ गयी हैं, लेकिन भारतीय निर्यात भी कम हो रहा है.”
भारत में बढ़ती महंगाई को लेकर उन्होंने कहा, “भारत में महंगाई की समस्या खाने-पीने की चीज़ों के दाम बढ़ने से जुड़ी है जो कि आर्थिक विकास के लिए नकारात्मक है. अगर हम अगले साल पांच फ़ीसद की दर से भी बढ़े तो हम क़िस्मत वाले होंगे. इन आंकड़ों के साथ समस्या ये है कि आपको ये समझना होगा कि आप इनकी तुलना किस आंकड़े से कर रहे हैं.
अगर पिछले साल आपकी एक तिमाही बहुत ख़राब रही और आप उसी से तुलना कर रहे हैं तो आपकी स्थिति बेहतर दिखती है. ऐसे में अगर आप महामारी से पहले और अब के आंकड़ों में तुलना करें तो दो फ़ीसद का अंतर है जो कि हमारे लिए बहुत ख़राब है.”
[ •संजय शेखर मिश्रा ]
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