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स्मृति शहीद वीर नारायण सिंह एवं गुरु घासीदास
भिलाई । 18 दिसम्बर : पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ के सौजन्य से पीठ परिसर, सेक्टर – 9,भिलाई में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह और गुरु घासीदास की स्मृति में 18 दिसम्बर को एक वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया गया.
▪️ मुख्यअतिथि –
•राहुल कुमार सिंह
[ पुरातत्व एवं संस्कृतिकर्मी रायपुर ]
▪️ अध्यक्षता –
•ललित कुमार
[ अध्यक्ष बख्शी सृजन पीठ ]
▪️ विशेष अतिथि –
•अरविंद मिश्रा
[ संयोजक ‘ इंटैक ‘ रायपुर ]
•अरविंद सिंह
[ पत्रकार इतिहासकार, रायपुर ]
आरम्भ में स्वागत वक्तव्य में ललित कुमार ने कहा – कुछ महानुभावों ने शहीद वीर नारायण सिंह और गुरु घासीदास पर आयोजन को लेकर असहमति जाहिर की थी. उन्हें जब आयोजन की महत्ता के संबंध में जानकारी दी गई तो वे मौन साध लिए. ललित कुमार ने कहा, सृजन पीठ का तात्पर्य ‘ सृजन ‘ करना होता है, अगर साहित्य का इतिहास होता है तो इतिहास का भी साहित्य होता है.
राहुल कुमार सिंह ने कहा –
तथ्यों को महत्व देते हुए उनकी प्रस्तुति कैसे की जाए उस पर विचार किया जाना चाहिए. प्रदेश में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर चाहे वीरनारायण सिंह हो या गुरु घासीदास या महात्मा गांधी तिथियों को लेकर आज भी पूर्ण सत्यनिष्ठा कम ही प्रगट हो पाती है. राहुल कुमार सिंह ने कई उदाहरणों के माध्यमों से अपनी बात की पुष्टि की. आज से 40-45 वर्ष पूर्व गुरु घासीदास की जयंती माघ पूर्णिमा को मनायी जाती थी किंतु अब 18 दिसम्बर को. सोचनीय है कि 18 दिसम्बर और माघ पूर्णिमा की तिथि का कोई तालमेल हो सकता है ? उन्होंने प्रणाम ‘ स्वपराभासी ‘ का उल्लेख करते हुए कहा कि वैसे निजी आस्था पर कोई सवाल नहीं किया जाना चाहिए, किंतु हमारी परंपरा हमें संदेह करने का अवसर देती है.
अरविंद मिश्रा ने कहा –
वीरनारायण सिंह की शहादत काल में उन 17 शहीदों का भी स्मरण किया जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ में अलग – अलग जगहों में अपनी सार्थक दखल रखने वाले कई प्रतिभावन व्यकितत्व हुए जो नेपथय में चले गए. उन्होंने बेलटुकरी के दाऊ कामता प्रसाद से लेकर जे. योगानंदम तक के कई नामों का उल्लेख किया.
आशीष सिंह ने कहा –
महापुरुषों के केवल जन्मतिथि एवं पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया जाना उचित नहीं ? गुरु घासीदास के सूर्यउपासना, पशुप्रेम की अन्य धर्मविलंबियों द्वारा किए जाने वाली क्रियाओं से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तहत तुलनात्मक समायोजना की चर्चा की.
भारत विभूति आल्हा गायन दल के नारायण चंद्राकर एवं उनकी टीम ने वीरनारायण सिंह पर केंद्रित आल्हा गायन किया. रंगकर्मी राकेश तिवारी ने ‘ बसदेवा ‘ गीत गाए.
संचालन ‘ कला परंपरा ‘ के संपादक डी. पी. देशमुख और आभार वक्तव्य पत्रकार एवं कथाकार शिवनाथ शुक्ला ने किया.
आयोजन में उपस्थित प्रमुख –
डॉ. नलिनी श्रीवास्तव, संध्या श्रीवास्तव, शुचि भवि, नीलम जायसवाल, शरद कोकास, विजय वर्तमान, सुशील यादव, पुन्नु यादव, संजीव तिवारी, त्रम्बयक राव साटकर, कमलेश वर्मा, डॉ. चंद्रशेखर शर्मा, डॉ. नौशाद सिद्दीकी, ओमप्रकाश जायसवाल, टी एन कुशवाहा, ज्ञानिक राम साहू,सनंत मिश्रा, हितेश कुमार साहू और पत्रकार मो. जाकिर हुसैन, सहदेव देशमुख एवं ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ के संपादक प्रदीप भट्टाचार्य.
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