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रचना आसपास : नितेश ठाकुर
▪️ उसके इशारे कुछ…
उसके इशारे कुछ
ऐसा असर कर गए…
सादे से इश्क़ में
हम बन ” संवर ” गए…
जुबां देना क्या होता है
सिखाया था जिसने…
आज वो अपने ही
बात से ” मुकर ” गए…
कल तक जो मेरे साथ था
साये की तरह…
अँधेरा जो छाया
ना जाने ” किधर ” गए…
क्या पता है उसे,
दरिया की जिद में…
ना जाने कितने उसके
हाथ से ” समंदर ” गए…
ता उम्र जिन्हे मैं
अपना हमदर्द मानता रहा…
वही एक दिन मेरी पीठ पर
भौंक कर ” खंजर ” गए…
बिस्तर में सलवट.. और
कमरे मे खुशबु सा पाया हमने…
इस कदर तन्हा मुझे
वो छोड़कर ” अक्सर ” गए
▪️ दुनियाभर के इल्जाम मिले…
उनकी खैरियत की ख़बर मिले तो,
दिल को कुछ आराम मिले….
और ना मिले कोई ख़बर तो,
फिर से फिक्र ए यार का काम मिले….
आज दिन के उजाले मे,
देख ना पाता हूँ जिसको ….
उससे हम ज़मानो तक,
रोज ढलती शाम मिले…..
अपने जीवन का जिनको हमने,
एकलौता चाँद भी माना था…..
उनकी फेहरिस्त मे देखो हमको,
और भी कितने नाम मिले….
यूँ तो और भी कई लोग,
उसकी रुसवाई मे शामिल थे….
लेकिन उनकी जुबां मे केवल,
हम ही इक बदनाम मिले…..
मुझको जिसने ना पीने की,
कसम मे बांधे रखा था….
वो महफ़िल मे संग सभी के,
टकराते हुए जाम मिले…..
जिसके प्यार की खातिर मैंने,
सब कुछ दांव पे वारा था….
प्यार छोड़कर उससे मुझको,
दुनियाभर के इल्जाम मिले…..
[ •खिलाड़ी, स्टेज आर्टिस्ट, सिंगर नितेश ठाकुर पुष्पक नगर भिलाई छत्तीसगढ़ से हैं. •नितेश ठाकुर राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल के गोल कीपर रहे.. •रेल्वे में तकनीशियन के पद पर पदस्थ नितेश ठाकुर कविता सृजन में रुचि रखते हैं. • ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ में पहली रचना पाठकों/वीवर्स के लिए प्रकाशित है.., कैसी लगी.. लिखें… – संपादक ]
•कवि संपर्क –
•78985 78650
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