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अच्छी खबर- छत्तीसगढ़ का पहला गोबर प्लांट, प्रदेशवासियों को मिलेगा गोबर से बिजली

2 years ago
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बस्तर में बिजली के लिए बायोगैस प्लांट तैयार हो रहा है. प्लांट के माध्यम से हर रोज 10 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा. 50 घरों के साथ साथ निगम का एसएलआरएम सेंटर भी बायोगैस से रोशन होगा. जगदलपुर के डोंगाघाट में स्थापित होने जा रहे बायोगैस प्लांट की लागत 35 लाख रुपए है. प्राइवेट कंपनी को गोबर से बिजली पैदा करने वाले प्लांट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में बायोगैस प्लांट का काम पूरा हो जाएगा. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी प्लांट का निर्माण करवा रही है.

जगदलपुर नगर निगम आयुक्त दिनेश नाग ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पहली बार गोबर से बिजली पैदा करने के लिए प्लांट बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एक साल पहले प्रदेश सरकार और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) के बीच एमओयू हुआ था. समझौता होने के बाद प्रोजेक्ट पूरे राज्य में शुरू किया गया. गोबर से बिजली बनाने की टेक्नोलॉजी जानने के लिए विशेषज्ञों का एक प्रतिनिधिमंडल भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) गया था. प्रदेश के बायोगैस प्लांट का 26 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अवलोकन करेंगे. कोशिश की जा रही है कि फरवरी के दूसरे सप्ताह में प्लांट से बिजली उत्पादन का काम शुरू किया जा सके.

निगम कर्मचारियों ने बताया कि एसएलआरएम सेंटर में सीमेंट से बने इनलेट चेंबर में गोबर और पानी का घोल तैयार किया जाएगा और हर दिन 500 किलो गोबर और 100 लीटर पानी डाला जाएगा. घोल को लोहे से ढके हुए और 15 फीट गहरे बायोगैस प्लांट में डाला जाएगा. बिजली पैदा करने के लिए मिथेन गैस की जरूरत की पूर्ति गोबर से की जाएगी. गोबर सड़ने से पैदा गैस पाइप के जरिए बायोगैस बैलून में स्टोर होगा. उसके लिए 3 स्क्रबर लगाया जा रहा है. मीथेन गैस को फिल्टर कर अलग करने के बाद जनरेटर की सहायता से बिजली उत्पादन किया जाएगा. पहले दिन सिस्टम को शुरू करने के लिए 600 किलो गोबर का इस्तेमाल होगा.

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