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मिसाल : मानस मर्मज्ञ के रूप में अलग पहचान है : हरभजन सिंह भाटिया.
▪️ मानस व्याख्याकार हरभजन सिंह भाटिया से सुरगी : राजनांदगांव के साहित्यकार ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘ की बातचीत…
▪️ 4 हजार से अधिक मंचों में प्रस्तुति और 1 हजार से अधिक मंचों में व्याख्या विशेष सम्मान…
▪️ 74 वर्षीय हरभजन सिंह भाटिया को है पेंशन की दरकार…
भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है। लेकिन दिनों दिन कट्टरता भी बढ़ती जा रही है। आज जब लोग धर्म/मजहब के नाम पर एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में कुछ एक ऐसे भी हैं जो सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बन लोगों को समरसता/ एकता का संदेश दे रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स है आदर्श गांव सुरगी के मानस मर्मज्ञ एवं प्रवचनकार सरदार हरभजन सिंह भाटिया जो सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक बन गए हैं। वे एक सिक्ख होते हुए भी रामचरित मानस की विद्वतापूर्ण व्याख्या करते हुए लोगों को आह्लादित करते हैं। विभिन्न धर्म ग्रंथों के उद्धरण के माध्यम से भाईचारा एवं एकता का संदेश देते हैं। ‘मानस- मर्मज्ञ
के रूप में श्री भाटिया की एक अलग पहचान बन चुकी है।
एक भेंट के दौरान भाटिया ने साहित्यकार ओमप्रकाश साहू अंकुर को बताया कि उनका जन्म 4 फरवरी 1950 को ग्राम सुरगी में हुआ। माता-पिता देश विभाजन के समय सुरगी आए थे। स्व. दीवान सिंह भाटिया एवं श्रीमती प्रकाश कौर के सुपुत्र हरभजन का मन अपने नाम के अनुरूप ही प्रारंभ से ही हरिभजन की ओर रहा है.उनके पिताजी को उर्दू,फारसी, गुरुमुखी, और हिंदी के जानकार थे. वे अपने बड़े पिताजी स्व. गुरुबख्श सिंह ( खुर्सुल, बालोद) से बहुत प्रभावित हुए. वे गुरु ग्रंथ साहिब,बीजक और राम चरित मानस के ज्ञाता थे.
बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त श्री भाटिया दिग्विजय कालेज में पढ़ाई के दौरान साहित्यवाचस्पति पदुमलाल पुन्नालाल बख्सी एवं शिक्षाविद मेघनाथ कन्नौजे से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
सरदार हरभजन ने पढ़ाई जीवन से ही विभिन्न धर्म ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। उन्हें गुरूग्रंथ साहेब, बाइबिल, बीजक, गीता एवं रामचरित मानस आदि का गहन अध्ययन किया.
श्री भाटिया ने बताया कि प्राथमिक से मैट्रिक तक शिक्षा जन्म स्थान सुरगी में ही प्राप्त किया। इस दौरान वे सुरगी में पदस्थ शिक्षक द्वय देवेन्द्र कुमार तिवारी डोंगरगांव और अंग्रेजी के व्याख्याता एम.आर.शेवलीकर की विद्वता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके. सुरगी के समीपस्थ ग्राम कोटराभांठा के मानस मर्मज्ञ, प्रवचनकार और कवि
बोधनदास साहू के साथ सत्संग करने का अवसर प्राप्त हुआ. इसका उनके जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा. इससे उनका झुकाव कबीर सत्संग एवं प्रवचन,रामचरित मानस की ओर होता गया.
छत्तीसगढ़ी में व्याख्या कर जन समुदाय को आह्लादित करते हैं
चार हजार से ज्यादा मंचों में दे चुके हैं प्रस्तुति
इस अवधि में सुरगी में कबीर कुटी आश्रम का निर्माण हो चुका था.इस आश्रम में विभिन्न प्रांत के संत प्रवचनकार आते थे। उसके साथ बोधन दास साहू और भाटिया को भी प्रवचन करने का अवसर प्राप्त होता था। इससे जनमानस समाज के बीच उनकी प्रतिभा उभर कर सामने आई और वे क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ठ पहचान बनाने में कामयाब रहे.
इस तरह से मानस मंचों से जुड़ाव हुआ
साकेत साहित्य परिषद सुरगी द्वारा वर्ष 2001 में आयोजित द्वितीय स्थापना दिवस और वार्षिक सम्मान समारोह श्री भाटिया को साकेत सम्मान प्रदान किया गया। इस वार्षिक समारोह के दौरान ही श्री भाटिया की प्रतिभा और विद्वता को राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक एवं साकेत के वरिष्ठ सदस्य कामता प्रसाद सिन्हा ने अंतस से महसूस किया. वे भाटिया जी को अपनी मानस मंडली सत्यम शिवम् सुंदरम मानस मंडली भरदाकला में व्याख्याकार की भूमिका निर्वहन करने हेतु निवेदन किया तो भाटिया जी खुद आश्चर्य चकित रह गए. हामी नहीं भर पाये . वे सिन्हा से सहज भाव से कहा कि मुझमें यह योग्यता नहीं है कि मैं रामचरित मानस की व्याख्या कर सकूं. लेकिन सिन्हा ने उनसे कहा कि आप इस भूमिका को आप बेहतर तरीके से निभा सकते हैं. इसी भावना को लेकर वे एक रोज भाटिया के घर आकर रामचरित मानस भेंट किए. अब भाटिया रामचरित मानस का गहन अध्ययन करने लगे.
लगभग एक हजार मंच में सर्वश्रेष्ठ व्याख्याकार के रुप में सम्मानित
अब वे कामता प्रसाद सिन्हा द्वारा संचालित सत्यम शिवम् मानस परिवार भरदाकला के नियमित व्याख्याकार बन गए। वे सन 2000 से 2012तक इस मानस परिवार से जुड़े रहे. इस बारह वर्षों में भाटिया पूरे छत्तीसगढ़ में व्याख्याकार के रूप में छा गए. भाटिया की यह विशेषता रही है कि वे छत्तीसगढ़ी में व्याख्या करते हैं. जन भाषा का उपयोग कर वे जन समुदाय से सहज भाव से जुड़ जाते हैं. विभिन्न ग्रंथों और संतों की वाणी का उद्धरण देकर वे लोगों को प्रभावित करते हैं.
फिर सन 2012 से आज तक वे जय मां सरस्वती मानस परिवार आरला ( सुरगी) में व्याख्याकार की भूमिका अदा कर रहे हैं. साथ ही वे संगम मानस परिवार सुरग में भी मानस टीकाकार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
श्री भाटिया 23 वर्षों में लगभग चार हजार से अधिक मानस मंच पर प्रस्तुति दे चुके हैं। जिसमें लगभग एक मंचों में व्यक्तिगत रूप से व्याख्या में विशेष पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.
मानस विशारद एवं मानस मणि उपाधि से सम्मानित
उन्हें दीवानपारा राजनांदगाव एवं गंगा मैया झलमला में 2006 में “मानसमणि” सम्मान प्रदान किया गया। इससे पहले श्री भाटिया की धार्मिक रुचि एवं ज्ञान की सराहना करते हुए पंजीकृत (305601) अखिल भारत वर्षीय मानस प्रचार समिति नसिराबाद (राजस्थान) द्वारा वर्ष 2003 में आयोजित ‘मानस विशारद’ परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। श्री भाटिया को ‘मानसरत्न’, ‘मानसमणि’, ‘मानसविसारद’ आदि सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वे प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह, प्रवचनकार मोरारी बापूजी, अभिलाष साहेब जी एवं तरूण सागर जी से बहुत प्रभावित रहे हैं।
नैतिक मूल्यों की अभिवृद्धि हेतु सार्थक प्रयास कर रहे हैं
इस प्रकार हम देखते हैं कि 73 वर्षीय श्री भाटिया सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक बन चुके हैं। रामचरित मानस की विद्वतापूर्ण व्याख्या और सामयिक विषयों से जोड़ कर लोगों को सचेत करते हैं तो एक सिक्ख के मुखार बिंद से कथा/ प्रवचन सुन कर लोग आह्लादित हो उठते हैं और भाटिया की वक्तृत्व शैली की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाते हैं.
मानस मर्मज्ञ हरभजन सिंह भाटिया ने श्री राम चरित मानस के शुद्ध -बुद्ध प्रबुद्ध श्रोताओं के मध्य समरसता पूर्ण जीवन जीने, आध्यात्मिक चेतना जगाने, नैतिक मूल्यों की अभिवृद्धि एवं आत्म चिंतन के उद्देश्य से प्रसंगानुकूल व्याख्या कर सफलतम आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं वहीं महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी का मान भी बढ़ा रहे हैं. भाटिया जी छत्तीसगढ़ी में ही श्री राम चरित मानस की व्याख्या करते हैं.
शासन से सहयोग की दरकार
आज जब राज्य शासन ग्राम पंचायत स्तर से प्रांत स्तर पर सस्वर मानस गान टीका स्पर्धा का आयोजन कर रही है ऐसी स्थिति में
ऐसे शख्स को शासन -प्रसासन द्वारा उचित प्रोत्साहन और सम्मान दिया जाना चाहिए। अभी तक भाटिया को शासन से कोई उचित सम्मान या प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है. 73 साल के भाटिया को राज्य शासन द्वारा कलाकार के बतौर दिए जाने वाले पेंशन की दरकार है ताकि वृद्धावस्था में जिनगी रुपी गाड़ी चलाने में दूभरता न हो. मानस मंच रुपी सफर ही उनके जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं.
[ ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘ संपर्क : 79746 66840 ]
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