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- भिलाई : ‘ सटीक शुकनासोपदेश ‘ और ‘ गागर में सागर ‘ डॉ. महेशचंद्र शर्मा की पुस्तकें प्रेरक और शिक्षाप्रद – डॉ आलोक मिश्र, प्राचार्य, शा. कमलादेवी महिला महाविद्यालय [राजनांदगांव]
भिलाई : ‘ सटीक शुकनासोपदेश ‘ और ‘ गागर में सागर ‘ डॉ. महेशचंद्र शर्मा की पुस्तकें प्रेरक और शिक्षाप्रद – डॉ आलोक मिश्र, प्राचार्य, शा. कमलादेवी महिला महाविद्यालय [राजनांदगांव]
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास] : साहित्याचार्य डॉ महेशचन्द्र शर्मा का लेखन सराहनीय है।वह विद्यार्थियों के साथ वरिष्ठ जिज्ञासुओं के लिये भी उपयोगी है।पठन-पाठन और शोध के लम्बे अनुभव के बाद उनकी लिखी अनेक पुस्तकें प्रकाश में आयीं। वे अभी ग्यारहवीं पुस्तक लिखरहे हैं। अवलोकन के बाद ” गागर में सागर” पुस्तक की भी सराहना , डा.आलोक मिश्र , प्राचार्य , शा.कमला देवी महिला महाविद्यालय, राजनाँदगाँव ने की।साहित्य,संस्कृति एवं उच्चशिक्षा के विमर्श एवं संवाद के सन्दर्भ में आचार्य डा.शर्मा की पुस्तकें ” सटीक शुकनासोपदेश ” एवं ” गागर में सागर ” के सन्दर्भ में उक्त विचार सामने आये। ज्ञातव्य है कि साहित्य मनीषी डा. महेश ने देश – विदेश के अनेक सफल उच्चशैक्षणिक एवं सांस्कृतिक भ्रमण किये हैं। राजनाँदगाँव के इस महाविद्यालय की संस्कृत विभागाध्यक्षा श्रीमती डा.सुषमा तिवारी ने डा.शर्मा की पुस्तक ” सटीक शुकनासोपदेश ” की प्रशंसा की और उसे छात्रोपयोगी बताया। यह महाकवि बाणभट्ट की विश्वप्रसिद्ध कथाग्रन्थ कादम्बरी से लिया गया है। युवराज चन्द्रापीड को प्रधानमन्त्री शुकनास द्वारा दी गयीं सीखें आज के युवावर्ग के लिये भी उपयोगी हैं। इसमें अनुशासन और चरित्रनिर्माण की मन्त्रणा हैं। ये मार्गदर्शी पुस्तक कला स्नातक प्रथमवर्ष के पाठ्यक्रम में भी निर्धारित है। लेखक डा.शर्मा ने इसे छात्राओं में निःशुल्क वितरण की भी घोषणा की।इसकी भाषा-शैली भी विद्यार्थियों के अनुकूल है। उल्लेखनीय है कि डा.शर्मा की सभी व्याख्यापरक कृतियाँ राष्ट्रभाषा में रचित हैं। उनके लेखन की सराहना सम्पूर्णानन्द संस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी के डा.कैलाशपति त्रिपाठी,उज्जैन के प्रो.श्रीनिवास रथ, नागपुर के डा.श्रीधर भास्कर वर्णेकर, सागर डा.राधावल्लभ त्रिपाठी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डा.भगवत शरणशुक्ल,दतिया के डा.रामेश्वर प्रसाद गुप्त, ग्वालियर के डा.विकास शुक्ल , लखनऊ डा.बृजेश शुक्ल , भरतपुर के डा.बाबू लाल मीणा एवं दिल्ली के डा.चन्द्रभूषण झा आदि ने भी की है।साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में अनेकानेक सम्मानों के साथ छत्तीसगढ़ शासन ने भी आचार्य डा.महेशचन्द्र शर्मा को शिक्षा-संस्कृति के राज्य शिखर अलंकरण से भी सम्मानित किया है।
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