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होली विशेष : डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘ नवरंग ‘
2 years ago
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🌸 हिंदकी – पहले जैसा रंग नही
– डॉ. माणिक विश्वकर्मा
[ रायपुर छत्तीसगढ़ ]
अब होली में पहले जैसा रंग नहीं है
साक़ी है मय का प्याला है भंग नहीं है
कहीं भी शुरू हो जाते हैं गुलाल लेकर
फगुआ कहाँ मनाएँ इसका ढंग नहीं है
होती हैं अश्लील हरकतें गाँव शहर में
फूहड़ता है मन में आज उमंग नहीं है
अब देखादेखी खेली जाती है होली
ख़ुशियों से भरदे वो मस्त मलंग नहीं है
प्रेम एकता का त्योहार इसे कहते हैं
सच कहें तो कोई किसी के संग नहीं है
ढोल, नगाड़े झांझ ,मँजीरे कम बजते है
दूर तलक आँखों में आज मृदंग नहीं है
कीचड़ फेंक रहे हैं इक दूजे के ऊपर
बहुत लोग हैं पर उनमें नवरंग नहीं है
•संपर्क –
•94241 41875
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chhattisgarhaaspaas
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