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- छत्तीसगढ़ : कला अकादमी का तीन दिवसीय [10-12 मार्च] कला पर्व शुरू.. त्रिआयामी में जुटे कलाप्रेमी… प्रदर्शनी में दिखे कला के अलग – अलग रंग, नाटकों ने भी समां बाँधा…
छत्तीसगढ़ : कला अकादमी का तीन दिवसीय [10-12 मार्च] कला पर्व शुरू.. त्रिआयामी में जुटे कलाप्रेमी… प्रदर्शनी में दिखे कला के अलग – अलग रंग, नाटकों ने भी समां बाँधा…
रायपुर [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन की ओर से तीन दिवसीय कला पर्व की शुरूआत शुक्रवार 10 मार्च की शाम कला वीथिका मुक्ताकाशी मंच सभागार महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर रायपुर में हुई।
इस त्रिआयामी कला पर्व की शुरूआत कला वीथिका में युवा कलाकारों की प्रदर्शनी से हुई। जिसका उद्घाटन प्रसिद्ध चित्रकार अखिलेश ने किया। इस दौरान अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी, कला मर्मज्ञ निधीश त्यागी,भुवनेश और कलाकारों सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। प्रदर्शनी के संयोजक हुकुम लाल वर्मा और सहायक राजेंद्र सुनगरिया हैं। प्रतिभागी कलाकारों में चित्रकला में राधिका चौहान, निकिता साहू, कमलेश कुर्रे, निकिता नामदेव, निर्वेर साहू, बेबी प्रिया दीपक जुर्री, जीवेश कुमार साहू, रुपेश्वरी चंदेल, विदिशा जैन, पंकज यादव और चंद्रपाल पांजरे शामिल हैं।
वही मूर्तिकला में तृप्ति खरे, जितेंद्र साहू, विमल फुटान, बलदेव मंडावी, द्रोणवाशु और कुलेश्वर राम की कला देखी जा सकती है। इसी तरह ग्राफिक में सारिका गोस्वामी, वैभव यादव, नीलेश कश्यप, वेणु प्रिया, शालिनी गुप्ता अंकित लकड़ा व मनिंदर सिंह की कला से दर्शक रूबरू हो रहे हैं।
अलग-अलग विधाओं से
रूबरू हो रहे दर्शक
यहां प्रदर्शनी में दर्शकगण कला की अलग-अलग विधाओं से रूबरू हो रहे हैं।
इन कलाकारों में बलदेव मंडावी बस्तर नारायणपुर के निवासी हैं। इनके नाना मशहूर चित्रकार किस अडूराम (75) उम्र के इस पड़ाव में भी बेहद सक्रिय हैं और बलदेव ने चित्रकारी के गुर उन्हीं से सीखे हैं।
बलदेव मंडावी मूर्तिकला में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से कर रहे हैं। इतिशा जैन रायपुर निवासी हैं और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से चित्रकला में डिग्री पाठ्यक्रम में अध्य्यनरत हैं।
बेबी प्रिया ने एक खास तरह से बनाई गई हैंडमेड शीट में कला के रंग बिखेरती हैं। उन्हें ज्यादातर प्रकृति को चित्रित करना अच्छा लगता है।
‘भगवदज्जुकीयम’में परकाया
प्रवेश को पिरोया हास्य में
पहले दिन नाट्य प्रस्तुतियों के अंतर्गत अभिषेक चौधरी रायपुर के निर्देशन में बोधायन कृत प्रहसन के हिंदी रूपांतरण पर आधारित ‘भगवदज्जुकम’ का मंचन हुआ। भगवदज्जुकीयम् सातवीं शताब्दी के एक अत्यंत रोचक और सुगठित संस्कृत प्रहसन है।
इसके लेखक बोधायन हैं। इस प्रहसन में परकाया प्रवेश के माध्यम से धर्म जैसा संवेदनशील विषय दर्शकों को हास्य संवादों के साथ परोसा गया है। जुगनू थिएटर एवं फ़िल्म सोसाइटी के अध्यक्ष और निर्देशक अभिषेक चौधरी के काम को दर्शकों ने खूब सराहा।
‘पंचलेट’ में दिखा ग्रामीण परिवेश में आधुनिक जीवन शैली की घुसपैठ का नजारा
दूसरी प्रस्तुति प्रसिद्ध आँचलिक कथाकार फणीशवरनाथ रेणु की कहानी पर आधारित ‘पंचलेट’ का मंचन रायगढ़ इप्टा की टीम ने किया। ग्रामीण परिवेश में नए भौतिक संसाधनों के प्रवेश के रोचक प्रभावों को चित्रित करती इस प्रस्तुति में सामाजिक तानेबाने और समाज मे आधुनिक तत्वों के प्रवेश से होने वाली उथलपुथल को दर्शकों के सामने रखा गया।
एक गाँव में रात के अंधेरे को पंचलेट पैट्रोमैक्स से पाटने के उद्देश्य के साथ एक गुट द्वारा दूसरे गुट को इसी बहाने नीचा दिखाने की राजनीति को हास्य व्यंग्य में पिरोया गया।
रेणु की इस कहानी का नाट्य रूपांतरण शरीफ अहमद और छत्तीसगढ़ी रूपांतरण विनोद बोहिदार ने किया।
“यकीनन“ में दिखाई बदलाव के
दौर से गुजरते युवाओं की अंर्तकथा
तीसरी प्रस्तुति रामेश्वर निर्मल की कहानी पर छत्तीसगढ़ी में ग्रामीण परिवेश पर आधारित नाटक ‘यकीनन‘ की रही। जिसका निर्देशन पाटन के विवेक निर्मल ने किया । इस नाटक में बदलाव के दौर में युवा मानसिकता को दर्शाने की कोशिश की गई है। जिसमें बताया गया कि बदलाव के दौरान नवयुवक एक नयी दिशा के साथ नयी सोच लेकर अपना मार्ग तय कर पुराने ख्यालों में बदलाव करना चाहते हैं। नाटक ने भटके हुए युवाओं को त्याग ,प्रेम ,तपस्या का सामजस्य बना कर वर्तमान स्थिति में चलने की प्रेरणा दी।
दो दिन संगीत के सुर सजेंगे
और होगी कला पर बात
कला पर्व के अंतर्गत 11 व 12 मार्च को भी कला प्रेमियों के लिए विशिष्ट आयोजन रखे गए हैं। शनिवार 11 मार्च को शाम 4:00 से 6:00 बजे तक कलाचर्या में आधुनिक कला के पक्ष विषय पर चित्रकार अखिलेश से कला मर्मज्ञ निधीश त्यागी की बातचीत होगी। वहीं 11 मार्च को ही शाम 6 बजे से मुक्ताकाशी मंच पर डॉ जयश्री खरे वैष्णव अमरावती का शास्त्रीय गायन, पंडित असीम चौधरी कोलकाता का सितार वादन और पंडित भुवनेश कोमकली देवास का शास्त्रीय गायन होगा। अगले दिन 12 मार्च रविवार को शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक चित्रकार अखिलेश से डॉक्टर विकास चंद्र एवं कला विद्यार्थियों की बातचीत महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय के सभागार में होगी। 12 मार्च को ही शाम 6 बजे से ‘प्रारंभ’ के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के युवा कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। जिसमें रायपुर के किशन देवांगन का शास्त्रीय गायन, भिलाई की पूनम सर्पे का एकल तबला वादन, रायपुर के डॉक्टर के रोहन नायडू का वायलिन वादन और नई दिल्ली के पंडित रितेश एवं पंडित रजनीश मिश्रा का शास्त्रीय गायन होगा। संगत कलाकारों में मिलिंद वैष्णव, पंडित पार्थसारथी मुखर्जी, रामेंद्र सिंह सोलंकी ,रामचंद्र सरपे और श्रीकांत पीसे संगत करेंगे।
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