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होली मिलन : ‘ साकेत साहित्य परिषद ‘ के होली मिलन कार्यक्रम में बिखरे प्रेम – सद्भाव के रंग….
राजनांदगांव [ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘ ] : निकटस्थ ग्राम ढोडिया में साकेत साहित्य परिषद का मासिक काव्य गोष्ठी एवं होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस पर होली में प्रेम और सद्भाव विषय पर आयोजित परिचर्चा में शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कवि/ साहित्यकार उपस्थित हुए । साकेत साहित्य परिषद के सचिन निषाद के संयोजन में आयोजित इस साहित्यिक आयोजन के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग के जिला समन्वयक, वरिष्ठ कवि/साहित्यकार- आत्माराम कोशा “अमात्य” जी थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता साकेत साहित्य परिषद के वरिष्ठ साहित्यकार कुबेर साहू ने की । परिचर्चा विषय पर अपनी बात रखते हुए मुख्य अतिथि श्री कोशा जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति की हर पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ है जो पुरातन काल से प्रेम और भाईचारे का संदेश देता हुआ आया है । उन्होंने प्रेम में कसक और कशिश का होना बहुत जरूरी बताया तथा कहा कि इसे ही छत्तीसगढ़ी में मया और पीरा नाम दिया गया है । उनकी होली के रंग में भीगी रचना –मस्त महिना, फागुन के ,,मीठ-मीठ चले रे,,बयार,/ रंगझाझर परब होली के ,सबला ,गाड़ा-गाड़ा जोहार,,।सबला दया-मया अउ पियार,,,को काफी सराहा गया । अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार कुबेर साहू ने होली पर्व की सबको शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रेम व सद्भाव को पैसे में खरीदा नहीं जा सकता। जिसने इस प्रेम को समझ लिया उसे और कुछ समझने की जरूरत नहीं है ।श्री साहू ने बताया कि रंगोत्सव का होली के दिन भगवान विष्णु ने धूलि की पूजा की थी। उन्होंने होली पर्व में धूल का महत्व तथा इसे पवित्र बताते हुए इसे भगवान धूर्जटी (शंकर) धूल भरे अति शोभित श्याम जू,,(श्रीकृष्ण)व गोधुलि बेला सहित इसे चरणधूलि से जोड़ा,,व इसे ही होली के समय माथे पर चंदन की तरह लगाने की बात कही ।विशेष अतिथि वीरेंद्र तिवारी” वीरू” ने प्रेम और सद्भाव को हमारी संस्कृति बताते हुए अपने विचार रखे और काव्यात्मक माहौल का सृजन किया।
साहित्य परिषद के पूर्व अध्यक्ष कवि/रचनाकार ओम प्रकाश साहू “अंकुर ” ने आधार व्यक्तव्य देते हुए होली को प्रेम सद्भाव व सौहार्द्रता का पर्व बताया , वहीं कवि/रचनाकार रोशन साहू व फिल्म विधा से जुड़े कवि अखिलेश्वर मिश्रा ने गांव की होली का सुंदर चित्रण करते हुए पर्व पर अपने सुंदर विचार रखे ।व्यंग के कवि फकीर साहू फक्कड़ ने कहा कि जिस दिन किसान मेड़ को खपटना बंद कर देंगे समाज में आपसी प्रेम व भाईचारा बना रहेगा । ग्रामीण कवि आनंद सार्वा ने अपने गांव के होली की काव्यात्मक चित्रण की चर्चा किया ।प्रथम सत्र का रसमय संचालन ग्रामीण कवि पवन यादव” पहुना” ने किया।
इसके बाद हास्य /व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर अखिलेश्वर मिश्र के संचालन में नवोदित कवयित्री निशा साहू (कु,बो, भांठागांव ) डोहर साहू (सुरगी )गुमान सिंह (मटेवा) रोशन साहू ( मोखला) वीरेंद्र तिवारी ( अर्जुनी) आनंद सार्वा (भाटा गांव) फकीर प्रसाद साहू (सुरगी )सचिन निषाद ( ढोडिया) ओमप्रकाश अंकुर (सुरगी) बलराम सिन्हा( रब) आदि ने विभिन्न रसोद्रेक से पूरित काव्य पाठ कर माहौल को होली के रंग में भिगया। इस दौरान ग्राम के सरपंच दिल्लू साहू, तुला राम साहू,लोक गायक मेघनाथ साहू, लोक कलाकार देवधर साहू,पूजा साहू के अलावा बड़ी संख्या में ग्राम वासी उपस्थित थे जिनके द्वारा काव्य रंग से भीगे होली मिलन कार्यक्रम का जमकर आनंद उठाया गया।
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