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भिलाई : साहित्यिक आयोजन : ‘ संस्कार काव्य गोष्ठी ‘
▪️ आयोजन : ‘ महाराणा प्रताप मंगल भवन ‘ सुपेला भिलाई में…
▪️ कवि सम्मेलन
▪️ ‘ प्रयास ‘ पत्रिका का विमोचन
▪️ सम्मान
[ ‘ प्रयास ‘ पत्रिका का विमोचन ]
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : साहित्यिक संस्था संस्कार काव्य गोष्ठी के तत्वावधान में ‘ महाराणा प्रताप मंगल भवन ‘ में आयोजित कार्यक्रम के प्रारंभ में माँ शरद की पूजा – अर्चना स्तुति, वंदना, दीप प्रज्ज्वलित और वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की तैलचित्र पुष्प हार अर्पित कर आरती गीत से की गई.
श्रीमती वंदना राजपूत ने सरस्वती वंदना और श्रीमती वर्षा ठाकुर ने स्वागत भाषण एवं अतिथियों के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला.
[ ठाकुर दशरथ सिंह भुवाल की कृति ‘ कभी सोचा न था ‘ का विमोचन ]
मुख्य अतिथि –
•डॉ.महेशचंद्र शर्मा
[वरिष्ठ साहित्यकार, संस्कृताचार्य]
विशिष्ट अतिथि –
•प्रदीप भट्टाचार्य
[संपादक ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ ]
•डॉ.श्रीमती नीता राजपूत
[कवियित्री व प्राध्यापिका]
•वीरेंद्र बहादुरसिंह बघेल
[पत्रकार व कवि लेखक]
•अध्यक्षता –
•ठाकुर दशरथ सिंह भुवाल
[संस्थापक ‘ संस्कार काव्य गोष्ठी ‘ ]
[ ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ ग्रुप के एडिटर – इन – चीफ प्रदीप भट्टाचार्य का स्वागत करते हुए ]
अतिथियों के करकमलों द्वारा ‘ संस्कार काव्य गोष्ठी ‘ छत्तीसगढ़ द्वारा कला एवं सांस्कृतिक संवर्धन हेतु प्रकाशित त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका प्रयास के प्रथम एवं द्वितीय अंक का विमोचन किया गया.
[ राजपूत समाज की महिलायें ]
कवि सम्मेलन में आमंत्रित रचनाकार –
•रविबाला ठाकुर •वर्षा ठाकुर •वंदना राजपूत •सावित्री राजपूत •सुरेश सिंह •पीतांबर सिंह •पवन सिंह •संजय परमार •बल्लू बल •हूपसिंह क्षत्रिय •आनंद गौतम •गजेंद्र द्विवेदी •शुचि भवि •माला सिंह.
डॉ.महेशचंद्र शर्मा ने कहा –
साहित्य संस्कृति का आत्मज और समाज का दर्पण होता है. संस्था की त्रिमासिक पत्रिका ‘ प्रयास ‘ में प्रकाशित रचनाओं एवं ‘ संस्कार काव्य गोष्ठी ‘ में प्रस्तुत कविताओं से भी इसकी पुष्टि हुयी है. डॉ. शर्मा जी ने मार्गदर्शन देते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ीयां वरिष्ठों के मार्गदर्शन तथा शब्दकोष, उच्चारण, व्याकरण और सांस्कृतिक अनुसंधान के माध्यम से और भी अच्छी साहित्यिक सर्जनायें करेंगी.
प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा –
ठाकुर दशरथ सिंह भुवाल से मेरी मुलाकात एक माह पहले एक कवि सम्मेलन के माध्यम से हुआ था. छोटी सी मुलाकात आज आत्मीयता में बदल गई है. ‘ संस्कार काव्य गोष्ठी ‘ के इस भव्य आयोजन के प्रति अपनी शुभकामनाएँ देते हुए बोले आज इस आयोजन में विभिन्न विषयों पर कवितायें सुनने को मिली.
वीरेंद्र बहादुरसिंह बघेल ने कहा –
कविता कैसी हो तथा रचनाकारों को काव्य रचना एवं काव्य पाठ प्रस्तुति के दौरान किन – किन बातों पर विशेषत: ध्यान देनी चाहिए और अपनी छोटी प्रभावशाली कविता पाठ पढ़कर सबका मनमोह लिया.
डॉ {श्रीमती} नीता राजपूत ने कहा –
कार्यक्रम आयोजन की बधाई देते हुए अपनी एक गंभीर रचना का पाठ किया.
ठाकुर दशरथ सिंह भुवाल ने – ‘ संस्कार काव्य गोष्ठी ‘ के उद्देशय एवं उनकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला. स्वयं रचित महाराणा प्रताप की आरती का पाठ करते हुए राजपूतों का दिल जीत लिया.
हल्दीघाटी युद्ध में,
अकबर सेना संग
राणाप्रताप साथ जो,
हुई भयंकर जंग
हुई भयंकर जंग,
राजपूत खूब लड़ते
टकराते तलवार,
काट सर आगे बढ़ते
रक्तिम बहती धार,
लाल दिखती जो माटी
स्वर्णिम है इतिहास,
युद्ध ये हल्दीघाटी.
पांच घंटे चले कार्यक्रम का संचालन बलराम सिंह ठाकुर ‘ बल्लू – बल ‘ [कोटगांव थानखम्हरिया] और आभार व्यक्त सुरेश सिंह ठाकुर ने किया.
‘ संस्कार काव्य गोष्ठी ‘ के सभी रचनाकारों/अतिथियों का शाल श्रीफल/मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया.
पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहे –
उपसमिति के अध्यक्ष रवि सिंह राजपूत, ओमप्रकाश ठाकुर, संतोष सिंह राजपूत, गोविंद सिंह
राजपूत, नरेंद्र सिंह ठाकुर, पोखन सिंह, महेश नारायण सिंह भुवाल, रोहिताष सिंह भुवाल, अल्का राजपूत, मनीषा राजपूत, विद्या सिंह, प्रकाश सिंह और ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ संपादक मंडल के सदस्य सलाहकार आलोक कुमार चंदा सहित राजपूत समाज के अनेकों गणमान्य, बुद्धिजीवि, ‘ महाराणा प्रताप मंगल भवन ‘ के पदाधिकारी और काव्यप्रेमी.
[ रिपोर्ट : आलोक कुमार चंदा ]
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